DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

88 मिनट! एक जगह जब जमा हुए तीनों, मोदी-राहुल और शाह, क्लोज डोर मीटिंग की Inside Story

संसद के शीतकालीन सत्र के बीच 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद साथी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच बंद कमरे में एक बैठक हुई। इस बैठक की अब खूब चर्चा हो रही है कि आखिर जहां संसद में अमित शाह और राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक हुई है तो बंद कमरे में आखिर ये कौन सी बैठक थी? किस बात की चर्चा हुई और आखिर किस चीज को लेकर योजना बनी? दरअसल आपको बता दें यह बैठक बहुत देर चली। तकरीबन डेढ़ घंटे यानी 88 मिनट के आसपास यह बैठक चली और कई मुद्दों पर इस बैठक में राहुल गांधी ने असहमति जताई। साथ ही राहुल गांधी ने एसटी, एससी, ओबीसी [संगीत] और माइनॉरिटी के बारे में भी बात की और देश की 90% आबादी को बड़े पदों पर बिठाने की भी वकालत की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने इस पूरी बात को प्रमुखता से उठाया।

इसे भी पढ़ें: Sharad Pawar ने रात्रिभोज आयोजित किया, राहुल, प्रियंका, अजित पवार, गौतम अदाणी शामिल हुए

सूत्रों ने बताया कि राहुल ने नियुक्त किए जाने वालों के बारे में और जानकारी देने की बात उठाई और उन्होंने सीआईसी और 8 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के पैमानों पर भी सवाल किए। नियुक्ति प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए उन्होंने इस बारे में अपनी असहमति लिखित तौर पर दर्ज कराई। पहले मलिकार्जुन खड़गे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हुआ करते थे तब वह शामिल हुआ करते थे। राहुल गांधी आपको बता दें कि जब पीएमओ से बैठक करने के बाद निकलते हैं तो पता चला कि मुख्य सूचना आयुक्त, आठ सूचना आयुक्त और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्तियों पर चर्चा हुई। इससे पहले यह चर्चा बताई जा रही थी कि चुनाव आयोग को लेकर चर्चा है और मुख्य चुनाव आयोग को लेकर इस पूरे मामले की चर्चा होनी है। लेकिन जब राहुल गांधी पीएमओ पहुंचते हैं पीएमओ में यह बैठक तकरीबन डेढ़ घंटे चलती है और इस बैठक के बाद जब राहुल गांधी बाहर निकलते हैं तो यह सूचना आयुक्त वाली बात और राज्य सूचना आयुक्तों वाली बात को बात जो है सामने आती है।

इसे भी पढ़ें: वोट चोरी का फेक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहा विपक्ष, लोकसभा में बोले अमित शाह, SIR वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण

सीआईसी की वेबसाइट के अनुसार, उसके सामने 3083 मामले लंबित है। 2014 के बाद यह सातवां मौका है, जब देश में कोई मुख्य सूचना आयुक्त नहीं है। 2023 में मुख्य सूचना आयुक्त बनने वाले हीरालाल सामारिया ने 65 साल की उम्र होने पर इस साल 13 सितंबर को पद छोड़ा था। 2014 में राजीव माथुर के पद छोड़ने पर केंद्रीय सूचना आयोग में पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई मुख्य आयुक्त नहीं था। सीआईसी और सूचना आयुक्तों के पद खाली होने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी उठा। तृणमूल कांग्रेस सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा कि पद खाली होने के चलते लंबित अपीलों के निस्तारण में दो-तीन साल तक की देर हो रही है और जब तक वह सूचना मिलेगी, तब तक उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने एनडीए सरकार को ‘नो डेटा अवेलेबल‘ सरकार कहते हुए आरोप लगाया कि सरकार नागरिकों को सूचना देने से कतरा रही है।

इसे भी पढ़ें: Rahul Gandhi की जर्मनी यात्रा संयोग है या कोई प्रयोग? जब जर्मन चांसलर भारत आने वाले हैं तो उससे पहले आखिर राहुल किसलिये Germany जा रहे हैं?

सीआईसी और सूचना आयुक्तों के पद खाली होने का मुद्दा 10 दिसंबर को राज्यसभा में भी उठा। सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 123 के तहत देश का प्रधानमंत्री समिति का अध्यक्ष होता है। जिसमें नेता विपक्ष के भी शामिल होते हैं और इसके अलावा प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल होते हैं। जो सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नामों का चयन और सिफारिश करते हैं। आरटीआई कानून की अगर मानें तो सीआईसी में एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त होते हैं जो आरटीआई आवेदकों द्वारा उनके आवेदनों पर सरकारी अधिकारियों के असंतोषजनक आदेशों पर दायर शिकायतों और अपीलों पर फैसला करते हैं। तो अब यह बैठक चली है। 88 मिनट की ये बैठक थी। इसमें राहुल गांधी ने तमाम आपत्तियां दर्ज कराई है। 


https://ift.tt/guhCDZB

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *