हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में एक व्यक्ति 45 साल बाद अपने घर लौटा है। एक सड़क हादसे में सिर पर चोट के बाद रिखी राम की याददाश्त चली गई थी। कुछ महीने पहले दूसरे हादसे में रिखी राम के सिर पर दोबारा चोट लगी, इससे उसकी याददाश्त लौट आई। हालांकि, रिखी राम 15 नवंबर को सिरमौर के पांवटा के नाड़ी गांव पहुंचे। मगर 19 नवंबर को उनके घर पर जश्न रखा गया। इसके बाद, 62 वर्षीय रिखी राम के घर लौटने की खबर पूरे क्षेत्र में फैली। रिखी राम के माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है। मगर जब भाई-बहन ने रिखी राम को देखा तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हरियाणा में सड़क हादसे में लगी थी चोट रिखी राम ने बताया- साल 1980 में जब उसकी उम्र 16 साल थी तो वह उस दौरान काम की तलाश में हरियाणा के यमुनानगर गया। यमुनानगर में एक होटल में नौकरी की। एक दिन होटल कर्मी के साथ अंबाला जाते समय सड़क हादसे में सिर पर चोट लगने से उसकी याददाश्त चली गई और उन्हें कुछ याद नहीं रहा। याददाश्त खोने के बाद घर पर संपर्क पूरी तरह कटा इस हादसे के बाद घर व गांव से संपर्क टूट गया। याददाश्त खोने के बाद उनके साथी ने रिखी राम का नया नाम रवि चौधरी रख दिया। इसी नाम के साथ उन्होंने नई जिंदगी की शुरुआत की। रिखी राम के अनुसार, याददाश्त जाने के बाद वह मुंबई पहुंचा। मुंबई के नांदेड़ के एक कॉलेज में नौकरी मिलने पर वहीं बस गया। वर्ष 1994 में उसने संतोषी नाम की लड़की से शादी की। आज उनके दो बेटियां और एक बेटा है। कुछ महीने पहले दोबारा एक्सीडेंट हुआ रिखी राम के अनुसार, कुछ महीने पहले ड्यूटी पर जाते वक्त उनका दोबारा एक्सीडेंट हुआ, जिसके बाद उनकी खोई हुई यादें धीरे-धीरे लौटने लगीं। उसे बार-बार आम के पेड़, सतौन क्षेत्र और गांव के झूले दिखाई देने लगे। शुरू में उसने इस ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बार-बार गांव, आम के पेड़ दिखते रहे। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी से इसका जिक्र किया। कॉलेज के स्टूडेंट ने सतौन क्षेत्र की गूगल पर जानकारी जुटाई जब बार बार अपने गांव की याद आनी शुरू हुई तो रिखी राम ने अपने अतीत की खोज शुरू की। रिखी राम जिस कॉलेज में काम करता था, वहां के एक स्टूडेंट ने सतौन क्षेत्र से संबंधित जानकारी गूगल पर जुटाई और कॉटेक्ट नंबर ढूंढने में सहायता मांगी। कैफे के नंबर के रूप में मिली पहली कामयाबी रिखी राम ने बताया- खोज के दौरान सतौन के एक कैफे का नंबर मिला। कैफे से उन्हें नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश का नंबर मिला। रिखी राम ने अपनी पूरी कहानी रुद्र प्रकाश को सुनाई। मगर शुरुआत में रुद्र प्रकाश ने इसे किसी तरह की धोखाधड़ी की संभावना मानकर गंभीरता से नहीं लिया और नजरअंदाज किया। इसके बाद रिखी राम ने अपने भाई-बहनों से फोन पर बात शुरू की। आखिर में परिवार के बड़े जीजा एमके चौबे से उनका संपर्क कराया, जिन्होंने बातचीत के बाद माना कि सामने वाला व्यक्ति सच में ही रिखी राम ही हो सकता है। 15 नवंबर को गांव पहुंचा सभी पक्षों की पुष्टि के बाद 15 नवंबर को रिखी राम अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नाड़ी गांव पहुंचा। गांव में उनका स्वागत भाई दुर्गा राम, चंद्र मोहन, चंद्रमणि और बहन कौशल्या देवी, कला देवी, सुमित्रा देवी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने फूल मालाओं और बैंड से किया।
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