312 ढेर, 836 अरेस्ट, 1639 सरेंडर… एक साल में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर हुई 3

312 ढेर, 836 अरेस्ट, 1639 सरेंडर… एक साल में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर हुई 3

केंद्र सरकार ने देश में माओवादियों को समाप्त करने के लिए बड़ा अभियान छेड़ रखा है. नक्सल विरोधी अभियान के तहत माओवादियों को ढेर किया जा रहा है. उनकी गिरफ्तारियों हो रही हैं और जो आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लौटना चाह रहे हैं, उन्हें सरेंडर के अवसर भी दिए जा रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश में नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर तीन हो गई है. अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं. मोदी सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया है.

टूटे पिछले सालों के सभी रिकॉर्ड

इस वर्ष की ऑपरेशनल सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जिसमें 312 वामपंथी उग्रवादी कार्यकर्ताओं का सफाया किया गया है, जिनमें भाकपा (माओवादी) के महासचिव और 8 अन्य पोलित ब्यूरो या केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं.

836 वामपंथी उग्रवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और 1,639 आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. आत्मसमर्पित नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल हैं.

बुधवार को छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सीपीआई (माओवादी) के 88 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जो नक्सल विरोधी अभियान की एक और सफलता है. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की श्रेणी में भी यह संख्या 18 से घटकर मात्र 11 रह गई है.

अब केवल 11 जिले ही माओवादी हिंसा प्रभावित

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ये 11 जिले, जिनमें तीन सबसे अधिक प्रभावित जिले शामिल हैं, ये हैं: मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, नारायणपुर बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर,और सुकमा (सभी छत्तीसगढ़), पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड), बालाघाट (मध्य प्रदेश), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और कंधमाल (ओडिशा).

बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार के तहत, राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति के कठोर कार्यान्वयन के माध्यम से नक्सल समस्या से निपटने में “अभूतपूर्व सफलता” प्राप्त हुई है, जिसमें एक बहुआयामी दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है.

कभी 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा भारत की “सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती” कहा गया नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से कम होता दिख रहा है. बयान में कहा गया है कि नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल गलियारे की योजना बनाई थी.

2013 में, विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सली हिंसा की सूचना मिली थी, लेकिन मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 18 रह गई, जिनमें से केवल छह को ‘सबसे अधिक प्रभावित जिले’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और अब इनकी संख्या घटकर तीन रह गई है.

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