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सेक्स के दौरान बॉयफ्रेंड ने इंजेक्शन दिया,अब लत लग गई:डॉक्टर की बेटी ट्रैप; भास्कर रिपोर्टर एडिक्ट बनकर पहुंचे-कैमरे पर 5 हजार इंजेक्शन की डील

‘मैं इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हूं। नालंदा के छोटे से गांव से पटना पढ़ने आई थी। यहां मेरी दोस्ती आशीष से हुई। धीरे-धीरे हम क्लोज आने लगे। वो मुझसे छिपकर अपने इंजेक्शन लगाया करता था। इसके बाद वह काफी देर तक नशे में हो जाता था। दोस्ती के दौरान हमारे बीच गई बार संबंध भी बन गए। एक दिन सेक्स से पहले उसने मुझे भी इंजेक्शन के लिए फोर्स किया। मैंने मना किया तो उसने फोर्सली लगा दिया। इसके बाद धीरे-धीरे मैं भी उस इंजेक्शन की आदी हो गई। मुझे वो अच्छा लगने लगा। इसके बाद आज 3 साल हो चुके हैं।’ ये कहना है पटना की स्टूडेंट का जो नशे की लत में पकड़कर घर परिवार सब छोड़ चुकी है। अब ये दूसरा बयान पढ़िए, ‘देखिए, आजकल स्टूडेंट्स बहुत स्ट्रेस में रहते हैं। आप तो बस उनको स्ट्रेस फ्री के लिए जेसीबी और स्विच ऑफ की आदत लगाइए। दोनों इंजेक्शन के एक डोज में सारा तनाव दूर हो जाएगा। फिर वो इंजेक्शन के लिए मुंह मांगे पैसे देंगे। स्कूल और कोचिंग को टारगेट कीजिए, अपना पूरा धंधा वहीं सेट हो जाएगा।’ स्टूडेंट्स को नशे वाले इंजेक्शन की लत लगाकर पैसा कमाने का प्लान बता रहा एजेंट पटना में कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों के आसपास इंजेक्शन की सप्लाई करता है। भास्कर रिपोर्टर इंजेक्शन एडिक्ट बनकर गैंग तक पहुंचे। एक इंजेक्शन सेट से लेकर 5000 इंजेक्शन तक की डील की, जिसे नशे की दुनिया में जेसीबी और स्विच ऑफ नाम से जाना जाता है। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में पढ़िए और देखिए मासूमों को इंजेक्शन की लत लगाने वाली खतरनाक गैंग की कहानी..। इंजेक्शन वाली सोनम की राजधानी में बड़ी गैंग राजधानी में स्टूडेंट्स को नशे वाली इंजेक्शन की लत लगाने वाली गैंग कई हिस्सों में बंटी है। अलग-अलग एरिया में अलग-अलग गैंग एक्टिव हैं। कोचिंग और स्कूल का हब कहे जाने वाले कंकड़बाग और पटना के बाकी पॉश इलाकों में इस गैंग की कमान सोनम के हाथ है। सोनम इंजेक्शन की व्यवस्था करने से लेकर इसे स्टूडेंट्स तक पहुंचाने वाले एजेंट्स को डील करती है। बिहार की सबसे बड़ी दवा की मंडी गोविंद मित्रा रोड से दवा की खेप सोनम तक पहुंचती है। जिसे वो अलग-अलग एरिया में एजेंट्स को भेजती है। पूरा लेखा-जोखा सोनम के पास रहता है। सोनम की तरह दूसरे एक्टिव सदस्य भी इसी ट्रेंड पर काम करते हैं। सोनम की गिरफ्तारी के बाद भास्कर ने शुरू की इन्वेस्टिगेशन 8 दिसंबर को पुलिस की स्पेशल टीम ने पटना के कंकड़बाग थाना क्षेत्र में एक मकान में छापेमारी कर सोनम के साथ 3 नशे के सौदागरों को गिरफ्तार कर लिया। रेड के दौरान पुलिस को 151 नशे की इंजेक्शन के साथ पूरा वेयर हाउस एक्सपोज हुआ। पुलिस की जांच में एक बड़ी