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CDS Anil Chauhan ने Pakistan को दिया सख्त संदेश- ”बयानबाज़ी से नहीं, तैयारी और कार्रवाई से जीते जाते हैं युद्ध”

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है। हैदराबाद में युवा सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध केवल बयानबाज़ी, खोखले दावों या दिखावटी मुद्रा से नहीं जीते जाते, बल्कि स्पष्ट उद्देश्य, अनुशासन और ठोस कार्रवाई से जीते जाते हैं। उनके इस वक्तव्य को पाकिस्तान पर परोक्ष लेकिन तीखा प्रहार माना जा रहा है।
अपने संबोधन में उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान को निशाने पर लिया और कहा कि ऊँचे-ऊँचे दावे करने या सोशल मीडिया पर झूठी जीत का प्रचार करने से कोई युद्ध नहीं जीता जा सकता। वास्तविक शक्ति तैयारी, सही निर्णय और ज़मीनी स्तर पर उनके प्रभावी क्रियान्वयन से आती है। सीडीएस ने कहा कि आज दुनिया के कई हिस्सों में अस्थिरता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि वहाँ संस्थान कमज़ोर हैं और जल्दबाज़ी में फैसले लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णय दीर्घकालिक संघर्ष और असुरक्षा को जन्म देते हैं। इसके विपरीत भारत की ताकत उसके मज़बूत संस्थानों, लोकतांत्रिक व्यवस्था और सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमता में निहित है।

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उन्होंने भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा कि अनुशासन, मूल्य और कर्तव्य के प्रति समर्पण देश की सुरक्षा की रीढ़ हैं। उन्होंने नए अधिकारियों से कहा कि अब वे इस गौरवशाली परंपरा के संरक्षक हैं।
 
जनरल चौहान ने यह भी याद दिलाया कि नए अधिकारी ऐसे समय में सेवा में प्रवेश कर रहे हैं जब सुरक्षा वातावरण जटिल और चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। ऐसे माहौल में हर समय सतर्क और पूरी तरह तैयार रहना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना की भूमिका केवल संकट के समय तक सीमित नहीं होती, बल्कि निरंतर तैयारी और सजगता ही उसकी वास्तविक पहचान है। अपने संबोधन के समापन में सीडीएस ने अधिकारियों से उदाहरण प्रस्तुत कर नेतृत्व करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सतर्कता, तैयारी और पेशेवर दृष्टिकोण ही यह तय करेंगे कि वे शांति और युद्ध, दोनों परिस्थितियों में कितने सफल सिद्ध होते हैं।
साथ ही जनरल चौहान ने कहा कि हाल के दिनों में शत्रुता की तीव्रता कुछ कम हुई है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और सशस्त्र बल पूरी तरह तैयार तथा सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया सोच-समझकर, संतुलित और राष्ट्रीय उद्देश्यों पर आधारित रही है। अपने भाषण में जनरल चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्ध केवल रणभूमि तक सीमित नहीं है, बल्कि साइबर, अंतरिक्ष, सूचना और संज्ञानात्मक युद्ध जैसे नए क्षेत्रों तक फैल चुका है। उन्होंने कहा कि भारत के विरोधी अक्सर दुष्प्रचार, मनोवैज्ञानिक दबाव और असममित रणनीतियों के माध्यम से इन क्षेत्रों का दुरुपयोग करते हैं। इसलिए सशस्त्र बलों का तकनीकी रूप से सक्षम और अनुकूलनशील होना अत्यंत आवश्यक है। 
हम आपको यह भी बता दें कि हैदराबाद स्थित वायुसेना अकादमी, डुंडीगल में आयोजित 216वीं संयुक्त स्नातक परेड को संबोधित करने के अलावा सीडीएस ने परेड की समीक्षा की और 244 फ्लाइट कैडेट्स को राष्ट्रपति कमीशन प्रदान किया। इनमें भारतीय वायुसेना की उड़ान और ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं की 29 महिला अधिकारी भी शामिल थीं। इस समारोह में भारतीय नौसेना के 8, तटरक्षक बल के 6 और वियतनाम पीपुल्स एयर फोर्स के 2 अधिकारियों ने भी सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर अपने ‘विंग्स’ प्राप्त किए।
फ्लाइंग ऑफिसर तनिष्क अग्रवाल को सर्वोच्च मेरिट के लिए चीफ ऑफ एयर स्टाफ स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, नवानगर स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और राष्ट्रपति पट्टिका प्रदान की गई, जबकि फ्लाइंग ऑफिसर नितेश कुमार को ग्राउंड ड्यूटी में प्रथम स्थान के लिए राष्ट्रपति पट्टिका मिली। परेड का समापन वायुसेना के विमानों और हेलीकॉप्टरों के भव्य फ्लाई-पास्ट के साथ हुआ।
देखा जाये तो सीडीएस जनरल अनिल चौहान का यह वक्तव्य केवल एक सैन्य भाषण नहीं, बल्कि बदलते सुरक्षा परिदृश्य में भारत की रणनीतिक सोच का स्पष्ट प्रतिबिंब है। उन्होंने जिस सटीकता से बयानबाज़ी और वास्तविक शक्ति के अंतर को रेखांकित किया, वह आज के सूचना-युद्ध के दौर में विशेष रूप से प्रासंगिक है। पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा सोशल मीडिया और दुष्प्रचार के ज़रिये झूठी जीत गढ़ने की प्रवृत्ति नई नहीं है, लेकिन भारत का संस्थागत संयम और पेशेवर सैन्य दृष्टिकोण उसे अलग और अधिक विश्वसनीय बनाता है।
जनरल चौहान का ज़ोर इस बात पर है कि शक्ति का वास्तविक आधार दीर्घकालिक तैयारी, अनुशासन और निर्णयों की ज़मीनी सफलता होती है। यह संदेश केवल सैन्य अधिकारियों के लिए नहीं, बल्कि नीति-निर्माताओं और समाज के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। साथ ही आधुनिक युद्ध के बहुआयामी स्वरूप की उनकी व्याख्या यह स्पष्ट करती है कि आने वाले समय में भारत को तकनीक, सूचना और नेतृत्व, तीनों मोर्चों पर समान रूप से मज़बूत रहना होगा। कुल मिलाकर देखें तो यह भाषण आने वाले वर्षों के लिए भारत की सुरक्षा सोच की दिशा तय करता प्रतीत होता है।


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