साल था 2001… तारीख थी 13 दिसंबर… राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड थी और संसद में शीतकालीन सत्र जारी था. सदन के भीतर ‘महिला आरक्षण बिल’ को लेकर हंगामा हो रहा था. इस दौरान, किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि चंद मिनटों में भारत के लोकतंत्र के केंद्र पर ऐसा आतंकी हमला होगा, जो पूरे देश को झकझोर कर रख देगा.
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