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80000 वोटों से जीतीं विभा देवी शपथ नहीं पढ़ पाईं:चुनाव से पहले RJD छोड़कर JDU में आईं, PM के मंच पर दिखीं, 32 करोड़ संपत्ति

बिहार विधानसभा में आज नए विधायकों को शपथ दिलाई गई। नवादा से JDU विधायक विभा देवी शपथ भी ठीक से नहीं पढ़ पाईं। विभा देवी बाहुबली राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं। इस बार के चुनाव में नवादा की जनता ने JDU की विभा देवी को कुल 87423 वोटों से जीताकर सदन में भेजा है। विभा देवी ने 2020 में RJD के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस वक्त उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार श्रवण कुमार को शिकस्त दी और 26,310 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। चुनाव से ठीक पहले उनके पति बाहुबली राजबल्लभ जेल से बाहर आए। इसी के बाद विभा देवी ने JDU जॉइन किया और पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया। 2020 से पहले जब पति राजबल्लभ जेल गए विभा देवी उसी वक्त से राजनीति में एक्टिव हो गईं। विभा देवी के पास 32 करोड़ की संपत्ति है। पढ़िए पति के जेल जाने से लेकर विभा देवी की सियासत में एंट्री की पूरी कहानी… 33 साल पुराना किस्सा, जिससे राजबल्लभ का परिवार लालू का खास बना साल 1992 था। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया जा चुका था। इसका असर देश के साथ बिहार पर भी दिखा। बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बातें हो रही थीं। लालू प्रसाद यादव नए-नए मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया और बहुमत साबित करने का फैसला लिया। सरकार खतरे में थी, इसे बचाने के लिए लालू को कुछ विधायक चाहिए थे। तब उनकी मदद के लिए कृष्णा यादव सामने आए। वे पहली बार BJP के टिकट पर नवादा से चुनाव जीते थे। उन्होंने BJP के विधायक तोड़कर लालू की मदद की। BJP के पास 39 विधायक थे। उसके विधायक तोड़ने वाले कृष्णा यादव राजबल्लभ यादव के बड़े भाई थे। 25 साल से राजबल्लभ और कौशल यादव में सिमटी नवादा की राजनीति 1990 के दशक से आज तक नवादा की सियासत में दो ही नेताओं का दबदबा रहा। पहले राजबल्लभ यादव और दूसरे कौशल यादव। दोनों को सियासत विरासत में मिली। माइनिंग के बड़े कारोबारी रहे राजबल्लभ पॉलिटिक्स से दूर अपना बिजनेस चला रहे थे। राजनीति में उनकी एंट्री 1995 में हुई, जब 1994 में बड़े भाई कृष्णा यादव का निधन हो गया। उम्मीद थी कि कृष्णा यादव की जगह लालू यादव राजबल्लभ को देंगे, लेकिन लालू ने चंद्रभूषण यादव को टिकट दे दिया। राजबल्लभ यादव निर्दलीय मैदान में उतर गए। पहले ही चुनाव में जीते और मैसेज दे दिया कि नवादा के असली खिलाड़ी वही हैं। हालांकि निर्दलीय जीतने के बाद वे विधानसभा में लालू के साथ रहे। 2000 में लालू ने उन्हें RJD के तरफ से टिकट दिया और राजबल्लभ चुनाव जीत गए। लालू ने उन्हें श्रम राज्य मंत्री बनाया। कौशल यादव की पत्नी ने राजबल्लभ यादव को हराया नवादा के बगल की सीट गोविंदपुर पर 1970 से राज करने वाले कौशल यादव नवादा सीट पर कब्जा करना चाहते थे। 2005 में वे इसमें कामयाब हुए। उन्होंने पत्नी पूर्णिमा यादव को यहां से निर्दलीय चुनाव लड़वाया। पूर्णिमा यादव ने राजबल्लभ यादव को चुनाव में हरा दिया। राजबल्लभ तब मंत्री थे। इसके बाद 2010 में कौशल यादव JDU में शामिल हो गए। उन्होंने गोविंदपुर से चुनाव लड़ा और पत्नी को नवादा से टिकट दिलाया। नवादा में एक बार फिर सामने राजबल्लभ थे। कौशल यादव और उनकी पत्नी दोनों सीट जीत गए। गठबंधन की वजह से कौशल और राजबल्लभ में दोस्ती, 3 साल में टूटी 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार महागठबंधन में आ गए। इसका असर नवादा में भी हुआ। धुर विरोधी राजबल्लभ और कौशल यादव भी साथ हो गए। नवादा से राजबल्लभ लड़े, तो गोविंदपुर सीट कौशल यादव के हिस्से में आई। यहां से उन्होंने पत्नी पूर्णिमा यादव को चुनाव लड़वाया। 10 साल बाद विधानसभा में राजबल्लभ की वापसी हुई। गोविंदपुर से पूर्णिमा यादव भी चुनाव जीत गईं। 2018 में राजबल्लभ यादव को नाबालिग से रेप केस में उम्रकैद की सजा हो गई और विधानसभा से उनकी सदस्यता खत्म हो गई। 2019 में उपचुनाव हुआ। RJD ने राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को मैदान में उतारा। सामने JDU से कौशल यादव थे। कौशल यादव एक बार फिर से राजबल्लभ यादव के परिवार को पटखनी देने में कामयाब रहे। हालांकि 2020 के चुनाव में राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी RJD के टिकट पर चुनाव जीत गईं। कौशल यादव तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद वे नवादा की राजनीति से गायब हो गए। राजबल्लभ और लालू परिवार के बीच 2022 से बढ़ने लगी दूरी बगावत के दो किस्से 1. तेजस्वी ने MLC चुनाव में टिकट नहीं दिया, तो भतीजे को निर्दलीय उतारा 2022 में विधान परिषद का चुनाव था। राजबल्लभ अपने भतीजे को चुनाव लड़वाना चाहते थे। तेजस्वी ने राजबल्लभ की मर्जी से अलग श्रवण कुशवाहा को कैंडिडेट बना दिया। राजबल्लभ ने भतीजे और कृष्णा यादव के बेटे अशोक यादव को निर्दलीय उतार दिया। अशोक यादव चुनाव जीत गए। अशोक यादव ने विधान परिषद के सभापति से JDU के MLC के साथ बैठने की गुजारिश की। सभापति ने इसे मंजूर कर लिया। 2. लोकसभा चुनाव में भाई को मैदान में उतारा, RJD हारी MLC चुनाव के बाद राजबल्लभ 2024 के लोकसभा चुनाव में छोटे भाई विनोद यादव को चुनाव लड़वाना चाहते थे। तेजस्वी ने फिर उनकी बात नहीं मानी और MLC चुनाव में हारे श्रवण कुशवाहा को कैंडिडेट बना दिया। राजबल्लभ यादव ने अपने भाई विनोद यादव को निर्दलीय मैदान में उतार दिया। इसका सीधा नुकसान RJD के कैंडिडेट को हुआ। RJD का यादव वोट बिखर गया। विनोद यादव को करीब 39 हजार वोट मिले। श्रवण कुशवाहा 67 हजार वोट से ये चुनाव हार गए। यहां से BJP के विवेक ठाकुर चुनाव जीत गए।


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