18वीं विधानसभा के लिए चुनकर आए विधायकों के लिए विधानसभा को हाइटेक किया गया। 30 करोड़ रुपए खर्च कर टैबलेट-नए माइक लगे, लेकिन बुधवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अभिभाषण देने पहुंचे तो माइक सिस्टम फेल हो गया। जिन टैबलेट की बड़ी चर्चा रही। कहा गया कि विधानसभा पेपरलेस हो गया है, वे भी तीन दिन से ऑन नहीं हुए। विधानसभा की पूरी कार्यवाही पहले की तरह कागजी हुई। अध्यादेश पेश करने से लेकर स्पीकर के अभिभाषण तक, सारे काम पेपर से हुए। भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए सदन में क्या बदलाव किए गए थे। विधानसभा सत्र के शुरुआती तीन दिनों क्या नजर आया? क्या दावा था, क्या हकीकत नजर आई। नए विधायकों के स्वागत के लिए विधानसभा को हाइटेक बनाया गया था। सेंसर वाले माइक से लेकर विधायकों की सीट के आगे टैबलेट लगाए गए। विधानसभा सूत्रों की माने तो नेशनल ई विधानसभा ऐप के ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत इस प्रक्रिया में लगभग 30 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 13 करोड़ रुपए अकेले माइक सिस्टम दुरुस्त करने पर खर्च हुए। इसकी क्वालिटी का आलम ये रहा कि सत्र के दौरान राज्यपाल के पहले अभिभाषण में ही पूरा सिस्टम बिगड़ गया। सेंट्रल हॉल में बैठे सदस्यों को भी राज्यपाल की बातें सुनने में परेशानी हुई। प्रेस गैलरी तक तो आखिर तक आवाज नहीं पहुंच पाई। राज्यपाल को बोलना पड़ा- हम ही तेज बोलते हैं हाईटेक और डिजिटल विधानसभा की स्थिति का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राज्यपाल के भाषण के पहले माइक चेक तक नहीं की गई थी। 10 मिनट तक राज्यपाल की आवाज जब सदस्यों तक नहीं पहुंची तो राज्यपाल को बोलना पड़ा कि हम ही तेज बोलते हैं। तीन दिन में ऑन नहीं हुआ एक भी टैबलेट वहीं, अगर पेपरलेस विधानसभा की बात करें तो 18वीं विधानसभा के पहले सत्र की कार्यवाही बुधवार तक तीन दिन चली है। अभी तक एक दिन भी टैबलेट ऑन नहीं हुआ है। तीसरे दिन स्पीकर के अभिभाषण से लेकर अध्यादेश और सप्लीमेंट्री बजट तक, सबकुछ पहले की तरह पेपर के माध्यम से सदन में पेश किया गया। संविदा कर्मी को मिली थी निगरानी की जिम्मेदारी दैनिक भास्कर ने जब इस पूरी तकनीकी खामियों को समझने की कोशिश की तो विधानसभा के कर्मचारी कैमरे पर बोलने से बचते रहे। नाम नहीं छापने की शर्त पर विधानसभा के टॉप लेवल के एक अधिकारी ने बताया कि काम में कई गलती की गई है। इस पूरे काम के देखरेख की जिम्मेदारी किसी नियमित कर्मचारी की जगह संविदा पर नियुक्त कर्मचारी को दी गई थी। ऐसा क्यों किया गया? क्या-क्या गलती हुईं? ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा। अब जानिए, सदन के भीतर क्या-क्या बदलाव किए गए लगाए गए सेंसर वाले माइक विधानसभा में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत नए सेंसर वाले माइक लगाए गए हैं। ये माइक विधायक के बैठने के स्थान के अनुसार चालू या बंद हो जाते हैं। इन्हें माइक कंट्रोलर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। सदन की कार्यवाही को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए इसे लगाया गया है। सैमसंग के 323 टैबलेट लगाए गए सदन को हाइटेक और पेपरलेस बनाने के लिए सैमसंग कंपनी के 323 टैबलेट लगाए गए हैं। सदन की कार्यवाही के दौरान टैबलेट ठीक से काम करे इसके लिए हाई स्पीड वाई-फाई की व्यवस्था की गई है। विधायकों की सीट पर लगे हेड सेट को बदला गया। डिजिटल हेड सेट दिए गए। सदन में 6 बड़े टीवी लगाए गए । वोटिंग के दौरान इनमें रिजल्ट दिखेगा। मतदान के समय सदस्यों की गिनती दिखाई जाएगी। विधायक कैसे पूछेंगे सवाल, कैसे मिलेगा जवाब? सवाल पूछने से लेकर जवाब देने तक, सब कुछ ऑनलाइन किया गया है। इसके लिए ‘नेशनल ई-विधान’ (NeVA) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया गया है। NeVA का इस्तेमाल विधायक सवाल पूछने में कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें टैबलेट या मोबाइल फोन में NeVA ऐप इंस्टॉल करना होगा। इसके बाद यूजरनेम और पासवर्ड डालकर लॉगइन करना होगा। लॉगइन करने के बाद विधायक अपने सवाल या नोटिस ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। सवाल जिस मंत्रालय से जुड़ा होगा उसके पास जाएगा। संबंधित मंत्रालय द्वारा जो जवाब दिया जाएगा वह विधायक को मिल जाएगा। क्या है नेशनल ई-विधान? नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक मिशन-मोड प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य विधानसभा में डिजिटल फॉर्मेट में कामकाज कराना है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, आंध्र प्रदेश और गोवा में इस प्रोजेक्ट के तहत काम हो रहा है।
https://ift.tt/esS5rp8
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply