तेजस्वी यादव की नई पॉलिटिक्स, नई लाइफ स्टाइल और नई रणनीति…। सब कुछ एक साथ सुर्खियों में है। चुनावी मैदान में 17 दिनों (24 अक्टूबर से 9 नवंबर) में 183 रैलियां करने वाले तेजस्वी नतीजों में सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गए। इतनी बड़ी हार के बाद ना कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की और ना ही बड़ी समीक्षा बैठक। कुछ दिन बाद एक दिन पार्टी की रिव्यू मीटिंग की। उसमें विधायक दल का नेता चुन लिया। इसके बाद फिर चुप्पी साध ली। घर से तब निकले (1 दिसंबर को) जब विधानसभा में शपथ लेनी थी। शपथ ली। अगले दिन स्पीकर के चुनाव पर धन्यवाद भाषण दिया और यूरोप की फ्लाइट ले ली। 30 दिनों की यूरोप ट्रिप-आखिर यह ब्रेक है, रिसेट है या नई राजनीति का हिस्सा? मंडे मेगा स्टोरी में पढ़िए, तेजस्वी यादव की यूरोप यात्रा के पीछे की असली वजह, उनकी वापसी की टाइमिंग और इसका बिहार की राजनीति पर संभावित असर…। 2 पॉइंट में तेजस्वी यादव विदेश क्यों गए… 1- चुनावी हार और परिवार में कलह 14 नवंबर को रिजल्ट आया, पार्टी की शर्मनाक हार हुई। 15 नवंबर को रोहिणी आचार्या ने घर छोड़ दिया। रोती-बिलखती नजर आईं। गंभीर आरोप लगाए। पार्टी सूत्रों के अनुसार चुनावी हार और परिवार में चल रही कलह से तेजस्वी यादव रिलैक्स होना चाहते थे। धुआंधार चुनाव प्रचार के बाद आराम और परिवार को समय देने की जरूरत महसूस हो रही थी। इसके चलते तेजस्वी विदेश गए। वह फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं। अभी तुरंत कोई चुनाव नहीं है। वह तरोताजा होकर आएंगे और पार्टी को नई रणनीति के साथ आगे ले जाएंगे। 2. किसी बड़े नेता के इशारे पर, विदेश गए तेजस्वी बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव के विदेश जाने के पीछे एक बड़े नेता की भूमिका की भी चर्चा है। वह नेता राजद के नहीं हैं। तेजस्वी ने हाल के समय में कुछ ऐसे काम किए, जिससे ऐसी अटकलों को बल मिला है। चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने 2 एजेंसियों से सर्वे कराए। इसके डाटा के एनालिसिस के अनुसार टिकट बांटना था, लेकिन तेजस्वी नेताओं के साथ मीटिंग में बैठे तो उनके हाथ में भाजपा की एजेंसी द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में विधानसभा वाइज जानकारी थी। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच यह चर्चा रही कि भाजपा के चाहे बगैर यह रिपोर्ट कैसे तेजस्वी यादव तक पहुंच सकती है। शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए तेजस्वी, जानें क्या है यह तेजस्वी यादव शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए हैं। यह वीजा यूरोप के 29 देशों में बिना किसी अलग-अलग इमिग्रेशन चेक के फ्री मूवमेंट की सुविधा देता है। यह शॉर्ट-स्टे वीजा है। 4 जनवरी को यूरोप से लौटेंगे तेजस्वी शेंगेन जोन में फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया जैसे 29 देश आते हैं। इसमें स्विट्जरलैंड को दुनिया का सबसे सुंदर देश माना जाता है। शेंगेन वीजा के 4 तरह के काम के लिए मिलता है। ये हैं- घूमने के लिए टूरिस्ट वीजा, बिजनेस मीटिंग, परिवार या दोस्तों से मिलना और यूरोप होकर आगे दूसरे देश में जाना। तेजस्वी घूमने के लिए यूरोप गए हैं। 4 जनवरी के बाद भारत लौटने वाले हैं। पत्नी संग यूरोप में न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे तेजस्वी यादव तेजस्वी यादव की पत्नी रेचल गोडिन्हो (अब राजश्री यादव) ईसाई हैं। 25 दिसंबर को क्रिसमस है। क्रिसमस और न्यू ईयर का सेलिब्रेशन यूरोप में सबसे शानदार होता है। यही वजह है कि तेजस्वी इस मौके पर यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। वह पत्नी के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे। यूरोप में कहां घूम सकते हैं तेजस्वी यादव? भारत से यूरोप घूमने जाने वालों का मुख्य आकर्षण स्विट्जरलैंड होता है। आल्प्स पहाड़ पर बसे इस देश में सुंदर पहाड़ और घाटियां हैं। यह फिल्मी दुनिया के लोगों की पसंदीदा जगह है। इसके अलावा तेजस्वी परिवार के साथ पेरिस, रोम, वेनिस, फ्लोरेंस और एथेंस जैसे शहरों की भी सैर कर सकते हैं। यूरोप यात्रा से तेजस्वी यादव पर क्या पड़ेगा असर? 3 पॉइंट में समझें 1- इमेज बिगड़ा तेजस्वी यादव जिस तरह यूरोप गए हैं, उससे उनके काम करने के तरीके को लेकर सवाल उठे हैं। छवि बिगड़ी है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर तक चला। तेजस्वी इसके बाद भी जा सकते थे, लेकिन वह 3 दिसंबर को विदेश निकल गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव हारने के बाद विदेश यात्रा कर चुके हैं। विरोधी तेजस्वी को राहुल के साथ जोड़ते हुए नॉन सीरियस नेता बता रहे हैं। राहुल बिहार चुनाव से पहले दक्षिण अमेरिका के 4 देशों की यात्रा पर चले गए थे। 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद विदेश गए थे। 2019 में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के वक्त कांग्रेस नेता दक्षिण कोरिया चले गए थे। ऐसे कई और उदाहरण हैं। तेजस्वी के यूरोप जाने पर वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने कहा, ‘महागठबंधन ने तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और हार हुई। ऐसे में विदेश जाकर तेजस्वी ने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है।’ उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी को महागठबंधन का मनोबल बढ़ाना था, लेकिन वह विदेश चले गए। राजद को दूसरी बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। 2010 में राजद को सिर्फ 22 सीटें मिलीं। लालू ने जेल से ही पार्टी को एकजुट रखा।’ 2. लीडरशिप पर सवाल, बिखर सकता है गठबंधन चुनाव में मिली हार और इसके बाद तेजस्वी यादव जिस तरह जनता के बीच जाने से बच रहे हैं, इससे उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद से तेजस्वी यादव ने अब तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है। सार्वजनिक जगहों पर कम दिखे हैं। विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस पर दबाव डालकर तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करा लिया था। महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन सीट शेयरिंग से लेकर रैली तक, तालमेल बिगड़ा रहा। नतीजा, बड़ी हार हुई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कह चुके हैं कि राजद से हमारा गठबंधन चुनाव तक के लिए ही था। कांग्रेस एकला चलो की राह पर है। लेफ्ट की पार्टियां (माले, CPI, CPIM) चुनाव के रिजल्ट के बाद नए सिरे से अपने गठबंधन पर विचार कर सकती हैं। ये पार्टियां अभी बीजेपी को रोकने के लिए तेजस्वी के साथ हैं। अगर आगे उनको लगेगा कि कोई दूसरी पार्टी यह काम कर सकती है तो वे उसके साथ जा सकते हैं। 3 . आगे की लड़ाई कठिन राजद प्रमुख लालू यादव के सबसे छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी 3 बड़े चुनाव (2020 विधानसभा चुनाव, 2024 लोकसभा चुनाव, 2025 विधानसभा चुनाव) लड़ी। तीनों हार गई। 2020 के चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन 2025 में सिर्फ 25 सीटें जीत सकी। लोकसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 4 सीट मिले। तेजस्वी यादव जिस तरह रिजल्ट आने के बाद गायब रहे, अब विदेश चले गए। इससे उनके लिए आगे की लड़ाई और कठिन होगी। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा, ‘विधानसभा सत्र में तेजस्वी की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं। साफ दिख रहा है कि उन्होंने हार से सबक नहीं ली। आत्मविश्वास खो चुके हैं। जब-जब बिहार को जरूरत पड़ी तेजस्वी गायब थे।’ क्यों हो रही तेजस्वी की आलोचना? बिहार के राजनीतिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि तेजस्वी को कम से कम विधानसभा सत्र में पूरी तरह से उपस्थित रहना चाहिए था। इसके बाद विदेश जा सकते थे। हालांकि किसी के निजी यात्रा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, लेकिन विधानसभा सत्र में जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं और तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, इसलिए सवाल उठ रहे हैं। तेजस्वी पहले भी सत्र में गैरमौजूद रह चुके हैं। राजद के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने तो कहा था कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है। अगले पांच साल तक विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाने की क्षमता उनमें नहीं है। तेजस्वी की यूरोप यात्रा पर क्या कहते हैं उनके विरोधी रमीज से तमीज सीख रहे क्या तेजस्वी: नीरज कुमार तेजस्वी की विदेश यात्रा पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘तेजस्वी यादव चुनाव में जननायक बन रहे थे, लेकिन राजनीति के खलनायक हैं। नेता प्रतिपक्ष का दर्जा ले लिया और सुविधा जुटा कर यूरोप चले गए। क्या वे हार से घबरा गए हैं? उन्होंने कहा, ‘सुन रहे हैं कि उनके साथ हिस्ट्रीशीटर रमीज भी गए हैं। तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि उनके साथ कौन-कौन गए हैं? यूरोप में तेजस्वी कहां हैं? लोकेशन तो मिलना चाहिए। रमीज से राजनीति की तमीज सीख रहे हैं क्या?’ अगली बार तेजस्वी की जीत मुश्किल हो जाएगी: कुंतल कृष्ण बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंंतल कृष्ण ने कहा, ‘इस देश और प्रदेश का दुर्भाग्य है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे लोग राजनीति में हैं। इतने गैर गंभीर लोग हैं कि पूछिए मत। कुर्सी पाने के लिए बेचैनी और जब जिम्मेदारी सामने आई तो छोड़ कर भाग लिए।’ उन्होंने कहा, ‘अभी तक तो राहुल गांधी ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर जाया करते थे। बाकी काम छोड़ कर अब तो तेजस्वी भी विदेश जाने लगे। सत्र खत्म नहीं हुआ कि निगल गए।’ तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं: एजाज अहमद आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, ‘नीरज कुमार को तेजस्वी से आगे निकलना चाहिए। तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं। बिहार की जनता बुलडोजर से परेशान है। महिलाओं को 10 हजार देकर बुलडोजर से आंसू दे रही है नीतीश सरकार।’
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