नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे शशि थरूर ने बिहार के विकास के लिए केंद्र और नीतीश सरकार की जमकर तारीफ की है। सोमवार को नालंदा में पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस सांसद ने कहा कि बिहार में काफी बदलाव हुए हैं और ये बदलाव अच्छा है, हालांकि मैं पहले नहीं आया था, लेकिन अब जब बिहार आया हूं तो काफी अच्छा लग रहा है। शशि थरूर ने कहा कि बिहार के रास्ते अच्छे हैं, बिजली है, पानी है, लोग रात को भी बाहर रह रहे हैं। ये सब देखकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले मैने लिखा था, तब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम थे। उन्होंने कहा था कि नालंदा को उसकी विरासत को देखते हुए इसे रिवाइव करना चाहिए, मैंने भी कहा था कि 21वीं शताब्दी में नालंदा के लिए कुछ करना चाहिए। थरूर ने कहा कि अब 20 साल बाद आकर नालंदा देखना, कैंपस को देखना, लोगों से मिलना, नालंदा यूनिवर्सिटी के छात्रों से मिलना बहुत सुखद है। नालंदा को आगे लेकर जाना चाहिए, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए। राज्य और केंद्र सरकार को इसके लिए पूरा समर्थन भी देना चाहिए। मनरेगा स्कीम की जगह ‘विकसित भारत-जी राम जी’ पर भी बोले थरूर शशि थरूर ने नालंदा में मनरेगा स्कीम की जगह ‘विकसित भारत-जी राम जी’ पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मनरेगा स्कीम को लेकर सोनिया गांधी विशेष रूप से चिंतित हैं, क्योंकि ये साल 2005 में लाया गया था, जो ओरिजिनल कॉन्सेप्ट था और इसमें सोनिया गांधी काफी हद तक शामिल थीं। थरूर ने कहा कि 20 साल बाद मनरेगा को खत्म होते देखना दिल तोड़ने वाला है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि मनरेगा को खत्म किए जाने को लेकर कई लोगों की चिंताएं हैं। हमने इस मुद्दे को पार्लियामेंट में उठाने की कोशिश की। पार्टी का नाम जरूरी है क्योंकि ज़ाहिर है, गांधीजी के राम राज्य के विजन में ग्राम स्वराज शामिल था और इस नए बिल में इसे पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। थरूर ने कहा कि हल्के-फुल्के अंदाज में कहूं तो, मुझे बचपन का एक बॉलीवुड गाना याद आ रहा है, जिसके बोल “देखो, तुम पागल लोग, ऐसा मत करो, राम का नाम बदनाम न करो” थे। मुझे नहीं पता, ये एक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा ये है कि बोझ राज्यों पर ज़्यादा ट्रांसफर किया जा रहा है। 40% खर्च राज्यों को उठाना होगा, जबकि पुराने सिस्टम में यह सिर्फ़ 25% था, जिसका मतलब है दोगुनी रकम। पैसा अब सेंटर से नहीं आएगा, और कई राज्यों के पास रिसोर्स नहीं हैं। मुझे बिहार के बारे में नहीं पता, लेकिन केरल में, पहले ही अनुमान लगाया है कि इसमें 2000 करोड़ रुपए ज़्यादा लगेंगे। उनके पास पैसा नहीं है। यह कई राज्यों के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा बनने वाला है जिनके पास इसके लिए पेमेंट करने के लिए रिसोर्स नहीं हैं। एक चिंता यह भी है कि कटाई के मौसम में जीरो अवेलेबिलिटी होगी। चौथी बात, एक चिंता यह है कि ये अब डिमांड-ड्रिवन नहीं रहा, जैसा कि ओरिजिनल कॉन्सेप्ट था। ये इस बात पर सप्लाई-ड्रिवन होगा कि सरकार और रिसोर्स कितने अलॉट किए जाते हैं। इसलिए प्रोसेस में कई लिमिटेशन हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुराने और नए कैंपस पर भी खुलकर की बात नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल में प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी की ओर से भारतीय यूनिवर्सिटीज की ग्लोबल भूमिका पर पूछे गए सवालों के जवाब में शशि थरूर ने खुलकर बात की। उन्होंने प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी के बारे में बात करते हुए कहा कि ये कभी विश्व का सबसे प्रमुख यूनिवर्सिटी था, जहां एशिया के विभिन्न देशों से विद्यार्थी बिना किसी शुल्क के अध्ययन करते थे। डॉ. थरूर ने कहा कि नालंदा का पुनर्जीवन आज उसके मूल स्थल पर नहीं, बल्कि एक नए और आधुनिक स्वरूप में किया गया है, जो उचित है, क्योंकि पुराना स्थल एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर है। वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए डॉ. थरूर ने स्पष्ट रूप से कहा कि आज भारत के विश्वविद्यालय विश्व के शीर्ष संस्थानों में शामिल नहीं हैं। हालांकि आईआईटी और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे कुछ संस्थान हाल के वर्षों में वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष 200 में आए हैं, लेकिन वे अभी भी शीर्ष स्तर से काफी पीछे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक शैक्षणिक प्रतिष्ठा दोबारा हासिल करने के लिए लंबा सफर तय करना होगा। मोदी सरकार की शिक्षा नीति की भी सराहना की शिक्षा नीति पर बोलते हुए डॉ. थरूर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सराहना की। उन्होंने इसे व्यापक परामर्श से बनी एक दुर्लभ नीति बताया और कहा कि मसौदा तैयार करने के दौरान वे स्वयं इस प्रक्रिया से जुड़े थे तथा उनके कई सुझाव इसमें शामिल किए गए। उन्होंने कहा कि यह नीति किसी एक सरकार या पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे देश के हित में बनी है, इसी कारण वे इसका समर्थन करते हैं।
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