औरंगाबाद जिले के किसानों के लिए नए साल में बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है। उत्तर कोयल नहर प्रणाली के अंतर्गत अंबा, नवीनगर, औरंगाबाद और मदनपुर प्रमंडलों में 213.73 करोड़ की लागत से नहरों को आधुनिक स्वरूप देने का कार्य शुरू होने जा रहा है। विभाग के अनुसार दिसंबर के अंतिम सप्ताह में टेंडर खोले जाएंगे। जनवरी 2026 से कच्ची नहरों सहित सभी वितरणियों, उपवितरणियों और संरचनाओं की रिमॉडलिंग का कार्य शुरू होगा। जल शक्ति मंत्रालय ने नहर के जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी वाप्कोस को दी है। सीडब्ल्यूसी और अन्य तकनीकी समितियों की देखरेख में फिल्ड चैनल, जलवाहा, लघु नहरों, उपवितरणियों आदि की सफाई और मजबूती की जाएगी। साथ ही पुराने पुल-पुलिया, फॉल, सीआर और एचआर गेट को आधुनिक मानकों के अनुसार पुनर्निर्मित किया जाएगा। पिछले 50 वर्ष से नहरों की सफाई और तटबंधों की मरम्मत नहीं होने से कई स्थानों पर खर-पतवार और कचरा जमा हो गया है तथा तटबंध जर्जर हो चुके हैं। डैम में गेट लगने से खत्म होगी सूखे की समस्या कुटकु डैम में फाटक लगाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है, जो 1972 से अधर में लटका था। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार डूब क्षेत्र में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा पीढ़ी दर पीढ़ी लाभुकों को प्रदान कर दिया गया है। करीब 53 वर्षों बाद विस्थापित परिवारों के दावों का निपटारा किया गया है। गेट लगने और नहरों की सफाई पूरी होने पर औरंगाबाद और गयाजी जिले के किसानों को अकाल-सुखाड़ से बड़ी राहत मिलेगी। उत्तर कोयल नहर परियोजना बिहार विभाजन से पूर्व वर्ष 1972 में शुरू हुई थी। उस समय दक्षिणी क्षेत्र में सिंचाई के अभाव में बड़ी संख्या में भूमि बंजर होती जा रही थी। किसान धान की खेती में भारी संकट झेल रहे थे। नहर की खुदाई से किसानों में नई उम्मीद जगी, लेकिन 1974-77 के बीच हुई खुदाई के बाद भी नहरों और संरचनाओं का रख-रखाव नहीं हुआ। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से फाटक लगाने पर रोक, यूपीए शासन में उदासीनता, झारखंड क्षेत्र में नहर तटबंध पर अवैध हाईटेंशन लाइन जैसी बाधाओं के कारण परियोजना वर्षों तक लटकी रही। वर्ष 2009 में सांसद बनने के बाद सुशील कुमार सिंह ने संसद में इसकी आवाज उठाई। 2014 में केंद्र में नई सरकार आने के बाद फिर से पहल शुरू हुई। पूर्व सांसद के प्रयास से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंडल डैम का निरीक्षण कर रोक हटाने की घोषणा की। इसके बाद 2017 में परियोजना को दूसरी बार स्वीकृति मिली। पीएम नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास किया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास के बाद नहर में लाइनिंग और संरचनाओं का कार्य तेजी से जारी है। 1972 में 30 करोड़ की लागत से शुरू हुई परियोजना में 2017 तक 930 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। अब 213.73 करोड़ की नई योजना से नहरों का कायाकल्प होने जा रहा है। किसानों को फसल सिंचाई में मिलेगी मदद जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि अंबा प्रमंडल के लिए 64.12 करोड़, नवीनगर के लिए 47.85 करोड़, औरंगाबाद के लिए 50.81 करोड़ और मदनपुर प्रमंडल के लिए 50.95 करोड़ रुपए की निविदा निकाली गई है। इससे नहर प्रणाली पूर्ण रूप से दुरुस्त होगी और किसानों को भरपूर सिंचाई मिलेगी। पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर कोयल नहर परियोजना को पूरा कर मगध की धरती को लाल पानी से सिंचित करना मेरा संकल्प है। अनेक बाधाओं को दूर किया गया है और अगले वर्ष मुख्य नहर की लाइनिंग से लेकर सभी संरचनाओं का कार्य पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर हजारों एकड़ कृषि भूमि को वर्षभर सिंचाई का भरोसेमंद स्रोत मिलेगा और दक्षिणी मगध में कृषि उत्पादन नई ऊंचाइयों को छू सकेगा।
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