Bihar Bulletin: तेजस्वी यादव ने किया नौकरी का वादा तो JDU ने याद दिलाए पुराने दिन… पढ़ें बिहार की सियासत से जुड़ी आज की बड़ी खबरें
जेडीयू के बिहार अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने गुरुवार को कहा कि चुनाव में करारी हार के भय से तेजस्वी यादव पॉलिटिकल डिप्रेशन में चले गए हैं. उनके हावभाव और बयानबाज़ी में हताशा, घबराहट और बेचैनी साफ झलक रही है. रटी-रटाई स्क्रिप्ट पढ़कर लगातार जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं. तेजस्वी की बौखलाहट इस कदर बढ़ चुकी है कि अगर वो कल चांद-तारे तोड़ लाने की भी घोषणा कर दें तो भी किसी को आश्चर्य नहीं होगा.
उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि जिस नेता के पास नीति और नियत न हो, वह आधारहीन बयानबाजी के सहारे अपना राजनीतिक चेहरा तो चमका सकता है, लेकिन बिहार की जागरूक जनता को बेवकूफ बनाने में कभी सफल नहीं होगा. यह किसी से छिपा नहीं है कि लालू परिवार ने रेलवे में नौकरी के बदले गरीबों की जमीन हड़पने का काम किया था, आज वे किस मुंह से सरकारी नौकरी की बात कर रहे हैं? प्रदेश अध्यक्ष ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर तेजस्वी यादव में जरा भी नैतिकता बाकी है तो नौकरी के बदले हड़पी गई जमीन तुरंत उन गरीबों को वापस करने की घोषणा करें.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सात निश्चय पार्ट 2 के तहत नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने 50 लाख से अधिक नौकरी और रोजगार सृजित कर इतिहास रचा है. अगले पांच वर्षों में एक करोड़ से अधिक नौकरी और रोजगार पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी दिशा में हाल ही में जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का शुभारंभ भी किया गया है, जो बिहार में कौशल विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. नीतीश कुमार पक्के इरादे वाले नेता हैं, जो अपने वादों को करके दिखाते हैं, जबकि तेजस्वी यादव की राजनीति झूठे वादों की बुनियाद पर टिकी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार की जनता तेजस्वी के झांसे में नहीं आने वाली है, जनता अब फर्जी दावों पर नहीं, बल्कि ठोस परिणामों के आधार पर अपने नेता का चुनाव करती है.
बीजेपी में शामिल हुए सुरेश कुमार
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले गुरुवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश महासचिव सुरेश कुमार उर्फ शक्ति पासवान ने अपने समर्थकों के साथ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. इसी क्रम में राष्ट्रीय लोजपा के औरंगाबाद प्रखंड अध्यक्ष हरिओम पासवान और कुम्हरार के प्रदीप पासवान ने भी बीजेपी की सदस्यता की सदस्यता ग्रहण की.
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने सभी लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया. उन्होंने कहा कि आप सभी के आने से पार्टी मजबूत होगी. आने वाले चुनाव में आप सभी एनडीए को और मजबूत करने के लिए काम करें. इस चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत होगी.
शिक्षा से सशक्तिकरण तक, नीतीश मॉडल बना देश के लिए नजीर: जदयू
उधर, जद (यू) प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने सोशल संवाद करते हुए कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक न्याय के मॉडल से बिहार को नई पहचान मिली है. लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी शासनकाल में बिहार की तस्वीर शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था और रोजगार के मामले में बेहद खराब थी. उस समय विद्यालयों में शिक्षक नहीं होते थे, जहां शिक्षक होते थे वहां कमरे नहीं होते थे और जहां कमरे होते थे वहां छात्र नहीं होते थे. शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किया और विद्यार्थियों के लिए नई योजनाएं लागू कर पठन-पाठन को व्यवस्थित किया.
पहले बच्चियों की संख्या स्कूलों में बेहद कम हुआ करती थी, परंतु साइकिल और पोशाक जैसी योजनाओं के माध्यम से आज बिहार की बेटियां आत्मनिर्भर होकर विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक पंचायत में विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा को सुलभ बनाया और हजारों युवाओं को शिक्षक के रूप में रोजगार देकर स्कूलों से जोड़ा. यही नहीं, तकनीकी शिक्षा में भी क्रांतिकारी बदलाव हुआ है. पहले राज्य में मात्र दो इंजीनियरिंग कॉलेज थे, लेकिन अब पूरे बिहार में तकनीकी संस्थानों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाजवादी आंदोलन की पृष्ठभूमि से निकले नेता हैं और उन्होंने अपने फैसलों से बिहार में शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में ऐतिहासिक क्रांति की है. बिहार आज देश के लिए एक मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित हुआ है और यह बदलाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व और निर्णय क्षमता का परिणाम है.
एनडीए का 20 साल विनाश काल: कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में एनडीए के 20 साल विनाश काल विषय पर संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने बिहार के एनडीए शासन के 20 साल को विनाश काल बताते हुए संवाददाता सम्मेलन की शुरुआत की. संवाददाता सम्मेलन को मुख्य रूप से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी के महासचिव जयराम रमेश, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने संबोधित किया.
संबोधन में वरिष्ठ नेताओं ने कई मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि बिहार में 20 सालों में भाजपाजेडीयू राज ने संसाधनों की लूट की और नागरिकों को गरीबी की आग में झोंक दिया. बिहार के जाति सर्वे में यह बात सामने आई कि 94 लाख परिवारों की मासिक आमदनी 6000 रु. से कम है, अर्थात लगभग 5 करोड़ लोग 40 रु. रोज पर जिंदा हैं, और 81 लाख परिवार 10000 रु. माह से कम कमाते हैं, अर्थात चार करोड़ लोग 67 रु. रोज पर जिंदा हैं. इसका परिणाम यह हुआ कि काम और शिक्षा न मिलने की वजह से बेतहाशा पलायन हुआ.
केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर लगभग तीन करोड़ रजिस्टर्ड बिहार के मज़दूर हैं जो दूसरे प्रांतों में काम कर रहे हैं, और उनमें से 94% ने बताया है कि उनका परिवार 10000 रु. प्रतिमाह से कम कमाता है. केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया है कि अभी रजिस्ट्रेशन बाकी है और अनुमानतः यह संख्या तीन करोड़ 45 लाख होगी.
बिहार में GER 17.1% है अर्थात 18 से 23 साल के नौजवान, जिनकी आबादी एक करोड़ 36 लाख है, में से सिर्फ़ 22.23 लाख अंडरग्रेजुएट की पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि बिहार में एक लाख की आबादी पर सिर्फ़ सात कॉलेज हैं. जबकि राष्ट्रीय औसत 30 कॉलेज प्रति लाख है. स्कूलों की ड्रॉपआउट रेट भी भारत में सबसे ज़्यादा बिहार में है, इसलिए छात्र पलायन कर रहे हैं. जब युवा आवाज़ उठाते हैं, तो उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं.
बिहार प्रवेश और भर्ती परीक्षा घोटालों का हब बन गया है. पिछले सात सालों में 10 से ज़्यादा भर्ती और प्रवेश परीक्षा घोटाले हुए. पुलिस भर्ती, BPSC भर्ती, अमीन भर्ती, स्वास्थ्य विभाग CHO भर्ती, NEET, उत्पाद विभाग भर्ती में युवाओं के भविष्य की बोली लगाई गई. एक स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि पुलिस से पटवारी तक और बैंकिंग तक माफिया पेपर 10 से 80 लाख तक में बेच रहे हैं. इतना ही नहीं, BA से लेकर LLB तक की सभी प्रकार की डिग्रियां भी 1 से 5 लाख तक में बेची जा रही हैं.
बिहार के चप्पे-चप्पे को अपराधियों ने लहूलुहान कर दिया है. सुबह की सारी सुर्खियां खून से सनी होती हैं. बलात्कार, अपहरण, हत्या आम बात हो गई है. पिछले छह माह में बिहार के 11 बड़े उद्योगपतियों को घर में घुसकर गोली मारी गई है. बिहार में हर रोज़ आठ हत्याएं, 28 महिलाओं के अपहरण, 136 जघन्य अपराध हो रहे हैं. भाजपानीतीश राज में कुल अपराध 323 प्रतिशत बढ़ गए हैं. महिलाओं के अपहरण 1097 प्रतिशत, हत्या के प्रयास 262 प्रतिशत, और जघन्य अपराध 206 प्रतिशत बढ़ गए हैं. बिहार में भाजपाजेडीयू राज में 60 हज़ार से अधिक हत्याएँ हो चुकी हैं, और पांच लाख 50 हज़ार से अधिक जघन्य अपराध हुए हैं.
बिहार में लूट की खुली छूट है. सत्ता में आते ही 1000 करोड़ का सृजन घोटाला किया गया. भाजपाजेडीयू राज में 10 विभागों में 70 हज़ार करोड़ से अधिक के गबन की आशंका कैग ने जताई है. पोषण आहार घोटाला, मनरेगा घोटाला, नल-जल घोटाला, पीएम आवास घोटाला, स्मार्ट मीटर घोटाला, रिशु श्री टेंडरट्रांसफरपोस्टिंग रैकेट, बिहार की हवा, पानी, ज़मीन, आसमान, पाताल सब बेच खाया गया. एक अधिकारी और उसकी पत्नी ने रात भर करोड़ों के नोट जलाए और पूरे मोहल्ले की नालियां चोक हो गईं. एक मंत्री नकली दवाई घोटाले में राजस्थान की अदालत से सज़ा पा चुके हैं मगर पद पर हैं. एक मंत्री फर्जी D.Litt डिग्री धारी हैं. पिछले तीन साल में बिहार के 27 बड़े पुल भ्रष्टाचार में बह गए.
राजद में शामिल हुए जदयू नेता लक्ष्मेश्वर राय
विधानसभा चुनाव के पहले जदयू को झटका लगा. पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने जेडीयू से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया. जेडीयू छोड़कर आरजेडी का दामन थामते ही पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पार्टी में अब सिर्फ संजय झा की मनमानी चल रही है, वही सब कुछ चला रहे हैं. नीतीश कुमार अब किनारे हो चुके हैं. लक्ष्मेश्वर राय लौकहा विधानसभा सीट से अपनी टिकट चाह रहे थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में राय को राजद के भारत भूषण से हार मिली थी.
विधायक भरत बिंद ने राजद से दिया इस्तीफा
भभुआ से राजद की टिकट पर पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले भरत बिंद ने इस्तीफा दे दिया. गुरुवार को विधानसभा सचिवालय के द्वारा इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई. अधिसूचना में कहा गया है कि भभुआ सीट विधायक भरत बिंद के इस्तीफे के कारण रिक्त हो गई है. सूत्रों की मानें तो भरत बिंद ने इस्तीफा देने के साथ ही राजद से भी अपना नाता तोड़ लिया है. बताया जा रहा है कि भरत बिंद बीजेपी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि राजद की टिकट पर विधायक चुने गए भरत बिंद एनडीए में जदयू की वापसी के बाद से खेमा बदलते नजर आ रहे थे. वह लगातार सत्ता पक्ष की खेमे में बैठ रहे थे. आरजेडी ने उनकी अयोग्यता की मांग भी की थी. विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के पास याचिका भी लंबी थी. भरत बिंद कैमूर जिले के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं.
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