छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित इलाकों से 10–15 साल पहले विस्थापित हुए हजारों आदिवासी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के दौरान अपने वोटिंग अधिकार खोने के खतरे में हैं. शिकायत के मुताबिक बूथ लेवल अधिकारी उन्हें ‘नॉन-रेजिडेंस’ बताकर बिना नोटिस मतदाता सूची से हटा रहे हैं, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का उल्लंघन है.
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