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59 जन्मजात हृदय रोगियों को मिली जिंदगी

सिटी रिपोर्टर|जहानाबाद मासूम बच्चों के विभिन्न प्रकार की जटिल बीमारियों से ग्रसित होने का सिलसिला पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार की ओर से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम यानी आरबीएसके का संचालन प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। वैसे तो गर्भ में ही माताओं के कुपोषित व जागरूकता के अभाव की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चों में इंटरनल डिजोडर से जन्म के साथ अंधापन, बहरापन, गूंगापन व पैरों से दिव्यांग आदि कई प्रकार की बीमारियों की शिकायत उल्लेखनीय ढंग से बढ़ रही है। उसमें से दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है। लेकिन ऐसे बच्चों के माता पिता को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनके बच्चे के दिल की बीमारियों का इलाज अब राज्य सरकार के द्वारा निःशुल्क कराया जा रहा है। सरकार बाल हृदय योजना का संचालन कर रही है। राज्य सरकार के आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ”सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा अन्तर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था हेतु स्वीकृत किया जा रहा है। जिसके लिए राज्य सरकार योजना ”बाल हृदय योजना कार्यक्रम हृदय रोगी की सर्जरी के लिए आठ लाख रुपए तक का खर्च उठा रही है। स्क्रिनिंग के दौरान मिलने वाले हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को सत्य साई अस्पताल अहमदाबाद व पटना आईजीआईएमएस में भेजा जाता है। दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों को योजना के तहत यह सुविधा प्रदान की जा रही है। परिजन का खर्च भी उठाती है सरकार अहमदाबाद में होता है इलाज राज्य सरकार 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च भी उठाती है। राज्य के बाहर के चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल या निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में प्रदान की जाती है। वहीं, अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि भी 5,000 हजार रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है। उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ ही वापस आते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक ने बताया कि योजना के तहत दिल में बीमारी वाले बच्चों को गुजरात के अहमदाबाद रेफर किया जाता है। जिससे सरकार ने एग्रीमेंट कर रखा है। जिले से बच्चों कि उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए इलाज के लिए वहां भेजा जाता है और वहां मुफ्त में इलाज करवाया जाता है। योजना के कार्यावयन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई है, जिसमें आरबीएसके की टीम पूरी तरह से सहयोग में लगी हुई है।


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