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Delhi में BS-VI नियम सख्त, बिना PUC वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन

दिल्ली में BS-VI मानकों से नीचे वाले गैर-दिल्ली निजी वाहनों के प्रवेश पर रोक लागू कर दी गई है। इसके साथ ही राजधानी में ‘नो PUC, नो फ्यूल’ नियम भी प्रभाव में आ गया है, जिसके तहत बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र वाले वाहनों को पेट्रोल और डीजल नहीं दिया जा रहा है। 
मौजूद जानकारी के अनुसार, इस नियम को लागू करने के लिए पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे लगाए गए हैं, जिनके जरिए वाहन की पहचान की जा रही है। इसके अलावा पंपों पर वॉयस अलर्ट सिस्टम और पुलिस बल की मदद भी ली जा रही है हैं। अधिकारियों ने बताया कि 126 चेकपॉइंट्स और सीमाओं पर करीब 580 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, जबकि परिवहन विभाग की टीमें भी पेट्रोल पंपों और बॉर्डर पॉइंट्स पर तैनात हैं।
गौरतलब है कि यह प्रतिबंध सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों, सार्वजनिक परिवहन, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले वाहनों और जरूरी सेवाओं में लगे वाहनों पर लागू नहीं होता है। वहीं, निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर जीआरएपी-IV के तहत पूरी तरह रोक लगाई गई है।
इस बीच पेट्रोल पंप डीलरों की संस्था दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार को पत्र लिखकर कुछ व्यावहारिक दिक्कतें सामने रखी हैं। एसोसिएशन ने पर्यावरण मंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा है कि वह प्रदूषण से निपटने के सभी प्रयासों का समर्थन करती है, लेकिन बिना कुछ कानूनी और प्रशासनिक स्पष्टता के इस आदेश को लागू करना बेहद कठिन है।
संस्था का कहना है कि ईंधन एक आवश्यक वस्तु है और मौजूदा कानूनों के तहत इसकी बिक्री से इनकार करना कानूनी पेचिदगियां पैदा कर सकता है। डीलरों का तर्क है कि पेट्रोल पंप कोई प्रवर्तन एजेंसी नहीं हैं और कर्मचारियों द्वारा ईंधन देने से इनकार करने पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का खतरा भी है।
डीपीडीए ने यह भी कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा हिस्सा बाहरी क्षेत्रों से आने वाले कारणों से जुड़ा है और अगर पूरे एनसीआर में समान रूप से नियम लागू नहीं होते, तो केवल दिल्ली में की गई सख्ती से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे हैं। इसके साथ ही उत्सर्जन जांच प्रणाली को पुराना बताते हुए इसे अपग्रेड करने और एएनपीआर कैमरों से जुड़ा लाइव डैशबोर्ड उपलब्ध कराने की मांग भी की गई।
कुल मिलाकर, सरकार और एजेंसियां प्रदूषण से निपटने के लिए सख्त कदम उठा रही हैं, लेकिन इनके सफल क्रियान्वयन के लिए जमीनी स्तर की चुनौतियों को दूर करना भी उतना ही जरूरी माना जा रहा है।


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