सप्लाई चेन का पता चला, जिसमें सोनम की तरह कई एजेंट्स काम कर रहे हैं। सोनम के साथ पुलिस ने अमरजीत कुमार और रवि पासवान को पकड़ा जो स्टूडेंट्स को नशे की लत लगाने वाले गैंग के साथ जुड़े थे। इस खुलासे के बाद भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम ने कई धंधेबाजों से डील की। पहचान के स्टूडेंट्स को ही मिलती है नशे की डोज भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम को इनपुट मिला कि पुलिस की सेटिंग से धंधेबाज कंकड़बाग के डॉक्टर कॉलोनी में नशे के इंजेक्शन का धंधा कर रहे हैं। इनपुट के आधार पर रिपोर्टर कंकड़बाग इलाके के डॉक्टर कॉलोनी चौराहे के पास पहुंची। यहां एक लाइन से कई झोपड़पट्टी दिखी। यहां से 100 मीटर के अंदर कई बड़े हॉस्पिटल और कोचिंग सेंटर दिखाई पड़े। हालात देखकर इनपुट सही होने का अंदाजा लग गया। रिपोर्टर की पड़ताल के दौरान झोपड़पट्‌टी के आसपास सैकड़ों इस्तेमाल की गई सिरिंज और टूटी शीशी दिखीं। आसपास के दुकानों पर बातचीत में निकलकर आया कि झोपड़ी में स्टूडेंट्स वाली सूई मिलती है। झोपड़ी में मौजूद लोगों ने नया चेहरा देख रिपोर्टर को इंजेक्शन देने से मना कर दिया। रिपोर्टर अगले दिन फिर कंकड़बाग के डॉक्टर्स कॉलोनी में स्थित झोपड़ियों के पास पहुंचा जहां से नशीली इंजेक्शन के धंधे का इनपुट मिला था। दूसरे दिन भी रिपोर्टर ने कई झोपडी में पूछताछ की, लेकिन इंजेक्शन के लिए मना कर दिया गया। आसपास अंधेरे में कई लड़के झोपड़ी के अंदर इंजेक्शन ले रहे थे। यहां हमारी मुलाकात राजू नाम के स्टूडेंट से हुई जो नशे की लत में ऐसा उलझा है कि हर दिन 25 किलोमीटर दूर हाजीपुर से इंजेक्शन की डोज लेने पटना आता है। रिपोर्टर – मुझे भी इंजेक्शन लेना था, यहां तो सब देने से मना कर रहे हैं। राजू – आपको नहीं पहचान रहा होगा, इसलिए नहीं देगा। रिपोर्टर – कहां-कहां मिलती है नशे वाली सूई? राजू – यहां तो हर छोटी बड़ी झोपड़ी में मिल जाती है। रिपोर्टर – सब मना कर रहे हैं। राजू – बेचते सब हैं, लेकिन अनजान को देने में डरते हैं। चलिए आपको दिला देते हैं। रिपोर्टर – आप यहीं के रहने वाले हैं? राजू – नहीं भाई, हम तो हाजीपुर से रोज शाम को इसीलिए यहां आते हैं। राजू को आसानी से मिल गया इंजेक्शन झोपड़ी में राजू को आसानी से इंजेक्शन मिल गया। राजू रिपोर्टर को लेकर एक झोपड़ी में राहुल के पास पहुंचा। पैसा देते ही राहुल ने दो इंजेक्शन का सेट रिपोर्टर को दे दिया। राजू को इंजेक्शन मिलने के बाद हमे पूरा भरोसा हो गया था कि कंकड़बाग थाना क्षेत्र और आसपास के इलाकों में कोचिंग सेंटर और स्कूल अधिक हैं, इसलिए यहां नशे के इंजेक्शन का धंधा चल रहा है। राजू से नशे के इंजेक्शन की बिक्री का पूरा खेल समझने के बाद भास्कर रिपोर्टर ने एजेंट बनकर धंधेबाजों से डील कर पूरा प्लान बनाया। इन्वेस्टिगेशन के दौरान रिपोर्टर को कंकड़बाग के राहुल के बारे में कई इनपुट मिला। इसके बाद रिपोर्टर राहुल के संपर्क में कई बार