देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान के बीच बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) की मौतें चिंता का कारण बन गई हैं। 21 नबंवर की रात से 22 नवंबर के मध्य प्रदेश में दो बीएलओ की ‘बीमारी’ के कारण मौत हो गई। मध्य प्रदेश के भोपाल में दो बीएलओ को हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। पश्चिम बंगाल में एक महिला बीएलओ ने भी आत्महत्या कर ली। मृतकों के परिजनों ने ज्यादा काम और लक्ष्य पूरा करने के दबाव को मौत का कारण बताया है। निर्वाचन आयोग की शनिवार की रिपोर्ट के अनुसार बड़े राज्यों में राजस्थान में सर्वाधिक 60.54% फॉर्म डिजिटलाइज हुए हैं। वहीं, केरल में सबसे कम 10.58% फॉर्म डिजिटल हो पाए हैं। कुल 98.98% फॉर्म बंट चुके हैं। बंगाल: दूसरा सुसाइड, अब तक 3 की मौत हुई मध्य प्रदेश: एक रात में 2 बीएलओ की मौत, एक लापता, दो को हार्ट अटैक मप्र के रायसेन में शनिवार को बीएलओ रमाकांत पांडे की मौत हुई। परिजनों ने बताया कि योगेश चार रातों से नहीं सोया था। ऑनलाइन मीटिंग के बाद बेहोश होकर गिरा था। फिर बचाया नहीं जा सका। दमोह के सीताराम गोंड (50) भी फॉर्म भरते समय बीमार। इलाज के दौरान मौत। रायसेन के बीएलओ नारायण सोनी छह दिन से लापता हैं। परिजनों ने कहा, टारगेट, देर रात मीटिंग और निलंबन की चेतावनी से परेशान थे। भोपाल में शनिवार को काम कर रहीं बीएलओ कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक को ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आया। दोनों भर्ती हैं। 6 नवंबर को दमोह में सड़क हादसे में श्याम शर्मा (45) की मौत। दतिया के उदयभान सिहारे (50) ने 11 नवंबर को खुदकुशी की।
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