हिमाचल में टूरिज्म का ट्रेंड बदल रहा है। पहले टूरिस्ट शिमला, मनाली, कसौली, धर्मशाला और डलहौजी तक सीमित टूरिज्म अब ऊंचे दर्रों, ट्रेकिंग रूट्स और ऑफ-बीट चोटियों की ओर शिफ्ट हो रहा है। इन जगह, टूरिस्ट विभिन्न प्रकार की एडवेंचर एक्टिविटीज, नेचुरल ब्यूटी, स्नो स्कूटर और बर्फ का आनंद उठा रहे हैं। न्यू ईयर पर पहाड़ों में घूमने के शौकीनों के लिए ‘दैनिक भास्कर एप’ आज आपको हिमाचल के 5 ऐसे नए टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन की जानकारी देगा, जहां शहरों जैसी भीड़भाड़ नहीं है। बल्कि यहां टूरिस्ट प्रकृति की गोद में एंजॉय कर सकते हैं। खासकर विंटर टूरिज्म के लिए यह हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं। यहां रोड कनेक्टिविटी और सुरंगों की वजह से भी टूरिस्ट अट्रेक्ट हो रहे हैं। ये 5 टूरिस्ट डेस्टिनेशन लाहौल स्पीति में शिंकुला पास, रोहतांग दर्रा, किन्नौर जिला में शिपकिला, शिमला में महासू पीक और कुल्लू में खीरगंगा (कसौल) है। इनमें शिपकिला तो ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है, जहां से चीन का गांव तक दिखाई देता है। इन टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट… 1. शिकुला पास: यहां पर अच्छी बर्फ, पहले रोक रहती थी
जो टूरिस्ट हिमाचल में बर्फ देखना चाहते है, वह शिंकुला पास में अच्छी बर्फ देख सकते हैं। समुद्र तल से करीब 16,580 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिंकुला पास के लिए कुछ साल पहले 15 नवंबर के बाद ही वाहनों की आवाजाही रोक दी जाती थी। इसकी वजह भारी हिमपात होना था। मगर 3-4 साल से नवंबर-दिसंबर में बहुत कम बर्फबारी हुई है। इसलिए, टूरिस्ट यहां जा सकता है। हालांकि, सड़क पर बर्फ जमे होने की वजह से यहां केवल फोर बॉय फोर व्हीकल में ही जाने की अनुमति है। क्या-क्या देख सकते हैं: शिंकुला पास में बर्फ से ढकी चोटियां, ग्लेशियर और जांस्कर घाटी का अद्भुत नजारा दिखता है। यह जगह लद्दाख और हिमाचल के बीच नया टूरिस्ट गेटवे बन रहा है। यहां पर टूरिस्ट स्नो स्कूटर का आनंद, स्कीइंग और बर्फ के बीच अठखेलियां करते देखे जा सकते। ठहरने की व्यवस्था: शिंकुला पास में ठहरने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए, टूरिस्ट को रात्रि ठहराव के लिए या तो लाहौल स्पीति के दारचा, जिस्पा या फिर उदयपुर लौटना पड़ता है। कुछ टूरिस्ट शिंकुला दर्रा घूमने के बाद वापस मनाली भी लौटते हैं। मनाली से शिंकुला पास की दूरी लगभग 131 किलोमीटर और चंडीगढ़ से लगभग 440 किलोमीटर की दूरी है। शिंकुला पहुंचने के लिए टूरिस्ट को पहले चंडीगढ़-मनाली फोरलेन से पर्यटन नगरी मनाली पहुंचना पड़ता है। क्या अलग- पूरे हिमाचल में इस वक्त जिन 2 जगहों पर बर्फ है, उनमें एक शिंकुला पास है। इसके अलावा लाहौल स्पीति में पुराने फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन अटल टनल रोहतांग, सिस्सू, कोकसर, केलांग है। 2. रोहतांग दर्रा: टूरिस्टों के लिए ओपन
