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स्कीम वर्कर्स ने न्यूनतम वेतन, पेंशन के लिए धरना दिया:कहा- 12 घंटों तक काम करते हैं, फिर भी हमें उचित वेतन नहीं मिलता

समस्तीपुर जिले में स्कीम वर्कर्स ने न्यूनतम वेतन, पेंशन और बुनियादी अधिकारों की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन केंद्रीय मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में स्थित महासंघ भवन कार्यालय परिसर में किया गया। धरने में आशा फेसिलिटेटर, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका और मध्याह्न भोजन कर्मी शामिल थे। उन्होंने अपनी 14 सूत्री मांगों को सरकार के समक्ष रखा। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे प्रतिदिन 10 से 12 घंटे काम करते हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन नहीं मिलता। उन्हें रजिस्टर ऑनलाइन करने, फील्ड वर्क के लिए यात्रा करने, बच्चों और परिवार के सदस्यों को काम में शामिल करने, मोबाइल फोन और डेटा पैक का खर्च उठाने और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के लिए सामान खरीदने जैसे कार्यों पर भी अपना पैसा खर्च करना पड़ता है। कहा कि उन्हें केवल एक मामूली राशि मिलती है, जो सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि केवल गुजारा करने लायक है। प्रोत्साहन राशि का भुगतान बंद है आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी स्थिति बताते हुए कहा कि वे 24 घंटे ड्यूटी पर रहती हैं, चाहे दिन हो या रात, गर्मी हो या सर्दी, बाढ़ हो या शीतलहर। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के लिए वे हमेशा उपलब्ध रहती हैं। मार्च महीने में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में ₹2000 की राशि को बढ़ाकर ₹3500 करने और विभिन्न प्रोत्साहन राशियों में वृद्धि करने का जवाब दिया था। हालांकि, बढ़ी हुई राशि मिलना तो दूर, पिछले चार से पांच महीनों से उन्हें मिलने वाली सभी प्रकार की प्रोत्साहन राशि का भुगतान बंद है। इस कारण वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गई हैं। इसी मुद्दे को लेकर सभी स्कीम वर्कर्स ने एकजुट होकर महासंघ भवन कार्यालय परिसर में यह एक दिवसीय धरना कार्यक्रम आयोजित किया। श्रम विरोधी संहिताओं को तुरंत वापस लिया जाए। योजना श्रमिकों को श्रम कानून में शामिल किया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका आशा कार्यकर्ताओं, मध्याह्न भोजन श्रमिकों और अन्य श्रमिकों की सेवा नियमित की जाए।


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