2016 में संसद में खड़े होकर कहा था… ओवैसी ने बताया तालिबान से अच्छे संबंध भारत के लिए क्यों जरूरी?
भारत और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर संबंध पटरी पर लौट रहे हैं. तालिबान सरकार के आने के बाद पहली बार विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की भारत पर आए हैं. इस दौरे को लेकर अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. इसमें उन्होंने भारत-अफगानिस्तान के दोबारा संबंध स्थापित करने पर जोर दिया है. ओवैसी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि काबुल से पूर्ण राजनयिक संबंध बनाने चाहिए.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं दोनों देशों के इस कदम का स्वागत करता हूं. मैंने 2016 में संसद में खड़े होकर कहा था कि तालिबान आएंगे. उनसे बात कीजिए. कई मीडियाकर्मियों और बीजेपी सदस्यों ने उस समय तालिबान के बारे में बात करने के लिए मुझे गालियां दीं.
उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम वहां से अफगानिस्तान जाएंगे. अब, हम उस क्षेत्र का प्रभाव चीन और पाकिस्तान पर कैसे छोड़ेंगे? उनके विदेश मंत्री भारत में हैं और पाकिस्तानी वायु सेना ने उस जगह पर बमबारी की है. क्या आप देख रहे हैं कि यह कैसे चल रहा है?
#WATCH | On India’s relations with Afghanistan, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says in an interview to ANI, “I welcome it. I stood in Parliament in 2016 and said that the Taliban would come. Talk to them. Many media people and BJP members abused me for talking about the Taliban. pic.twitter.com/mHRfOZrRrS
— ANI (@ANI) October 12, 2025
रणनीतिक साझेदारी से क्षेत्र की स्थिति होगी मजबूत- ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि हमें पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने चाहिए. देश की सुरक्षा और भू-राजनीतिक हितों के लिए हमारी उपस्थिति वहां महत्वपूर्ण है. हमारे पूर्ण राजनयिक संबंध होने चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर भारत अफगानिस्तान से आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाता है तो यह पूरे क्षेत्र में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, जो कभी तालिबान का समर्थक था, अब उन्हीं पर बमबारी कर रहा है. यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते हैं.
कैसे हैं दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंध
भारत ने अभी तक तालिबान को उसकी सरकार के लिए मान्यता नहीं दी है. 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने अपने दूतावास को बंद कर दिया था. भारत और अफगानिस्तान के बीच तालिबान सरकार के आने के बाद से ही संबंध पूरी तरह खत्म हो चुके थे. हालांकि अब इन रिश्तों में एक बार फिर सुधार हो रहा है.
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