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हथुआ–खेतान मार्केट से लेकर जंक्शन तक अतिक्रमण की री-एंट्री:पटना में बुलडोजर कार्रवाई बेअसर, सुबह अतिक्रमण हटाया; चंद घंटों में फिर से लगाया अवैध दुकान

पटना शहर में जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. के निर्देश पर अतिक्रमण के खिलाफ स्पेशल ड्राइव चलाई जा रही है। इसके लिए 9 टीमों का बड़ा मल्टी-एजेंसी सेटअप, महीनेभर का कैलेंडर, सख़्त दिशानिर्देश, दंड की व्यवस्था, वीडियोग्राफी, फॉलो-अप यूनिट बनाया गया है। पटना प्रमंडल के आयुक्त ने बैठक में टीम गठित कर साफ-साफ अतिक्रमण हटाने और ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने को लेकर डीएम और एसएसपी को दिशा निर्देश दिया है। कार्रवाई के बाद फिर लगाया अतिक्रमण अतिक्रमण पर कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। प्रशासन ने जिस स्पीड और सख़्ती के साथ अभियान की घोषणा किया, उसी तेजी से कई इलाकों में दुकानदारों ने फिर से अवैध कब्जा जमा लिया है। सबसे बड़ी समस्या यह देखी गई कि जहां-जहां अतिक्रमण हटाया गया, वहां कुछ ही घंटों के भीतर दुकानदार फिर लौट आए। हथुआ मार्केट में टीम जैसे ही पहुंचती है, दुकानदार पहले से ही अलर्ट होकर अपना ठेला-खोमचा हटा लेते हैं। जैसे ही टीम आगे बढ़ती है। सारी दुकानें वापस पुराने स्थान पर मिनटों में खड़ी हो जाती हैं। खेतान मार्केट की स्थिति भी बिल्कुल यही है। स्थानीय दुकानदारों के लिए यह “रोज़ का खेल” बन चुका है। बोरिंग रोड, पटना जंक्शन में स्थिति जस की तस प्रशासन के दावों के बावजूद शहर के सबसे व्यस्त और भीड़भाड़ वाले चौराहों की स्थिति ज्यों की त्यों है। बोरिंग रोड चौराहा पर पान दुकानों से लेकर मोबाइल कवर, चाट-गोलगप्पा और गारमेंट्स स्टॉल तक, सभी सड़क किनारे फिर जम गए हैं। यातायात व्यवस्था पहले की तरह बिगड़ी हुई। हड़ताली मोड़ इलाका हमेशा से प्रशासन के लिए चुनौती रहा है। सड़क किनारे ठेले और फूड स्टॉल अब भी खुलेआम चल रहे हैं। वहीं, पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन के बाहर की सड़क पर फिर वही बग्घी, रिक्शा, अनधिकृत फूड स्टॉल और सामान बेचने वाले दुकानदार लौट आए हैं। जंक्शन से गांधी मैदान रोड पर भी अतिक्रमण लगातार बना हुआ है। सवालों में प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति जिलाधिकारी ने बार-बार कहा है कि फिर से अतिक्रमण करने वालों पर अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज होगी। अवैध पार्किंग पर कार्रवाई, वीडियो रिकॉर्डिंग, फॉलो-अप टीम सभी तरीके अपनाए जा रहे हैं। लेकिन मौके पर इन बिंदुओं का पालन कहीं भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। अधिकतर इलाकों में न तो नियमित फॉलो-अप दिख रहा है, न ही दुकानदारों में किसी सख़्त कार्रवाई का डर दिखाई देता है। पोस्ट-ड्राइव मॉनिटरिंग नहीं प्रशासन जब तक मौजूद रहता है, सड़क साफ रहती है। जैसे ही गाड़ी मुड़ता है, अतिक्रमण वापस पुरानी जगह पर लगा दी जाती है। पटना प्रशासन ने विस्तृत प्लान और सख़्त निर्देश जारी किए हैं, लेकिन फिलहाल जमीनी स्तर पर अभियान अपनी प्राथमिक परीक्षा में ही असफल साबित हो रहा है। अतिक्रमण हटाने की असली चुनौती अब शुरू होती है। यदि फॉलो-अप और सख़्ती नहीं बढ़ी तो यह पूरा अभियान सिर्फ कागजी उपलब्धि बनकर रह जाएगा।


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