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हल्द्वानी में 18 सालों से बनाए जा रहे फर्जी दस्तावेज:बंद सोसाइटी के नाम पर चल रही धांधली, एडवोकेट बोले- कर्मचारियों की सांठगांठ

उत्तराखंड के हल्द्वानी में फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र तैयार कराने का एक और बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ है। बनभूलपुरा के अंदर ही प्रशासन ने एक ऐसी सोसाइटी का खुलासा किया है, जो पिछले 18 सालों से बाहरी राज्यों के लोगों के लिए फर्जी ‘निवास प्रमाण’ और जाति-संबंधी कागजात जारी कर रही थी। कॉमन सर्विस सेंटर(CSC) के जरिए इन कागजों को स्कैन कर तहसील में लगाया जाता था, और कर्मचारियों द्वारा सत्यापन न करने के कारण कई फर्जी स्थायी निवास जारी कर दिए जाते थे। इस पूरे मामले पर एडवोकेट और राज्य आंदोलनकारी हुकम सिंह कुंवर ने कहा- तहसीलों के अंदर बाहरी लोगों का दखल है और तहसील कर्मचारियों की साठगांठ से ही इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं, कर्मचारी दस्तावेजों को जांच करने तक की जहमत तक नहीं उठाते हैं अब पढ़िए कैसे सामने आया 18 साल से चल रहा फर्जीवाड़ा… 9 दिन पहले 13 नवंबर को कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में चल रहे एक CSC सेंटर पर छापेमारी की थी, जिसमें फर्जी तरीके से स्थायी निवास बना रहे फैजान को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद अब बनभूलपुरा में SDM राहुल शाह के नेतृत्व में प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। इसी जांच में एक व्यक्ति के दस्तावेजों में ‘अंजुमन मोमिन अंसार, आजाद नगर, नैनीताल’ नाम की सोसाइटी द्वारा जारी एक कथित ‘सर्टिफिकेट’ मिला। यही सर्टिफिकेट इस बड़े रैकेट तक पहुंचने की पहली कड़ी बना। संदिग्ध सर्टिफिकेट ने खोला पूरा खेल यह ‘सर्टिफिकेट’ न तो सरकारी फॉर्मेट का था, न किसी अनुमति प्राप्त संस्था का।संदेह होने पर सिटी मजिस्ट्रेट, SDM और तहसीलदार की संयुक्त प्रशासनिक टीम को तत्काल सोसाइटी के पते की जांच के लिए भेजा गया। टीम जब रजिस्टर्ड पते पर पहुंची, तो वहां सोसाइटी का कोई अस्तित्व ही नहीं मिला। साहूकार लाइन तक पहुंची टीम, असली ऑपरेटर का खुलासा लोकल जांच में पता चला कि यह सोसाइटी वास्तव में कई सालों से बंद है, लेकिन इसके नाम पर साहूकार लाइन में दुकान चलाने वाला रईस अहमद अंसारी फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर रहा है। शुक्रवार शाम जब टीम ने मौके पर रईस अहमद अंसारी से पूछताछ की, तो उसने स्वीकार किया कि वह साल 2007 से सोसाइटी के नाम पर सर्टिफिकेट जारी कर रहा है। प्रेसिडेंट की मौत हो चुकी लेकिन काम जारी जांच में सामने आया कि सोसाइटी के प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी की 2007 में ही मौत हो चुकी थी, जिससे संस्था कानूनी रूप से लंबे समय से निष्क्रिय थी। इसके बावजूद रईस अहमद अंसारी पिछले 18 सालों से सोसाइटी का नाम इस्तेमाल कर लोगों को रहने की अवधि, जाति, और स्थानीय पहचान जैसे गलत सर्टिफिकेट जारी कर रहा था। सोसाइटी के पास ऐसे किसी भी प्रमाणपत्र को जारी करने का अधिकार नहीं था, लेकिन उसके लेटर पैड वाले ये कागज तहसील में स्थायी निवास, जाति और जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में उपयोग किए जा रहे थे। टीम ने पूरे रिकॉर्ड को किया सीज जांच टीम ने मौके पर सभी संबंधित दस्तावेज, पुराने रिकॉर्ड, लेटर पैड और डिजिटल कॉपी सीज कर ली हैं। एसडीएम राहुल शाह ने तहसीलदार को निर्देश दिया है कि इस सोसाइटी के आधार पर जारी सभी प्रमाणपत्रों की तत्काल जांच की जाए और हर केस की बैक-ट्रैकिंग कर दोषियों का पता लगाया जाए। ————- ये खबर भी पढ़ें… उत्तराखंड में 4 दिन में तैयार हुआ फर्जी स्थायी निवास: उत्तरप्रदेश के युवक को हल्द्वानी का बनाया उत्तराखंड में एक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) संचालक ने उत्तरप्रदेश के रईस अहमद को हल्द्वानी का दिखाकर 4 दिनों में फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिया। मामला तब सामने आया जब 13 नवंबर की शाम एक व्यक्ति की शिकायत पर कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने इस फर्जी CSC सेंटर पर छापा मारा।(पढ़ें पूरी खबर)


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