रोहतांग दर्रा भी तीन-चार साल पहले तक 15 नवंबर के बाद भारी बर्फबारी होते ही टूरिस्ट के लिए बंद कर दिया जाता था। मगर अब बहुत कम बर्फ गिर रही है। इस वजह से विंटर सीजन में अभी भी रोहतांग दर्रा टूरिस्टों के लिए ओपन है। मनाली पहुंचने वाले अधिकांश टूरिस्ट बर्फ देखने के लिए रोहतांग पहुंच रहे हैं। क्या देख सकते हैं: रोहतांग दर्रा अब सिर्फ ट्रांजिट रूट नहीं, बल्कि खुद में एक डेस्टिनेशन बन चुका है। बर्फबारी, स्नो-स्कूटर, फोटोग्राफी और ऊंचे पहाड़ी दृश्य यहां का मुख्य आकर्षण हैं। ठहरने की व्यवस्था: रोहतांग दर्रा में ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था नहीं है। रात्रि ठहराव के लिए टूरिस्ट को वापस मनाली लौटना होता है। या फिर टूरिस्ट सिस्सू व कोकसर में होम-स्टे में भी रुक सकते हैं। चंडीगढ़ से रोहतांग दर्रा की दूरी लगभग 310 किमी और मनाली से लगभग 51 किलोमीटर है। कैसे अलग: रोहतांग दर्रा भारी बर्फबारी के लिए मशहूर है। यहां पर सर्दियों में 15 से 20 फीट बर्फबारी होती है। हालांकि, अभी कम स्नोफॉल है। यहां पहुंचकर टूरिस्ट बर्फ का आनंद उठा सकते हैं। 3. शिपकिला (किन्नौर-तिब्बत बॉर्डर): यहां से चीनी गांव दिखता
किन्नौर जिला में शिपकिला नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरा है। देशभर, से टूरिस्ट भारत-चीन (अधिकृत तिब्बत) बॉर्डर पहुंच रहे हैं। 13,200 फीट की ऊंचाई शिपकिला पहुंचने के लिए टूरिस्ट को सेना और ITBP द्वारा जारी प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। पर्यटकों को आधार कार्ड दिखाने और पहचान दिखाने के बाद ही यहां जाने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, अभी यहां पर विदेशी टूरिस्ट अलाउड नहीं है। इस साल 10 जून को ही सीएम सुखविंदर सुक्खू ने शिपकिला को पर्यटन गतिविधियों के लिए ओपन किया था। अगले साल इसी मार्ग से भारत और चीन के बीच व्यापार भी शुरू होने वाला है। आजादी से पहले शिपकिला दर्रा के रास्ते भारत-चीन के बीच व्यापार होता था। इसे इंडिया का सिल्क रूट भी कहा जाता था। 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया था, उस दौरान भी इसे बंद किया गया। 1993 में फिर से व्यापार शुरू हो गया, लेकिन तब केवल व्यापारियों को ही यहां जाने की अनुमति थी। 2020 में कोरोना काल में इसे दोबारा बंद किया गया। क्या देख सकते हैं: शिपकिला जाने वाले टूरिस्ट खाब के साथ नाको, चांगो जैसे पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं। खाब में सतलुज और स्पिति नदी का संगम है। नाको में मॉनेस्ट्री और लेक देख सकेंगे। किन्नौर जिला में अभी हेली-टैक्सी की सुविधा नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार ने रिकांगपिओ तक हेली टैक्सी सेवा शुरू करने का केंद्र सरकार को प्रस्ताव जरूर भेज रखा है। आमतौर पर शिपकिला भी सर्दियों में दो से तीन महीने बर्फ से ढका रहता है, लेकिन दो तीन सालों से यहां भी बहुत कम बर्फ गिरी है। इस साल अब तक बर्फ नहीं गिरी। ठहरने की व्यवस्था: शिपकिला में ठहरने की व्यवस्था नहीं है। नाइट स्टे के लिए नाको, ताबो और काजा वापस लौटना पड़ता है। शिपकिला, काजा से करीब 110 किलोमीटर दूरी पर है। कैसे पहुंचे: शिपकिला जाने के लिए टूरिस्ट को पहले बस-ट्रेन या फिर छोटे वाहन से पहले शिमला पहुंचना पड़ता है। इसके बाद, एनएच-5 के रास्ते किन्नौर और फिर खाब पहुंचना होगा। यहां से लिंक रोड से शिपकिला जाने के लिए टैक्सी हायर करनी होगी। अपने पर्सनल व्हीकल से भी लोग शिपकिला तक जा सकेंगे। शिपकिला चंडीगढ़ से लगभग 400 किमी दूर है। कैसे अलग: यह केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि सामरिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह कम भीड़ वाला क्षेत्र है। जिला में पुराने फेमस डेस्टिनेशन कैलाश पर्वत,सांगला वैली है। 4. महासू पीक (शिमला ): हिमालय-कैलाश पर्वत देख सकते हैं
