2010 का दंगा, अतीक के एनकाउंटर पर प्रदर्शन; बरेली बवाल के बाद मौलाना तौकीर रजा पर NSA की तैयारी!
यूपी के बरेली में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद शहर की फिजा एक बार फिर बिगड़ गई. नमाज का वक्त गुजरते ही बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. देखते ही देखते बाजारों में अफरा-तफरी मच गई और दुकानदारों ने डर के माहौल में शटर गिरा दिए. भीड़ ने जगह-जगह रोडवेज बसों को रोक लिया और बच्चों को आगे करके सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की. पुलिस ने हालात संभालने में पूरी ताकत झोंक दी. इस दौरान 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए जबकि 50 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
सूत्रों के मुताबिक, मौलाना तौकीर रजा पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाने पर विचार हो रहा है. पुलिस ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है. अब इस पूरे घटनाक्रम में बच्चों को आगे करने वाले माता-पिता को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा. आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां पर पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं.
मौलाना तौकीर रजा पर 6 से ज्यादा केस
पुलिस का कहना है कि मौलाना बार-बार शहर का माहौल खराब करने का काम करते हैं. उनके आह्वान पर भीड़ तीन बार बवाल कर चुकी है और हर बार पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी. इसी वजह से पुलिस अधिकारी अब एनएसए जैसी कड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं. कोतवाली थाने में मौलाना तौकीर रजा पर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से एक में फाइनल रिपोर्ट भी लगी थी.
वर्ष 2020 में संभल के नखासा थाने में धमकी देने का केस दर्ज हुआ था. बरेली के प्रेमनगर थाने में जानलेवा हमला और तोड़फोड़ का मुकदमा दर्ज है. फरीदपुर थाने में धर्म विशेष की भावनाएं भड़काने का केस भी दर्ज किया गया था. इन मामलों में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. करीब ढाई साल पहले पहलवान साहब की दरगाह के पास पुलिस को भीड़ काबू करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा था.
पुराना इतिहास भी विवादों से भरा
उस दौरान भी माहौल तनावपूर्ण हो गया था. इसके बाद अतीक अहमद के एनकाउंटर और सलमान अजहरी की गिरफ्तारी के विरोध में इस्लामिया मैदान पर प्रदर्शन के दौरान दूसरी बार पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. शुक्रवार को तीसरी बार मौलाना के बुलावे पर बरेली की सड़कों पर बवाल हुआ. करीब दो दशक पहले एक अखबार में अरुण शौरी के लेख के खिलाफ भी मौलाना ने आंदोलन किया था.
उस समय भीड़ ने बिहारीपुर करोलाल बैरियर पार कर नौमहला जाने की कोशिश की थी. पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो माहौल बिगड़ गया और लाठीचार्ज करना पड़ा. वर्ष 2010 के दंगों में भी मौलाना का नाम सामने आया था. उस वक्त पुलिस ने चार्जशीट में उनका नाम शामिल नहीं किया, लेकिन गवाहों के बयानों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश कुमार दिवाकर ने मौलाना को आरोपी मानते हुए मार्च 2024 में समन जारी किया.
भूमिगत हो गए थे मौलाना
कोर्ट ने उन्हें 11 मार्च को पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और भगोड़ा घोषित करने की कार्रवाई शुरू कर दी. अप्रैल 2024 में कुर्की की कार्रवाई तक शुरू हो गई थी. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक तलाश की, लेकिन मौलाना नहीं मिले. मोबाइल फोन बंद करके वह भूमिगत हो गए.
इस पर कोर्ट ने पुलिस को फटकार भी लगाई और यहां तक कहा कि प्रेमनगर थाने का इंस्पेक्टर मौलाना की मदद कर रहा है. इस बीच उनके दो करीबियों- बानखाना के आरिफ और पिपरिया निवासी अबरार को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उनके घरों और सौदागरान स्थित आवास पर कुर्की के नोटिस चस्पा कर दिए गए.
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी राहत
20 अप्रैल 2024 को होने वाली सुनवाई से पहले मौलाना को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई. इसके बाद मामला जिला जज की कोर्ट में ट्रांसफर हो गया, जहां अभी सुनवाई चल रही है. शुक्रवार की घटना के बाद पुलिस प्रशासन अब सख्त मूड में है. शासन को भेजी गई रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि उपद्रवियों ने बच्चों को आगे कर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की.
ऐसे में अब बच्चों को भीड़ में लाने वाले माता-पिता पर भी केस दर्ज किया जा सकता है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि बार-बार बरेली में हिंसा और तनाव फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. मौलाना तौकीर रजा पर एनएसए जैसी कार्रवाई पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.
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