शुरू से आखिर तक गौरव ने कभी किसी से ज्यादा बड़ी लड़ाई नहीं की, न ही नाटक किया. वे चुपचाप देखते, समझते और सही समय पर सही बात कहते थे.‘टिकट टू फिनाले’ टास्क इसका सबसे बड़ा उदाहरण था.
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