शिमला जिला में महासू पीक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभर रहा है। यहां पर भी तीन-चारों सालों से काफी संख्या में टूरिस्ट बर्फ देखने की चाहत में पहुंच रहा है। यहां पर अब तक बर्फ तो नहीं गिरी। मगर तरह तरह की एडवेंचर एक्टिविटी, होर्स राइडिंग, याक की सवारी का भी आनंद उठाते हैं। क्या देख सकते हैं: लगभग 9300 फीट की ऊंचाई पर स्थित महासू पीक से दूरबीन के माध्यम से टूरिस्ट हिमालय और कैलाश पर्वत का नजारा देख सकते हैं। यहां घने देवदार के घने जंगल, ट्रेकिंग रूट है। ठहरने की व्यवस्था: चंडीगढ़ से महासू पीक लगभग 138 किलोमीटर दूर है। यहां जाने को पहले शिमला पहुंचना पड़ता है। महासू पीक से सटे, कुफरी, चियोग में काफी संख्या में होटल और होम स्टे है। इसलिए, यहां पर ठहरने में किसी प्रकार की समस्या नहीं रहती। टूरिस्ट चाहे तो वह नाइट स्टे के लिए शिमला भी लौट सकता है। शिमला से महासू पीक लगभग 17 किलोमीटर दूर है। क्या अलग- शिमला शहर की तुलना में यहां देवदार के ज्यादा घने जंगल है। एशिया का सबसे घना देवदार का जंगल भी महासू पीक के साथ लगता है। यहां पर टूरिस्ट को सुकून मिलता है। जिला में पुराने फेमस डेस्टिनेशन शिमला, रिज, मॉल रोड, नालदेहरा इत्यादि है। 5. खीरगंगा (कसौल-पार्वती घाटी)- कुल्लू जिला में खीरगंगा भी नया डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। मनाली, कुल्लू, मणिकर्ण जाने वाले टूरिस्ट मौज मस्ती के लिए खीरगंगा जाना नहीं भूलते। यह कसौल से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां पर देशी के साथ साथ विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचते हैं। यहां पर भी सर्दियों में भारी हिमपात होता है, लेकिन इस बार बर्फ नहीं गिरी। क्या देख सकते हैं: खीरगंगा अपने हॉट वाटर स्प्रिंग, बर्फीली चोटियों और ट्रेकिंग के लिए फेमस है। पार्वती घाटी का यह इलाका युवाओं और विदेशी टूरिस्टों में खासा लोकप्रिय हो रहा है। ठहरने की व्यवस्था: खीरगंगा में होटल की व्वयस्था तो नहीं है, लेकिन टॉप पर कुछ टेंट जरूर है। खीरगंगा पहुंचने वाले टूरिस्ट कसौल और मणिकर्ण में नाइट स्टे कर सकते है। यहां पहुंचने के लिए टूरिस्ट को पहले चंडीगढ़-भुंतर-कसौल-बरशैनी-खीरगंगा ट्रेक पर लगभग 290 किमी का सफर करना पड़ता है। क्यों अलग: कुल्लू जिला में पुराने फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन मनाली, मणिकर्ण, कसौल है। यहां पर बीते सालों के दौरान काफी भीड़ बढ़ी है। इसलिए, खीरगंगा शांतिपूर्ण माहौल, योग और अध्यात्म का अनोखा संगम बनता जा रहा है। एडवेंचर ट्रेकिंग के लिए भी एडवेंचर प्रेमी यहां जाना पसंद करते हैं।
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