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हरियाणा का गीतांजलि केस 13 साल से मिस्ट्री:मर्डर या सुसाइड 3 वजहों से राज बरकरार, डॉक्टर की रिपोर्ट में हत्या, CBI साबित नहीं कर पाई

17 जुलाई 2013 को गुरुग्राम के पुलिस लाइंस पार्क में गोलियों से छलनी मिली 28 वर्षीय गीतांजलि की लाश का सच सामने नहीं आ सका। पंचकूला की CBI कोर्ट किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई कि ये मर्डर था या सुसाइड। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बनी गवाहों के विरोधाभासी बयान। गीतांजलि के पिता-भाई ने शुरुआती बयानों में सुसाइड बताया। फिर इसे दहेज हत्या बताया। डॉक्टर की रिपोर्ट मर्डर की तरफ इशारा कर रही थी, लेकिन सबूतों की श्रृंखला इससे अलग थी। CBI ने भी गीतांजलि के जज पति, रिटायर्ड जज ससुर व सास को दहेज हत्या की धाराओं में नामजद किया, लेकिन साबित नहीं कर पाई। नतीजा- 9 साल चली सुनवाई के बाद CBI कोर्ट ने 16 दिसंबर को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया। अब सिलसिलेवार पढ़ें लाश मिलने से फैसला आने तक की कहानी 17 जुलाई 2013 को पार्क में लाश मिली
17 जुलाई 2013 की सुबह गुरुग्राम में सब कुछ सामान्य था। सड़कें व्यस्त थीं और पुलिस लाइन के पास का पार्क शांत था। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उस दिन एक ऐसी घटना होने वाली है, जो सालों तक एक अनसुलझी कहानी बनकर रह जाएगी। एक बड़े घराने की बेटी, गीतांजलि गर्ग उस दिन घर से निकली और फिर कभी नहीं लौटी। कुछ घंटे बाद खबर आई कि पुलिस लाइंस के पास एक पार्क में एक महिला की लाश मिली है, जिसे गोली मारी गई थी। जब उसकी पहचान हुई, तो सब हैरान रह गए – वह गीतांजलि गर्ग थी। 3 गोलियां लगीं थी, रिवॉल्वर में 3 और लोडिड थीं
गीतांजलि के पति रवनीत गर्ग उस वक्त गुरुग्राम में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) थे। कानून की कुर्सी पर बैठा शख्स, और उसी कानून के घेरे में उसकी पत्नी की मौत। यह विरोधाभास ही इस केस को सुर्खियों में ले आया। लाश के पास एक रिवॉल्वर पड़ी थी, जो रवनीत गर्ग की लाइसेंसी बताई गई। शरीर पर 3 गोलियों के निशान थे, जबकि रिवॉल्वर में अभी 3 और राउंड बाकी थे। 20 जुलाई को दहेज हत्या का केस दर्ज
सवाल उठा कि ये सुनियोजित मर्डर है या सुसाइड। गीतांजलि के मायके वाले जो मूलरूप से अंबाला के हैं, उन्होंने चुप रहने से इनकार कर दिया। पिता ओमप्रकाश अग्रवाल का आरोप था कि गीतांजलि को दहेज और संतान को लेकर प्रताड़ित किया जाता था। यही प्रताड़ना उसकी मौत की वजह बनी। मामला अब सिर्फ एक मौत नहीं रहा, बल्कि दहेज हत्या और न्याय व्यवस्था की साख से जुड़ गया। 20 जुलाई 2013 को दहेज हत्या का केस दर्ज किया। 27 जुलाई को CBI को सौंपा केस
दबाव बढ़ा और सवाल भी। आखिरकार तत्कालीन हुड्डा सरकार ने केस CBI को सौंपने की सिफारिश की। 27 जुलाई 2013 को जांच CBI को ट्रांसफर हुई। CBI ने दहेज हत्या माना। गीतांजलि के पति सीजेएम रवनीत गर्ग को अरेस्ट किया गया। जो 23 महीने जेल में रहे। 9 साल में 160 सुनवाइयां, 88 गवाह
​​​​​​CBI कोर्ट में करीब 9 साल ट्रायल चला। इस दौरान 160 तारीखों पर सुनवाई हुई। इस दौरान 88 गवाह पेश हुए जिनमें गीतांजलि के परिजनों के अलावा पुलिस, फोरेंसिक टीम, डॉक्टर्स शामिल रहे। इसके बावजूद कोर्ट के सामने ऐसा ठोस सबूत नहीं आया, जिससे यह साबित हो सके कि यह मर्डर था या सुसाइड। 16 दिसंबर 2025 को कोर्ट ने पति निलंबित सीजेएम रवनीत गर्ग, ससुर रिटायर्ड सेशन जज केवल कृष्ण गर्ग और सास रचना गर्ग को दहेज हत्या, साजिश व दहेज उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया। अब जानिए वो 3 वजह, जिनके कारण किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा कोर्ट


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