आया। राहुल पटना में काफी लंबे समय से स्टूडेंट्स को नशे का इंजेक्शन बेच रहा है। राहुल के पास से रिपोर्टर ने कई बार इंजेक्शन लेकर पहले विश्वास जमाया उसके बाद एजेंट बनकर पूरी डील की। रिपोर्टर जब फाइनल डील करने राहुल के पास पहुंचा तो झोपड़ी में कई लड़कियां भी नशे का इंजेक्शन अपने हाथों की नस में लगा रही थीं। रिपोर्टर – हम बड़े पैमाने पर काम करना चाहते हैं? राहुल – हो जाएगा, ले जाइए बेचिए। रिपोर्टर – कौन सा इंजेक्शन मिलेगा? राहुल – सब मिल जाएंगे, 2 इंजेक्शन हैं मिलाकर लगते हैं। रिपोर्टर – ज्यादा कौन सा चलता है? राहुल – स्विच ऑफ और जेसीबी दोनों एक साथ लगते हैं। रिपोर्टर – कितने मिल जाएंगे। राहुल – जितने चाहिए, मिल जाएंगे। जेसीबी और स्विच ऑफ इंजेक्शन को जानिए ब्यूप्रेनोफिन इंजेक्शन को जेसीबी बोलते हैं। इंजेक्शन पर भी जेसीबी प्रिंट होता है। एविल को स्विच ऑफ बोलते हैं। नशे के लिए दो अलग-अलग तरह के इंजेक्शन का सेट दिया जाता है। यह ऐसा इंजेक्शन होता है जो काफी तेज और असहनीय दर्द में डॉक्टर के पर्चे पर मेडिकल स्टोर से दिया जाता हैं। राहुल ने दो सुई की शीशी के लिए 80 रुपए रेट लिए। रिपोर्टर ने कहा कि धंधा बड़े पैमाने पर करना है, रेट कुछ कम लगाइए तो राहुल ने कहा कैंसर में तेज दर्द वाले मरीजों को यह इंजेक्शन दी जाती है। ऐसे आसानी से नहीं मिलती है, इसलिए रेट थोड़ा टाइट होता है। राहुल ने कहा कि जितना चाहिए उतना मिल जाएगा कल आइए। कई बार बातचीत और मुलाकात के बाद भास्कर रिपोर्टर पर राहुल का विश्वास जमा चुका था। राहुल पार्टनरशिप में भी धंधा करने को तैयार हो गया। राहुल और काजल दोनों मिलकर धंधा चलाते हैं। जब राहुल नहीं होता है तब पूरा कामकाज काजल देखती है। रिपोर्टर ने ऐसा समय चुना जब राहुल नहीं हो और डील सीधे काजल से हो, जिससे कुछ और खुलासा हो सके। राहुल के नहीं होने पर रिपोर्टर जब कंकड़बाग पहुंचा तो यहां काजल मिली और 5 हजार इंजेक्शन की डील की। काजल बोली- पहले लत लगा दीजिए फिर आपको बेचने के लिए दौड़ना नहीं होगा। लड़का अपने आपके पास अपने आप आकर इंजेक्शन ले जाएगा। रिपोर्टर – राहुल से बात हो गई है, हम भी धंधा कर रहे हैं। काजल – नशे का इंजेक्शन वाला। रिपोर्टर – राहुल नहीं हैं, हमारी 5 हजार शीशी की बात हुई थी। काजल – हो जाएगा, आप राहुल का नंबर ले लीजिए फोन करके आइएगा। रिपोर्टर – हो जाएगा ना। काजल – सब हो जाएगा। जितना चाहिए सब मिल जाएगा। रिपोर्टर – कहां से आपका माल आता है? काजल – आपको यहीं से मिल जाएगा, कहीं जाने की जरूरत नहीं है। राहुल ने फाइनल की 5 लाख की डील राहुल ने रिपोर्टर से 5 हजार इंजेक्शन के लिए 5 लाख में डील फाइनल की। राहुल ने दावा किया कि पटना में वह जितना इंजेक्शन बेचता है उतना कोई सोच भी नहीं सकता है। रिपोर्टर को चैलेंज करते हुए उसने कहा कि आप जैसे सैकड़ों लड़के हैं जो उससे इंजेक्शन ले जाते हैं। फाइनल डील के लिए राहुल ने रिपोर्टर को अपने हिसाब से टाइम देकर बुलाया