170 एकड़ जमीन से खत्म होगी 4 साल की तलाश… सहारा सिटी में बनेगा अटल स्मारक और मंत्री आवास!
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के स्मारक के लिए कई वर्षों से तलाशी जा रही जमीन अब मिल सकती है. गोमतीनगर में 170 एकड़ क्षेत्रफल में बने सहारा शहर की जमीन को स्मारक के लिए उपयुक्त पाया गया है. सहारा शहर की जमीन नगर निगम की है, जिसे लीज रेंट पर दिया गया था. शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में नगर निगम शनिवार को ही इसे कब्जे में लिया है.
पिछले एक सप्ताह से अचानक बढ़ी सक्रियता के पीछे उच्च स्तरीय बैठक में दिए गए संकेत हैं, जिसमें यहां अटल स्मारक बनाने को कहा गया है. साथ ही शेष जगह पर मंत्री आवास बनाया जा सकता है. इस जगह पर स्मारक बनाया जाता है तो बड़ा संदेश जाएगा, क्योंकि पास में डाॅ. भीमराव आंबेडकर स्मारक है तो कुछ दूरी पर डाॅ. राममनोहर लोहिया पार्क. सूत्र बताते हैं कि ऊपर से हरी झंडी मिलने के बाद जमीन पर कब्जा लेने की सक्रियता बढ़ाई गई है, वरना लंबे समय से सहारा इंडिया और नगर निगम के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है.
सहारा समूह और नगर निगम में क्या है विवाद?
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, जिसमें सहारा समूह ने अपनी 88 अचल संपत्तियों को अदाणी समूह को बेचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. जानकार बताते हैं कि सहारा समूह लीज रेंट की 150 करोड़ की राशि अदाणी समूह से लेकर उसे जमाकर लीज डीड को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया कर सकता है. ऐसे में नगर निगम उसे पहले ही सहारा शहर की जमीन अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित करना चाहता है. सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सके, जिसके लिए नगर निगम ने शीर्ष कोर्ट में कैविएट दाखिल कर रखी है.
अटल स्मारक के लिए चार साल से ढूंढी जा रही जमीन
लखनऊ को कर्मभूमि बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी यहीं से लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर प्रधानमंत्री बने थे. उनके निधन के बाद लखनऊ में अटल स्मृति उपवन या स्मारक बनाने की तैयारी थी. इसके लिए संयुक्ता भाटिया ने अपने महापौर कार्यकाल में बिजनौर रोड पर जगह तलाशी भी थी, लेकिन जमीन मुख्य मार्ग से दूर होने के कारण मामला टल गया था. इसके बाद कई जगह देखी गईं, लेकिन वह शहर के प्रमुख इलाकों में कम क्षेत्रफल की पाई गईं. लिहाजा महापौर का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही संयुक्ता भाटिया ने हजरतगंज चौराहे का नाम अटल उपवन रख दिया था. हालांकि समय समय पर उच्च स्तर से महापौर से अटल स्मारक के लिए जमीन तलाशने को कहा जाता रहा है.
सहारा पर जमीन कब्जा करने का लगा आरोप
नगर निगम ने लीज रेंट के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सहारा शहर को दी गई 170 एकड़ सरकारी भूमि 11 सितंबर को अपने कब्जे में ले ली थी. 1995 में आवा.सीय एवं व्यावसायिक प्रयोजन के लिए उजरियांव और जियामऊ की 130 एकड़ जमीन मेसर्स सहारा इंडिया कामर्शियल कारपोरेशन को दी गई थी. 40 एकड़ ग्रीन बेल्ट की अलग से जमीन थी. अनुबंध के तहत आवासीय व अनावसीय योजना नहीं बनाई गई थी. सात सदस्यीय जांच समिति की संस्तुति और विधिक राय के बाद लाइसेंस एग्रीमेंट और लीज डीड को निरस्त कर दिया गया था. आठ सितंबर को नगर आयुक्त गौरव कुमार ने सहारा शहर को दी गई जमीन को कब्जे में लेने का आदेश भी जारी कर दिया था.
सहारा शहर परिसर के 6 में से 5 गेट पर लगा ताला
सहारा समूह पर डेढ़ अरब की रकम लीज डीड भी बकाया थी. नगर निगम ने सहारा शहर परिसर में अपने बोर्ड लगा दिए हैं और गेट के बाहर भी बोर्ड लगाकर यह बताया गया कि यह जमीन नगर निगम की है, इस पर कब्जा करना दंडनीय अपराध होगा. अब नगर निगम ने छह में से पांच गेट पर ताला लगाने और परिसर को खाली करने की चेतावनी दी है. मंगलवार को टीम सहारा शहर नहीं पहुंची.
सुब्रतो कोठी में क्या क्या है खास?
- लखनऊ के इस शाही परिसर को सुब्रतो कोठी के नाम से जाना जाता है
- लखनऊ में बनी सुब्रतो कोठी सफेद संगमरमर का बना भव्य बंगला है
- ऑफिस और कॉर्पोरेट कामकाज के लिए कई बिल्डिंग्स खड़ी की गई हैं
- यहां ऑडिटोरियम और 5,000 लोगों की क्षमता वाला विशाल स्टेडियम है
- मनोरंजन के लिए गोल्ड क्लास सीटों वाला अत्याधुनिक थिएटर बना है
- आलीशान गेस्ट हाउस, क्लब और झील से इसकी खूबसूरती बढ़ाते हैं
- सुरक्षा के लिए यहां एयरपोर्ट जैसे आधुनिक स्कैनर तक लगाए गए थे
- परिसर में पेट्रोल पंप, फायर स्टेशन, अस्पताल और हेलीपैड तक बने हैं
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