सुरक्षा और स्थिरता परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक… News9 Global Summit 2025 में बोले डॉ विवेक लाल
जर्मनी के स्टटगार्ट में न्यूज9 ग्लोबल समिट में जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉर्पोरेशन के सीईओ डॉ विवेक लाल ने रक्षा नवाचार के भविष्य पर प्रकाश डाला. डिफेंस लीडर्स, राजनयिकों और उद्योग विशेषज्ञों के एक समूह को संबोधित करते हुए डॉ लाल ने कहा, “हम आज असाधारण व्यवधान के दौर में एकत्रित हुए हैं. भू-राजनीति के भू-आकृति पटल बदल रहे हैं. डॉ लाल को वैश्विक एयरोस्पेस और सुरक्षा के क्षेत्र में सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक माना जाता है.
उन्होंने कहा, “प्रतिस्पर्धी बढ़ रहे हैं और गैर-सरकारी तत्व असममित खतरों को बढ़ा रहे हैं. अंतरिक्ष, साइबरस्पेस और विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम विवादित क्षेत्र बन गए. रक्षा सहयोग के पुराने मॉडल पर्याप्त नहीं होंगे.”
ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने कहा, “हमें एक नए प्रतिमान को आगे बढ़ाना होगा, जिसमें सुरक्षा, स्थिरता और मापनीयता प्रतिस्पर्धी लक्ष्य न हों, बल्कि परस्पर सुदृढ़ करने वाले स्तंभ हों.”
‘सुरक्षा ही बाकी सबका आधार है’
डॉ लाल ने इस बात पर जोर दिया कि “सुरक्षा ही वह आधार होनी चाहिए”, जिस पर बाकी सब टिका है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इसके बिना, “कुछ भी मायने नहीं रखता.”
#News9GlobalSummit2025 | “In this era, we must advance a new paradigm—one in which security, sustainability, and scalability are not competing, but mutually reinforcing pillars” Dr Vivek Lall, CEO, General Atomics Global Corporation#IndiaGermany #Stuttgart pic.twitter.com/oLoOKNS7oS
— News9 (@News9Tweets) October 9, 2025
उन्होंने सरकारों और उद्योगों से रक्षा की पारंपरिक परिभाषाओं, हार्डवेयर और प्लेटफॉर्म से आगे बढ़कर “प्रणालीगत, स्तरित और अनुकूली सुरक्षा” की ओर सोचने का आग्रह किया. उन्होंने जो दृष्टिकोण रेखांकित किया, वह आत्म-रक्षा करने वाले नेटवर्क और सिस्टम का था जो “तुरंत पता लगा सकें, ठीक कर सकें और पुनर्संयोजित कर सकें.”
उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण मूल स्तर से शुरू होता है – चिप डिजाइन, संचार, विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखलाएं, फिर भी, उन्होंने चेतावनी दी, “अकेले तकनीक पर्याप्त नहीं है.” उनका मानना था कि सुरक्षा राजनीतिक, संस्थागत और सहयोगात्मक भी होनी चाहिए.
स्थायित्व: एक रणनीतिक आवश्यकता, सिर्फ एक नारा नहीं
डॉ लाल ने कहा, “खतरे सीमाओं का सम्मान नहीं करते. रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को संप्रभु राज्यों और विश्वास-बद्ध संस्थानों को साझा प्रोटोकॉल, रसद और सिद्धांतों से जोड़ना चाहिए. हमें रक्षा साझा संसाधनों का निर्माण करना चाहिए – ऐसी क्षमता जो साझा, विश्वसनीय और प्रमाणित हो – ताकि कोई भी देश अकेला न रहे.”
रक्षा उद्योग में स्थिरता की अवधारणा को अक्सर संदेह की दृष्टि से देखा जाता रहा है. डॉ लाल ने इस पर सीधा प्रहार किया. उन्होंने कहा, “क्या हरित और रक्षा एक साथ रह सकते हैं और रहना चाहिए? मेरा मानना है कि इसका उत्तर हां है, और ऐसा होना ही चाहिए.”
उन्होंने स्थिरता को तीन पहलुओं में विभाजित किया: संसाधन, आपूर्ति श्रृंखला और मानक. संसाधन स्थिरता पर, उन्होंने हाइब्रिड प्रणोदन, वैकल्पिक ईंधन और विकिरण-सहिष्णु उपग्रह डिजाइन में हुई प्रगति की ओर इशारा किया जो रसद संबंधी कमजोरियों और अपव्यय को कम करते हैं.
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