40 साल पुराने Emigration Act को अलविदा, अब भारत देगा विदेश में बेहतर सुरक्षा और रोजगार, जानिए क्या है नया बिल?

40 साल पुराने Emigration Act को अलविदा, अब भारत देगा विदेश में बेहतर सुरक्षा और रोजगार, जानिए क्या है नया बिल?

भारत सरकार अब विदेश में काम करने जाने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों को मजबूती देने के लिए नया कानून लाने जा रही है. विदेश मंत्रालय ने Overseas Mobility (Facilitation and Welfare) Bill, 2025 का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा. यह नया बिल 40 साल पुराने Emigration Act, 1983 की जगह लेगा.

सरकार का कहना है कि यह कानून भारत से विदेशों में होने वाले प्रवासन (migration) को ‘सुरक्षित, सुव्यवस्थित और पारदर्शी’ बनाने के लिए एक आधुनिक ढांचा (modern framework) तैयार करेगा. यह विदेशों में काम करने वाले लाखों भारतीयों की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और शिकायत निवारण व्यवस्था को मजबूत करने की योजना है.

क्यों जरूरत पड़ी नए कानून की?

1983 का Emigration Act उस दौर में बना था जब विदेशों में काम करने वाले भारतीयों की संख्या सीमित थी और डिजिटल सिस्टम या अंतरराष्ट्रीय समझौते बहुत कम थे. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. हर साल लाखों भारतीय खाड़ी देशों, यूरोप, एशिया और अफ्रीका के हिस्सों में रोजगार के लिए जाते हैं. वैश्विक प्रवासन नीतियां और श्रम बाजार में बड़े बदलाव आए हैं. नई तकनीक और ई-गवर्नेंस ने प्रवासन को डिजिटल व ट्रैक करने योग्य बनाया है. इन सभी बदलावों को ध्यान में रखते हुए, सरकार चाहती है कि भारत की प्रवासन नीति ‘मानव-केंद्रित, डिजिटल और डेटा आधारित’ हो.

बिल की प्रमुख विशेषताएँ:

  • Overseas Mobility and Welfare Council का गठन
  • यह नई परिषद (Council) विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों और एजेंसियों के बीच समन्वय करेगी ताकि प्रवासी भारतीयों से जुड़ी नीतियों और कल्याण योजनाओं में एकरूपता लाई जा सके.
  • इसका दृष्टिकोण संतुलित है.
  • बिल का उद्देश्य है कि विदेशों में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देते हुए, कमजोर वर्गों की सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए एक प्रभावी नियामक ढांचा (regulatory framework) तैयार किया जाए.
  • अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की निगरानी
  • भारत के जिन देशों के साथ प्रवासन या श्रम समझौते हैं, उनके कार्यान्वयन और निगरानी का प्रावधान इस कानून में किया गया है. इससे प्रवासी भारतीयों की समस्याओं के समाधान में तेजी आएगी.

डेटा आधारित नीति निर्माण

प्रवासन से जुड़े आंकड़ों, सर्वे और लेबर स्टडीज के आधार पर नीति निर्माण किया जाएगा. इससे साक्ष्य-आधारित (evidence-based) फैसले और बेहतर नीतिगत तालमेल सुनिश्चित होगा.

विदेश मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट बिल को सार्वजनिक परामर्श (public consultation) के लिए जारी किया है. नागरिक, विशेषज्ञ और संस्थान अपने सुझाव 7 नवंबर 2025 तक भेज सकते हैं.

भारत दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक है. यहां लगभग 3.2 करोड़ भारतीय विभिन्न देशों में काम या व्यवसाय कर रहे हैं. खाड़ी देशों में तो भारतीय मज़दूरों की संख्या करोड़ों में है. नया Overseas Mobility Bill, 2025 प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा, बीमा, शिकायत निवारण, और पुनर्वास जैसी व्यवस्थाओं को कानूनी मजबूती देगा. इसके साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि भारत को ‘सुरक्षित प्रवासन का ग्लोबल मॉडल’ बनाया जाए. यह बिल केवल कानून नहीं है, बल्कि भारत की वैश्विक प्रवासन नीति में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है. अगर यह संसद से पारित होता है, तो आने वाले सालों में विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के अधिकार, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में ठोस सुधार देखने को मिल सकते हैं.

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