Chauth Mata Temple Rajasthan: 700 सीढ़ियां चढ़कर मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें 567 साल पुराने चौथ माता मंदिर का रहस्य

Chauth Mata Temple Rajasthan: 700 सीढ़ियां चढ़कर मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें 567 साल पुराने चौथ माता मंदिर का रहस्य

Chauth Mata Temple: राजस्थान की पवित्र धरती पर देवी उपासना की अनगिनत गाथाएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन इन सबमें एक मंदिर ऐसा है, जो अपनी ऐतिहासिकता, आस्था और करवा चौथ पर्व से जुड़ाव के कारण विशेष महत्व रखता है. यह मंदिर वर्ष 1451 ईस्वी में स्थापित किया गया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चौथ माता गौरी देवी का ही एक रूप हैं. करवा चौथ पर चौथ माता की विशेष पूजा और आराधना की जाती है, जिसमें सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु और रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं.

700 सीढ़ियों का दुर्गम सफ़र

यह मंदिर लगभग 1,000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक दर्शनीय पर्यटन केंद्र भी बनाता है. माता के दर्शन के लिए भक्तों को लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा में स्थित चौथ माता मंदिर. यह मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत की सुहागिनों की आस्था का केंद्र माना जाता है.

राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले में स्थित चौथ का बरवाड़ा शहर एक ऐसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है, जो आस्था और अटूट सुहाग के प्रतीक के रूप में विख्यात है. यह है चौथ माता का प्राचीन मंदिर. लगभग 567 साल पुराना यह मंदिर न सिर्फ़ अपनी धार्मिक महत्ता, बल्कि अपनी अद्भुत बनावट और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण भी भक्तों के बीच गहरी श्रद्धा का केंद्र है.

567 साल का गौरवशाली इतिहास

यह मंदिर वर्ष 1451 ईस्वी में स्थापित किया गया था. इसका निर्माण यहां के तत्कालीन शासक महाराजा भीम सिंह ने करवाया था. महाराजा भीम सिंह द्वारा स्थापित यह धाम आज भी माता के भक्तों के लिए एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है, ख़ासकर सुहागिन स्त्रियों की मनोकामना को पूरा करने वाला ये मंदिर माना जाता है.

700 सीढ़ियों का कठिन सफ़र

यह मंदिर लगभग 1,000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक दर्शनीय पर्यटन केंद्र भी बनाता है. माता के दर्शन के लिए भक्तों को लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. यह दुर्गम चढ़ाई भक्तों की अटूट आस्था और निष्ठा का प्रमाण है. इतनी ऊंचाई पर होने के कारण मंदिर से आसपास के क्षेत्र का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है, जो भक्तों के सफ़र को और भी सुखद बना देता है.

चौथ माता की विशेष पूजा

करवा चौथ का त्योहार, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, इस मंदिर का सबसे प्रमुख और भव्य आयोजन होता है. इस दिन देशभर से हज़ारों की संख्या में सुहागिन स्त्रियां यहां एकत्रित होती हैं.

करवा चौथ से जुड़ा है खास संबंध

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ व्रत सीधे तौर पर चौथ माता की पूजा से जुड़ा हुआ है. सुहागिन स्त्रियां इस दिन निर्जल उपवास रखती हैं और माता चौथ की आराधना करती हैं ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, दीर्घायु पति और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिल सके. चौथ माता को देवी गौरी का ही एक स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि माता चौथ की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सुख-संपन्नता बनी रहती है. यह मंदिर प्रेम और वैवाहिक पवित्रता का प्रतीक है.

मंदिर परिसर का स्वरूप

चौथ माता मंदिर सवाई माधोपुर ज़िले के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. माता की मुख्य प्रतिमा के अलावा, मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. यहां आने वाले भक्तों को भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी दिखाई पड़ती हैं, जिनकी पूजा-अर्चना भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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