Bastar Dussehra Ritual: अनूठा है बस्तर का दशहरा, 600 साल पुरानी परंपरा

छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा दुनिया भर में अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है, जहाँ रावण की प्रतिमा नहीं बनाई जाती और न ही उसका दहन किया जाता है. यह 600 साल पुरानी परंपरा पूरी तरह से देवी माता को समर्पित है. दशहरे पर हर साल की तरह इस बार भी भव्य रथ यात्रा निकाली गई, जिसे रैनी के नाम से जाना जाता है. एरंडवाल गांव के पैगड़ समाज के लोग पिछले 600 सालों से दंतेश्वरी छत्र से फूल फेंकने की अनोखी रस्म निभाते आ रहे हैं. इस आयोजन में आस्था, संस्कृति, गीत-संगीत और प्रकृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है. यह बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो इसे देश के अन्य दशहरा उत्सवों से अलग बनाता है. देखें वीडियो

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