मुंगेर | मुंगेर विश्वविद्यालय को नवंबर माह के लिए वेतनादि मद में 2.84 करोड़ रुपये की राशि सरकार से विमुक्त कर दी गई है। यह राशि विश्वविद्यालय मुख्यालय और इसके 17 अंगीभूत कॉलेजों में कार्यरत नियमित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों के वेतन के साथ-साथ अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान के लिए स्वीकृत की गई है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक प्रो. एनके अग्रवाल ने कुलसचिव को पत्र भेजकर जानकारी दी है। पत्र में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद के तहत नियमित रूप से सृजित पदों पर कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान हेतु राशि उपलब्ध कराई गई है। प्राप्त राशि से विश्वविद्यालय मुख्यालय और सभी 17 अंगीभूत कॉलेजों में तैनात 252 कर्मियों को नवंबर माह का वेतन दिया जाएगा। साथ ही अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान की व्यवस्था भी इसी राशि से सुनिश्चित की जाएगी। वेतन भुगतान की प्रक्रिया बिना किसी देरी के पूरी होगी। मुंगेर | आरडी एंड डीजे कॉलेज में स्नातक सेमेस्टर-1, सत्र 2025-29 में पूर्व में आंतरिक परीक्षा देने से वंचित रह गये विद्यार्थियों को दोबारा 24 नवंबर को परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। जिसके लिए सूचना जारी कर दी गयी है। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. बिजेंद्र कुमार ने बताया कि वैसे विद्यार्थी, जो पूर्व में आंतरिक परीक्षा में अनुपस्थित रह गये थे, वैसे विद्यार्थियों की आंतरिक परीक्षा 24 नवंबर को एलटी-1 में पूर्वाह्न 10.30 से होगी। जिसके लिए सभी विभागाध्यक्षों को भी निर्देशित कर दिया गया है। मुंगेर| 21 नवंबर (शनिवार) को हुई दोबारा मतगणना को लेकर निर्वाचित सीनेटर राजाराम प्रसाद सिंह ने असंतोष जताते हुए कुलपति की उपस्थिति में पुनः मतगणना कराने की मांग की है। कुलसचिव को भेजे गए पत्र में दावा किया गया है कि मतगणना के दौरान तीन लिफाफे बिना सील पाए गए। जिनमें महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे थे। उनका आरोप है कि यह लापरवाही मतों की शुचिता पर प्रश्न खड़ा करती है।इससे पहले भी संबंधित पदाधिकारी द्वारा उनके पक्ष में गए मतों को त्रुटिपूर्ण बताते हुए अमान्य कर दिया गया था। जबकि वे पूर्ण रूप से मान्य थे। उनका कहना है कि पदाधिकारी की गलती की कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। जिससे वास्तविक मतदाताओं की इच्छा प्रभावित हो रही है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले कई निर्वाचन प्रक्रियाओं में भी ऐसी शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन इस बार स्थिति स्पष्ट रूप से चिंताजनक है। उन्होंने कुलपति से मांग की है कि उनकी उपस्थिति में पुनर्गणना हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सही निर्णय करेगा।
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