Bihar Election 2025: आरा से लड़ने की ख्वाहिश, क्या कुशवाहा की माफी पवन के लिए होगी काफी?
भोजपुरी स्टार पवन सिंह एक बार फिर सियासत के मैदान में किस्मत आजमा चाहते हैं. वह बिहार विधानसभा चुनाव में लड़ना चाहते हैं. पवन सिंह की ख्वाहिश आरा से बतौर NDA उम्मीदवार चुनाव लड़ने की है. लेकिन इसके लिए उन्हें पहले उपेंद्र कुशवाह की माफी चाहिए. अगर कुशवाहा पवन सिंह के सिर पर हाथ रख देते हैं तो क्या NDA उनको आरा से टिकट दे देगा. क्या टिकट पाने के लिए कुशवाहा की माफी काफी होगी.
पवन सिंह कुशवाहा से मिलने के लिए आज दिल्ली स्थित उनके आवास जाएंगे. वह राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष से मिलकर गिला शिकवा दूर करेंगे. दरअसल, कुशवाहा पवन सिंह को दोबारा बीजेपी या एनडीए फोल्ड में लेने का विरोध कर रहे हैं. मुलाकात में अगर बात बन जाती है तो कुशवाहा पवन सिंह के एनडीए में आने और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ज्वाइन करने की घोषणा भी कर सकते हैं.
पवन सिंह क्यों मांगेंगे माफी?
2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से पवन सिंह को टिकट दिया था. पवन के सामने TMC ने शत्रुघ्न सिन्हा को खड़ा कर दिया था. ये मुकाबला दो बिहारियों के बीच होना था, लेकिन पवन सिंह ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. वह बिहार के काराकाट से चुनाव लड़ने की जिद पर अड़ गए. बीजेपी ने कहा ये सीट तो हमने अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी हुई है. पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा खुद ही वहां से लड़ेंगे.
फिर अब पवन का क्या करें. उनके सामने दो रास्ते थे. एक या तो कारकाट में कुशवाहा के लिए वोट मांगे और दूसरा निर्दलीय चुनाव लड़ें. उन्होंने दूसरा वाला रास्ता अपनाया. पवन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने यहां NDA को अच्छा खासा डेंट पहुंचाया. पवन के उतरने से कुशवाहा की हार हुई. NDA का वोट बिखर गया. जीत सीपीआई (एमएल) के राजा राम सिंह कुशवाहा की हुई.
राजा राम को 3 लाख 80 हजार 581 वोट मिले तो दूसरे नंबर पर रहने वाले पवन सिंह को 2 लाख 74 हजार 723 वोट मिले. उपेंद्र कुशवाहा 2 लाख 53 हजार 876 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. पवन सिंह के उतरने से पहले तक ये लड़ाई कुशवाहा बनाम कुशवाहा के बीच की थी. कहा जाता है कि पवन सिंह को सवर्णों का वोट मिला. इन्हें बीजेपी को कोर वोटबैंक माना जाता है. पवन सिंह के उतरने से कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा और बाद में उन्होंने राज्यसभा से सांसद बनना पड़ा.
चुनाव के दौरान बीजेपी नेता आरके सिंह ने पवन सिंह की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए थे. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि ये पीएम मोदी से बगावत होगी. आरके सिंह तब आरा से सांसद थे. लेकिन हाल के दिनों में पवन सिंह को लेकर आरके सिंह के बोल बदले हैं. बिहार चुनाव में वह पवन सिंह के लिए बैटिंग करते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पवन सिंह को फिर से बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए.
क्या बीजेपी करेगी माफ?
उपेंद्र कुशवाहा अगर पवन सिंह को माफ कर भी देते तो क्या बीजेपी भी उन्हें माफ करेगी, ये बड़ा सवाल है. क्योंकि पवन सिंह मुश्किल वक्त में बीजेपी के काम नहीं आए थे. आसनसोल वो सीट रही है जहां बीजेपी का बोलबाला रहा है. मशहूर गायक बाबुल सुप्रीयो बीजेपी के टिकट पर यहां से जीतते रहे हैं. वह अब टीएमसी में जा चुके हैं. बीजेपी को यहां से स्टार उम्मीदवार की तलाश थी. पार्टी ने पवन सिंह पर दांव चला, लेकिन उन्होंने टिकट ही लौटा दिया.
पवन सिंह के ना करने के बाद बीजेपी ने एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया. शत्रुघ्न सिन्हा से उनका मुकाबला था. बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. शत्रुघ्न को 6 लाख 5 हजार 645 वोट मिले तो अहलूवालिया को 5 लाख 46 हजार 81 वोट मिले. ऐसे में पवन सिंह ने बीजेपी को सिर्फ काराकट सीट पर ही नुकसान नहीं पहुंचाया, आसनसोल सीट पर भी पार्टी को डेंट पहुंचाया.
क्या बीजेपी छोड़ देगी आरा सीट?
कुशवाहा माफ करते हैं तो पवन सिंह का राष्ट्रीय लोक मोर्चा में शामिल होने का रास्ता साफ हो जाएगा. इसके बाद लड़ाई शुरू होगी आरा में उम्मीदवारी को लेकर. बीजेपी इतनी आसानी से आरा सीट को जाने नहीं देगी, क्योंकि ये उसके दबदबे वाली सीट रही है. आरा में बीजेपी का दबदबा 2000 में शुरू हुआ, जब उसने लगातार चार चुनाव जीते.
हालांकि, 2015 में आरजेडी के मोहम्मद नवाज आलम ने यह सिलसिला तोड़ते हुए बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह को सिर्फ 666 वोटों से हरा दिया. लेकिन 2020 में अमरेंद्र प्रताप सिंह ने फिर से सीट जीती. उनकी जीत का अंतर मात्र 3,002 वोटों का था, जो यहां करीबी मुकाबलों के रुझान को दर्शाता है.
आरा का सियासी समीकरण
आरा में विविध मतदाता समूह है. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां की कुल आबादी का लगभग 12.1 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.7 प्रतिशत हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाता 3,29,572 थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,34,622 हो गए.
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