था। स्विच ऑफ लेते ही शरीर सुस्त पड़ जाता है राहुल ने डील के दौरान इंजेक्शन के बारे में पूरी जानकारी दी और कहा अलग-अलग काम करता है। दोनों इंजेक्शन का काम अलग – अलग होता है। नशा का पावर भी दोनों का काफी अलग अलग होता है। रिपोर्टर – आप बुलाए थे, इंजेक्शन के लिए? राहुल – हां, कितना चाहिए, अब फाइनल बात कर लिया जाए। रिपोर्टर – शुरुआत 5000 इंजेक्शन से करना है। राहुल – इसमें दो तरह का आता है, दोनों में कौन सा चाहिए? रिपोर्टर – दोनों में क्या अंतर है? राहुल – स्विच ऑफ लेते ही आदमी तुरंत सुन्न पड़ जाता है। जेसीबी लेने के बाद धीरे धीरे नशा होता है और देर तक बना रहता है। रिपोर्टर – फाइनल क्या रेट पड़ेगा, इतना मात्रा में ले रहे हैं। राहुल – फाइनल आपके लिए स्विच ऑफ 120 और जेसीबी का रेट 80 रुपया लगेगा। रिपोर्टर – यह ज्यादा लग रहा है भाई? राहुल – यही होल सेल रेट है। रिपोर्टर – ठीक है आप, माल कहा देंगे। राहुल – आप पेमेंट कीजिए, कुछ देर आप यहीं रुकिए, यहीं 15 मिनट मे आ जाएगा। रिपोर्टर – ऑन लाइन पैसा दे देते हैं । राहुल – जी हो जाएगा, बाद में स्विच ऑफ का 120 और जेसीबी का 80 रुपया होल सेल रेट लगा देंगे। बिहार में इंजेक्शन का ब्लैक मार्केटिंग भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में यह पता चला कि नशे की इंजेक्शन की डिमांड के कारण इसकी ब्लैक मार्केटिंग होती है। 6 रुपए एमआरपी वाले इंजेक्शन को 30 रुपए में बेचा जाता है। इंजेक्शन के दोनों सेट के लिए 100 से 150 रुपए तक लिया जाता है। स्विच ऑफ का 120 रुपए और जेसीबी का 80 रुपया होल सेल रेट बताया जाता है जबकि दोनों इंजेक्शन की कीमत 50 रुपए के आसपास है। शराबबंदी के बाद नशे का नया नेटवर्क बिहार में शराबबंदी के बाद नशा का नया नेटवर्क तैयार हो गया है। स्टूडेंट्स को जहां नशे वाली इंजेक्शन की लत लगाई जा रही है वहीं नशीली गोली के साथ नशा के लिए अन्य कई दवाएं भी इस्तेमाल की जा रही हैं। इसमें कोडीन सिरप के साथ अन्य खांसी के सिरप शामिल हैं। नशीली सुई की गिरफ्त में ज्यादातर युवा वर्ग हैं। इसमें अधिक संख्या में लड़कियां भी शामिल हैं। छात्रों को ये आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है। इसकी बिक्री बढ़ाने के लिए गैंग स्टूडेंट्स को ही लत लगाने के लिए जोर लगाता है। धंधेबाज कोचिंग सेंटर और स्कूलों के आसपास इंजेक्शन का धंधा करते हैं। शराबबंदी के बाद 80 प्रतिशत तक बढ़ा कारोबार मेडिकल सेक्टर से जुड़े लोग बताते हैं कि बिहार में शराबबंदी के बाद स्मैक, ड्रग्स, ब्राउन शुगर, कफ सीरप और नशे की सुइयों का कारोबार 60 से 80 प्रतिशत तक बढ़ा है। दर्द वाली नशीली सुइयों का नशा स्मैक, ड्रग्स और ब्राउन शुगर जैसा होता है। बाजार में मिलने वाली ये 30 रुपए की सूइयां मार्केट में 80 से 100 रुपए में बिकती है। मामला खुले नहीं इसलिए इसे स्विच ऑफ और जेसीबी का नाम दिया गया है। नाइट्राज़ेपैम टैबलेट भी युवा नशे के लिए ले रहे हैं। पटना के दवा दुकानदारों के माध्यम से दलाल इस दवा को बेचते हैं। इसका इस्तेमाल नींद के लिए किया जाता है। इसे डॉक्टरों की सलाह पर ही लेने का नियम है। यह मस्तिष्क को आराम देता है, ऐसे लोगों की इलाज में मदद करता है जिन्हें नींद से जुड़ी समस्याएं होती हैं। प्लास्टिक जोड़ने वाले केमिकल से नशा बड़े घरों के बच्चों को इंजेक्शन की लत लग रही है, वहीं गरीब परिवार के बच्चों को प्लास्टिक जोड़ने वाले केमिकल को सूंघकर नशा की लत लगाई जा रही है। सूलेशन सूंघकर नशा करने वालों की संख्या शराबबंदी के बाद बढ़ी है, इसके शिकार तेजी से गरीब परिवार के बच्चे बन रहे हैं। इसमें अधिकतर संख्या 7 से 8 साल से कम उम्र के बच्चों की है। भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम पटना के रेलवे स्टेशन पहुची। यहां कई जगह अंधेरे मे कम उम्र के लड़के बेसुध नशे में दिखे। भास्कर रिपोर्टर जब हनुमान मंदिर के पीछे पहुंचे तो लगभग 14 साल का मुन्ना नाम का एक लड़का टायर का पंचर बनने वाले केमिकल को सूंघता दिखा। रिपोर्टर – जो सूंघ रहे हो वह मुझे भी दिला दो। मुन्ना – क्यों दिला दें? (हाथ में लिए प्लास्टिक के थैले को छिपाते हुए) रिपोर्टर – मैं भी सूंघकर देखता हूं। मुन्ना – रिपोर्टर को घूरते हुए बोला- मैं नहीं दिलाउंगा। रिपोर्टर – हमको एक दिला दो तुमको भी एक दिला देंगे। मुन्ना – बहुत दुकान है जाकर ले लो (नशीली आंखों से घूरते हुए बोला) रिपोर्टर – अगर रखे हो तो दे दो, जो पैसा बोलोगे दे देंगे। मुन्ना – 40 रुपए दे दो। (पॉकेट मे रखा सुलेशन दिखाते हुए बोला) रिपोर्टर – 40 रुपए में मिलता है क्या? ज्यादा दाम बता रहे हो। मुन्ना – हम लोगों से ज्यादा लेता है। रिपोर्टर – यह कैसे पीया जाता है? मुन्ना – प्लास्टिक का पन्नी ले लो उसमें डालकर सूंघा करो। रिपोर्टर – दिखाओ कैसे सूंघा जाता है। मुन्ना – ऐसे सीख लो एक बार देखकर ( हाथ में रखे पॉलिथीन मे हवा भरा और पॉलिथीन में थोड़ा सा सूलेशन डाल दिया और उसमे से हवा पीने लगा) एक बार तेजी से हवा खींचने के बाद वह नशे मे डूब गया और कुछ बताने की स्थिति मे नहीं था। इसी बीच आस पास लड़के के ग्रुप के कुछ लड़के वहां पहुच गए सभी नशे मे थे सब के हाथ मे सुलेशन था नशे वाले इंजेक्शन की जद में ज्यादातर लड़कियां नशे की इंजेक्शन की लत में लड़कों से अधिक लड़कियों के मामले आ रहे हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में अधिकतर मामले लड़कियों के आ रहे हैं। सेंटर के एक्सपर्ट बताते हैं, 30 से 40 प्रतिशत इंजेक्शन वाले मामले लड़कियों के आ रहे हैं। लड़कियों का मामला गंभीर हो रहा है, क्योंकि परिवार पहले इसे छिपाने की कोशिश करता है। ऐसे में एक ऐसा समय आता है जब लड़कियों को इस दलदल से निकाल पाना बड़ा चैलेंज हो जाता है। केस- 1 महिला डॉक्टर को नाइट क्लब से लगी नशे की लत 22 साल की एमबीबीएस डॉक्टर नशे की लत में पागल हो गई है। नेपाल में एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान नशे वाली इंजेक्शन की लत लगी। दोस्तों ने जिस्म की चाह में एक डॉक्टर को इस दलदल में पहुंचा दिया। पटना के एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती महिला डॉक्टर बिहार के चर्चित डॉक्टर की बेटी है। वह जब भी रिहैब सेंटर से निकलती है, नाइट क्लब और डर्टी पार्टियों के लिए नेपाल से लेकर बड़े शहरों की तरफ भागने का प्रयास करती है। 