कृषि विज्ञान केंद्र ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा और भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से 17 से 21 दिसंबर तक के मौसम पूर्वानुमान में बेगूसराय सहित उत्तर बिहार में न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान जताया है। इस दौरान कुहासा के साथ पूर्वा और पछुआ हवा चलने की भी संभावना है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. रामपाल ने बताया कि तीन दिनों का औसत अधिकतम और न्यूनतम तापमान 25.2 व 9.1 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि 17 से 21 दिसंबर तक बेगूसराय सहित उत्तर बिहार के जिलों में मौसम साफ और शुष्क रहने का अनुमान है। सुबह में हल्का से मध्यम कुहासा छा सकता है। न्यूनतम तापमान 9 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान अधिकतम तापमान 24 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। इस अवधि में औसतन 3 से 5 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चल सकती है। 20-21 दिसंबर के आसपास पूर्वा हवा भी चल सकती है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 85 से 95 प्रतिशत और दोपहर में 40 से 45 प्रतिशत रहने की संभावना है। इसके मद्देनजर किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए गए हैं। गेहूं की पिछात किस्मों की बुआई 25 दिसंबर से पहले ज़रुर कर लें। क्योंकि इसके बाद बुआई करने पर उपज में भारी कमी आ सकती है। इस क्षेत्र के लिए गेहूं की पिछात किस्मों एचडी- 2733, एचयूडब्ल्यू- 468, डब्लूआर- 544, डीबीडब्लू- 39. एचडी- 2967 और एचडब्लू- 2045 किस्में अनुशंसित हैं। 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर डालने की सलाह बुआई से पहले प्रति किलो बीज को 2.5 ग्राम बेविस्टीन से उपचारित करें। उसके बाद क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा की 8 मिली मात्रा प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें। खेत की तैयारी के समय 40 किलो यूरिया, 40 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। जिन क्षेत्रों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देते हों, वहां अंतिम जुताई के समय 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर डालें। छिड़काव बुआई के लिए 150 किलो और सीड ड्रिल की ओर से पंक्तियों में बुआई के लिए 125 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें। बुआई से पहले खेत में हल्की सिंचाई जरुर करें, जिससे बीजों का अच्छा जमाव सुनिश्चित हो सके। 21-25 दिन की गेहूं की फसल में सिंचाई के साथ 30 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। पूरी फसल को भारी नुकसान हो सकता अगात बोई गई रबी मक्का की 50-55 दिन की फसल में 50 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर देकर मिट्टी चढ़ाने का काम करें। फसलों में कीट और रोगों की नियमित निगरानी करते रहें। टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की विशेष निगरानी करें। क्योंकि इसके पिल्लू फल के अंदर घुसकर उसे नष्ट कर देते हैं। जिससे पूरी फसल को भारी नुकसान हो सकता है। आलू की फसल में निकौनी करें। निकौनी के बाद प्रति हेक्टेयर 75 किलोग्राम यूरिया देकर आलू में मिट्टी चढ़ाने का काम करें। आलू में कीट-व्याधी की निगरानी करें। प्याज की 50-55 दिन की तैयार पौध की रोपाई करें। रोपाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें। खेत की तैयारी के समय 15-20 टन गोबर की खाद के साथ 60 किलो यूरिया, 80 किलो फास्फोरस, 80 किलो पोटाश और 40 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। मटर, टमाटर, बैंगन व मिर्च जैसी सब्जी फसलों में फल छेदक कीट का प्रकोप दिखाई देने पर स्पिनोसैड 48 ईसी दवा की 1 मिली मात्रा प्रति 4 लीटर पानी या क्विनालफॉस 25 ईसी दवा की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं के आहार में तेलहन और अनाज की मात्रा बढ़ाएं।
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