1200 फाइटर जेट्स-आत्मनिर्भरता की उड़ान… आसमान से अंतरिक्ष तक ऐसे मजबूत होगी एयरफोर्स, 2047 का रोडमैप तैयार
भारतीय वायुसेना ने देश की रक्षा रणनीति को नई दिशा देने वाला अपना 2047 का रोडमैप जारी किया है. यह रोडमैप वायुसेना को आसमान से अंतरिक्ष तक एक ताकतवर और आत्मनिर्भर बल के रूप में बदलने का विजन पेश करता है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने कहा है कि अगर भारत को महाशक्ति बनना है, तो आत्मनिर्भरता अनिवार्य है.
इस नई योजना में स्वदेशी निर्माण, अत्याधुनिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्पेस-आधारित क्षमताओं को वायुसेना के ढांचे में शामिल करने की रूपरेखा तैयार की गई है.
तकनीक और R&D पर बड़ा फोकस
रोडमैप का सबसे अहम हिस्सा रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर जोर देना है. वायुसेना का मानना है कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को एयरो इंजन, AESA रडार, मिसाइल तकनीक और एवियोनिक्स में आत्मनिर्भर बनना होगा. सरकार ने डीआरडीओ (DRDO) को R&D के लिए 14,900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. हालांकि, निजी क्षेत्र में इस दिशा में निवेश अभी शुरुआती स्तर पर है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सफलता के बाद अब वायुसेना का लक्ष्य है कि अगले दशक में इसका स्वदेशी संस्करण तैयार किया जाए.
2047 तक 1,200 फाइटर जेट्स का बेड़ा
वायुसेना का आकलन है कि अपनी पूर्ण क्षमता बनाए रखने के लिए उसे हर साल 30 से 40 नए फाइटर जेट्स की आवश्यकता होगी. रोडमैप के मुताबिक, 2047 तक वायुसेना के पास 57 से 60 स्क्वाड्रन, यानी करीब 1,000 से 1,200 कॉम्बैट जेट्स का बेड़ा होगा.
इस बेड़े में शामिल होंगे
- LCA तेजस के 300340 विमान
- राफेल के 114 नए जेट्स (Make in India के तहत उत्पादन)
- AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft), यानी भारत का पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ मल्टी-रोल जेट (करीब 180200 विमान)
- इसके साथ ही वायुसेना अपने मौजूदा 270 Su-30MKI विमानों को अपग्रेड करने जा रही है.
एयर एंड स्पेस फोर्स बनने की दिशा में कदम
वायुसेना का 2047 विजन सिर्फ आसमान तक सीमित नहीं है. अब IAF खुद को इंडियन एयर एंड स्पेस फोर्स के रूप में विकसित करना चाहती है. इसके तहत स्पेस-बेस्ड सर्विलांस, नेविगेशन और काउंटर-स्पेस कैपेबिलिटी को बढ़ाया जाएगा ताकि भारत की अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की सुरक्षा की जा सके. इसके साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को कमांड, कंट्रोल और ऑपरेशन में शामिल करने के लिए विशेष AI रोडमैप पर काम चल रहा है.
स्वदेशी हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
वायुसेना के ट्रांसपोर्ट बेड़े को मजबूत करने के लिए टाटा-एयरबस द्वारा भारत में C-295 विमान बनाए जा रहे हैं. भविष्य में वायुसेना भारतीय मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर (IMRH) तैयार करेगी, जो पुराने Mi-17 हेलिकॉप्टरों की जगह लेंगे. इसके साथ ही प्रचंड (LCH) और ध्रुव (ALH) हेलिकॉप्टरों का इंडक्शन भी तेजी से जारी है.
मानव और मानवरहित विमानों का संतुलन
IAF का मानना है कि भविष्य में भी मैनड फाइटर जेट्स की भूमिका बनी रहेगी, हालांकि मानवरहित युद्धक ड्रोन (UCAVs) उनकी सहायता करेंगे. वायुसेना इस दिशा में DRDO के घातक UCAV प्रोजेक्ट का पूरा समर्थन कर रही है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
यह रोडमैप भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बनाएगा, बल्कि आने वाले दशकों में देश की वायु और अंतरिक्ष सुरक्षा को भी मजबूत करेगा. IAF का 2047 विजन, वास्तव में आत्मनिर्भर भारत की उड़ान है.
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