4 माह से उसका इलाज चल रहा है, लेकिन अभी स्थिति ठीक नहीं है। इलाज करने वाले डॉक्टर भी एमबीबीएस पूरी कर चुकी महिला डॉक्टर की दशा से हैरान हैं। केस- 2 भाई के दोस्तों ने नशे का इंजेक्शन देकर शिकार बनाया पटना में नशा मुक्ति केंद्र में लंबे समय तक भर्ती रही 21 साल की युवती को उसके भाई के दोस्तों ने नशीले इंजेक्शन का आदी बना दिया। छोटे भाई को पढ़ाई के दौरान नशे वाली इंजेक्शन की लत लग गई। पिता इंजीनियर थे, पैसे की कमी नहीं थी। दोस्तों ने इसका फायदा उठाया। बेटे की हालत देख चिंता में पिता की मौत हो गई। इसके बाद वह घर में इंजेक्शन लेने लगा। दोस्त भी घर आने जाने लगे। दोस्तों की नजर युवती पर थी। वह उसे भी अपनी जाल में फंसा लिए। नशे की इंजेक्शन का डोज देकर न सिर्फ युवती के साथ कई साल तक सेक्स किया बल्कि उसे भी नशे वाली इंजेक्शन का आदी बना दिया। एक साल के इलाज के बाद वह इस दलदल से बाहर तो निकली लेकिन शरीर पूरी तरह कमजोर हो गई है। घर वालों ने युवती को यूपी में अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया है। केस- 3 इंजेक्शन लेने के बाद सब भूल जाती हूं कॉलेज में स्ट्रेस दूर करने के लिए दोस्तों ने ड्रग्स की लत लगा दी। इसे लेने के बाद पूरी बॉडी रिलैक्स हो जाती थी। कुछ समय तक तो यही चलता रहा। फिर दोस्तों की ऐसी सर्किल बन गई जो इंजेक्शन लेते थे। जब इंजेक्शन लेने लगी तो नशा की टाइमिंग बढ़ गई और अलग फील होने लगा। हमेशा मदहोश होने वाली इंजेक्शन देकर दोस्तों ने फायदा उठाया। इंजेक्शन लेने के बाद सब भूल जाती थी, दोस्त मेरे साथ हर दिन सेक्स करते थे। मुझे नशीली इंजेक्शन का आदी बनाकर मेरे सभी दोस्तों ने मेरे साथ संबंध बनाए, मुझे कुछ पता ही नहीं चलता है। उल्टा दोस्तों की घटिया हरकत में मजा आता था। दो साल तक ट्रीटमेंट चला, अब थोड़ी हालत सही हुई है। अब हर 15 दिन पर काउंसलिंग के लिए नवादा से पटना आना पड़ता है। नशे की लत छूटी लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया, दोस्तों ने गंदी आदत देकर सब कुछ लूट लिया। जिम्मेदारों ने कहा, पुलिस कर रही छापेमारी पटना के DSP-1 राजकिशोर सिंह का कहना है कि स्टूडेंट्स को नशे की लत लगाने और इंजेक्शन का धंधा करने वालों काे पकड़ा गया है। भारी मात्रा में इंजेक्शन बरामद किया गया है। औषधि निरीक्षक संजीव कुमार, यशवंत कुमार झा, श्वेता कुमारी के साथ अगमकुआं थाना की पुलिस ने छापेमारी की है। पूछताछ में जो इनपुट मिला है,उसके मुताबिक अब आगे की जांच की जा रही है।


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