मिथिलेश कुमार सिंह सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए डॉक्टर और कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई, लेकिन स्वास्थ्य सेवा में बेहतर सुधार नहीं हो सका। इसका कारण है कि कई डॉक्टर प्रतिदिन अस्पताल नहीं आते हैं। जबकि डॉक्टर और कर्मियों को सप्ताह में 6 दिन ड्यूटी करनी होती है, लेकिन 2 से 3 दिन ही ड्यूटी करते हैं। नतीजतन मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से नहीं हो पाता है और गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए पटना या गोरखपुर रेफर करना पड़ता है। इन डॉक्टरों में किसी भी तरह का डर नहीं है। पिछले नवंबर माह का वेतन भुगतान सदर अस्पताल के अधीक्षक द्वारा बायोमेट्रिक सिस्टम के आधार पर की गई है। इसमें पाया गया है कि 16 डॉक्टर अपनी ड्यूटी से कई दिन अनुपस्थित थे। इसमें से कई डॉक्टर छपरा, पटना और गोपालगंज जिले से आते हैं। वहीं पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इस वजह से वे नियमित रूप से सदर अस्पताल नहीं आते है। 16 डॉक्टर के वेतन भुगतान में कटौती की गई है, उसमें एसएनसीयू के डॉ. आलोक कुमार शामिल है। इनके 10 दिन के वेतन कटौती की गई है। डॉ. आलोक कुमार सिन्हा के 7 दिन की वेतन कटौती की गई है। इसी तरह डॉ. सारिका के भी वेतन कटौती की गई है। इसके अलावा शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश कुमार गुप्ता के दो दिन, डॉ. अहमद अली के दो दिन की वेतन कटौती की गई है। पांच डॉक्टरों से किया गया है जवाब तलब जबकि पांच डॉक्टर ऐसे हैं, जिनका विभिन्न कारणों से वेतन बंद है। उनसे अधीक्षक के स्तर से जवाब तलब किया गया है। हालांकि डॉ. चंदन कुमार की ड्यूटी सदर अस्पताल के ओपीडी में दो दिन ही है। इसी तरह अन्य डॉक्टरों की भी ड्यूटी दो से तीन दिन ही लगाई गई है। जबकि गाइडलाइन के अनुसार इन्हें छह दिन ड्यूटी करनी चाहिए थी। जिलाधिकारी का आदेश बायोमेट्रिक हाजिरी के आधार पर ही होगा वेतन भुगतान इधर जिलाधिकारी विवेक कुमार मैत्रेय ने भी आदेश जारी कर दिया है कि अब सभी विभागों में बायोमेट्रिक सिस्टम के आधार पर भी वेतन का भुगतान होगा। इस तरह अब दिसंबर माह का भी वेतन भुगतान बायोमेट्रिक सिस्टम के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए तैयारी अस्पताल प्रशासन द्वारा की जा रही है। इस तरह जब दिसंबर माह का वेतन भुगतान होगा तो कई डॉक्टरों के वेतन में कटौती होगी। सदर अस्पताल में फिलहाल 42 डॉक्टर पदस्थापित है। डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के बावजूद मरीज को बेहतर इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है। जब डॉक्टर की संख्या बढ़ रही है तो ओपीडी और इमरजेंसी में पहले से पदस्थापित डॉक्टर अपनी ड्यूटी कम कराने में जुट जाते हैं। ऐसे डॉक्टरों का हवाला होता है कि अब डॉक्टर की संख्या बढ़ गई है इसलिए उनकी ड्यूटी को कम कर दिया जाए। रोस्टर ड्यूटी जारी होता है उसमें भी ड्यूटी कम कर दी जा रही है। इस तरह डॉक्टर सप्ताह में निर्धारित 6 दिन ड्यूटी नहीं कर रहे हैं।
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