शिक्षा व्यवस्था को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए नालंदा जिला प्रशासन ने विद्यालय शिक्षा समितियों के व्यापक प्रशिक्षण की रणनीति तैयार की है। जिले के समस्त 2165 प्रारंभिक विद्यालयों में गठित शिक्षा समितियों को सशक्त और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक समिति के 6 प्रमुख सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की खास बात यह है कि इसमें समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। प्रत्येक विद्यालय की शिक्षा समिति से अध्यक्ष, सचिव और प्रधानाचार्य के अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग से एक-एक प्रतिनिधि को प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा। यह व्यवस्था सामाजिक समावेशन और समान भागीदारी की दिशा में एक सराहनीय कदम माना जा रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यालय शिक्षा समिति किसी भी स्कूल की रीढ़ होती है। विद्यालय के विकास, मध्याह्न भोजन के सुचारु संचालन और शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने में इन समितियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए समिति सदस्यों को उनके दायित्वों और अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी। राज्य स्तर से सख्त निगरानी राज्य परियोजना निदेशक मयंक वरवड़े ने जिला शिक्षा पदाधिकारी आनंद विजय और समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मोहम्मद शाहनवाज को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रशिक्षण कार्य 5 मार्च तक हर हाल में पूर्ण कराया जाए। साथ ही प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों की प्रविष्टि प्रबंध पोर्टल पर अनिवार्य रूप से की जाए। जिलास्तरीय प्रशिक्षण स्थलों और प्रशिक्षणार्थियों की जानकारी राज्य कार्यालय को उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया गया है, जिससे राज्य स्तर से प्रभावी अनुश्रवण हो सके। विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक बैच में सात विद्यालयों की समितियों के छह-छह सदस्यों, यानी कुल 42 प्रशिक्षणार्थियों को शामिल किया जाएगा। प्रशिक्षण का दायित्व पूर्व में प्रशिक्षित उत्प्रेरकों, आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनरों और अनुभवी सरकारी शिक्षकों को सौंपा जाएगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक बैच में कम से कम एक सरकारी शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में अवश्य मौजूद रहे। कॉम्पलेक्स सेंटर होंगे प्रशिक्षण केंद्र प्रशिक्षण स्थलों के चयन में व्यावहारिकता का ध्यान रखा गया है। कॉम्पलेक्स सेंटर के आधार पर ऐसे विद्यालयों को प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा, जहां प्रशिक्षणार्थी आसानी से पहुंच सकें। इससे प्रशिक्षण में अधिकतम उपस्थिति हो सकेगी। प्रत्येक विद्यालय में शिक्षा समिति की बैठक आयोजित कर प्रशिक्षण के लिए सदस्यों का चयन किया जाएगा। चयनित सदस्यों को विद्यालय और उसके पोषक क्षेत्र का विस्तृत भ्रमण कराया जाएगा, ताकि वे विद्यालय की वास्तविक स्थिति और चुनौतियों से परिचित हो सकें। अनुश्रवण दल रखेगा निगरानी प्रशिक्षण की गुणवत्ता के लिए समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष अनुश्रवण दल का गठन किया जाएगा। यह दल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रशिक्षण केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि वास्तव में धरातल पर प्रभावी रूप से संपन्न हो रहा है। समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मोहम्मद शाहनवाज ने बताया कि विभागीय प्रावधानों के अनुरूप प्रशिक्षण कार्य की तैयारी पूरी कर ली गई है। हमारा लक्ष्य निर्धारित समयावधि में सभी 2165 प्रारंभिक विद्यालयों की शिक्षा समितियों को प्रशिक्षित करना है, जिससे विद्यालयों का तेज गति से विकास हो सके।
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