3 क्विंटल का सिर, 40 फीट की जूतियां… कोटा में जलेगा देश का सबसे बड़ा रावण; गिनीज बुक में दर्ज होगा नाम
कोटा में 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में आज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा. 221 फुट से अधिक ऊंचे रावण के पुतले का दहन आज होगा. रावण के पुतले में पूरी तरह ग्रीन पटाखों का प्रयोग किया गया है. रावण का दहन रिमोट से स्टेप-बाय-स्टेप किया जाएगा. इसके फेज-2 में आकर्षक आतिशबाज़ी दिखेगी. ये रावण काफी बड़ा है. रावण के मुकुट की चौड़ाई 60 फीट है. वहीं उसकी जूतियां 40 फीट की हैं. यही नहीं उसके सिर का वजन 3 क्विंटल है. इस रावण में हैरान कर देने वाली ऐसी कई चीजें समाहित हैं.
405 मीटर कपड़े से निर्मित परिधान पहने रावण खूबसूरत दिख रहा है. मखमल के कपड़ों से तैयार रावण का परिधान और उस पर फोम शीट से की गई कारीगरी रावण के वस्त्रों को और भी आकर्षक बना रही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे.
कोटा में देश के सबसे बड़े रावण का दहन होगा. रावण की मखमली पोशाक 405 मीटर मखमली कपड़े से तैयार की गई है. विश्व कीर्तिमान बनाने के उद्देश्य से दशानन को मैदान में क्रेन की सहायता से कुछ ही घंटों में खड़ा कर दिया गया. पुतले की नपाई हो चुकी है.
बनाने में लगे 4 महीने
इस प्रकार कोटा का ये ‘132वां राष्ट्रीय दशहरा मेला 2025’ इतिहास में दर्ज होने के लिए तैयार है. पिछले चार महीनों से रावण के पुतले को बनाने में जुटे कारीगरों ने क्रेन की मदद से पुतला खड़ा किया. इससे पहले मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी तथा मेला अधिकारी अशोक कुमार त्यागी ने दहन स्थल पर बनाए गए सीमेंटेड फाउंडेशन का पूजन किया.
इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवताओं का आह्वान किया गया. मेला परिसर में सीना ताने खड़ा 221 फुट का रावण दूर से ही नज़र आ रहा था. सड़क पर चलते राहगीर भी रुककर दूर से रावण देखने लगे और कई लोग रावण के साथ सेल्फी लेते रहे.
हेलीपैड की तरह तैयार हुई सीमेंटेड जमीन
पुतले की विशालकाय लंबाई को देखते हुए इस बार मेला प्रशासन ने दहन स्थल को विजयश्री रंगमंच से मैदान की पूर्व दिशा में स्थानांतरित कर दिया. कच्ची जमीन होने के कारण दहन स्थल पर 26 × 24 का आरसीसी सॉलिड फाउंडेशन तैयार किया गया था. आठ स्टील की जैक रॉडें लगाई गईं और आठ लोहे की रस्सियों से रावण को सपोर्ट दिया गया है.
पेडस्टल पर फिश प्लेट जोड़कर उन पर आठ नट की चूड़ियों से रावण का पुतला खड़ा किया गया. पुतला खड़ा करने में 220 टन और 100 टन क्षमता वाली हाइड्रोलिक क्रेनें काम में ली गईं.
स्लिम और रौबदार चेहरा
रावण का पुतला पहले की अपेक्षा लंबा और स्लिम दिख रहा है. चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछें रौबदार नज़र आ रही हैं. चेहरा फाइबर ग्लास से बना है, जो लगभग 25 फुट लंबा और तीन क्विंटल वजनी है. इसके 60 फुट के मुकुट में कलर्ड एलईडी लाइटें लगाई गई हैं. मुकुट के साथ ढाल में लगी एलईडी भी चमक रही है.
पुतले को लाल, हरे और नीले रंग के कपड़ों से कवर किया गया है, जो बहुत ही आकर्षक नज़र आ रहा है. रावण को इस बार भी दशानन स्वरूप में ही बनाया गया है. इसकी तलवार 50 फुट की है और जूतियां 40 फुट की हैं. पुतले में रिमोट कंट्रोल के 25 पॉइंट फिट किए गए हैं.
10-10 ब्लास्टिंग पॉइंट
यह दशहरा मेला अब विश्व स्तर पर पहचान पाने जा रहा है. विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने के बाद कोटा के दशहरे मेले को अलग पहचान मिलेगी. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए 45 बार अलग-अलग पैरामीटर से माप किया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार रावण का पुतला 221 फुट से भी अधिक ऊंचा है. मेघनाद और कुंभकर्ण के 60 फुट ऊंचे पुतले भी बुधवार को खड़े किए गए. इनमें 10-10 ब्लास्टिंग पॉइंट और तीन-तीन पायरोज लगाए गए हैं.
मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि रावण दहन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अतिथि के रूप में शामिल होंगे. साथ ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक शांति कुमार धारीवाल, संदीप शर्मा और कल्पना देवी भी मौजूद रहेंगे.
रिमोट से आतिशबाजी
रावण का पुतला पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से नियंत्रित होगा, जिससे रिमोट से पुतले में आतिशबाज़ी नियंत्रित की जाएगी. रिमोट सिस्टम से क्रमिक रूप से पुतले का दहन किया जाएगा. पांच पायरोज और 25 ब्लास्टिंग पॉइंट लगाए गए हैं. आतिशबाज़ी के दौरान सबसे पहले रावण की छतरी में ब्लास्ट होगा, इसके बाद मुकुट में ब्लास्ट होगा. टोपी में पहले हरा, फिर पीला और फिर नीला रंग फूटेगा.
सबसे बड़ा पॉइंट नक्काशी में लगाया गया है. साइड के चेहरों में दोनों ओर तीन-तीन ब्लास्टिंग पॉइंट लगाए गए हैं. इसके अलावा रावण के बड़े चेहरे, मस्तक और ठोड़ी में भी ब्लास्टिंग पॉइंट हैं. साथ ही ढाल, कंधे और तलवार पर भी ब्लास्टिंग पॉइंट लगाए गए हैं. मेला समिति अध्यक्ष ने बताया कि रावण के पुतले में पूरी तरह ग्रीन आतिशबाज़ी का प्रयोग किया गया है. रावण की नाभि और चरणों में भी अग्नि प्रज्वलित होगी.
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