सुपौल में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस बड़े ही गरिमामय माहौल में मनाया गया। मुख्य न्यायमूर्ति, पटना उच्च न्यायालय के मार्गदर्शन तथा राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के निर्देश पर सुपौल मंडल कारा एवं वीरपुर मंडल कारा में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अफजल आलम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे माननीय सचिव अफजल आलम, मंडल कारा अधीक्षक मोतीलाल तथा उपाधीक्षक (यातायात) ने संयुक्त रूप से संपन्न किया। इस दौरान मंडल कारा के अधीक्षक मोतीलाल, उपाधीक्षक, अन्य अधिकारी-कर्मचारी तथा विधिक सेवा प्राधिकार से जुड़े वकील उपस्थित थे। शुभारंभ मनोरंजक गीत-संगीत कार्यक्रम से हुआ मानवाधिकार दिवस का शुभारंभ मनोरंजक गीत-संगीत कार्यक्रम से हुआ, जिसने माहौल को उत्साहपूर्ण बना दिया। आयोजन के दौरान जेल में बंद सभी बंदियों को मानवाधिकार से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि भारतीय संविधान एवं विभिन्न कानूनों के अंतर्गत उन्हें किन-किन अधिकारों की गारंटी दी गई है और किस परिस्थिति में वे इनका उपयोग कर सकते हैं। जेल सुधार की दिशा में मानवाधिकारों का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधीक्षक मोतीलाल ने बंदियों के मूलभूत अधिकारों, सुरक्षित परिवेश, स्वास्थ्य सुविधाओं और न्याय तक पहुंच जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से भाषण दिया। उन्होंने कहा कि जेल सुधार की दिशा में मानवाधिकारों का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अफजल आलम ने विधिक जागरूकता से जुड़े पहलुओं को सरल भाषा में समझाया और बताया कि प्राधिकार किस तरह जरूरतमंद बंदियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है। बंदियों ने भी कार्यक्रम में रुचि दिखाई इस अवसर पर बंदियों ने भी कार्यक्रम में रुचि दिखाई और कई ने मानवाधिकार संबंधी प्रश्न पूछे, जिनका विशेषज्ञों द्वारा समाधान किया गया। कार्यक्रम का समापन जेल प्रशासन के प्रतिनिधियों द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। आयोजन ने न केवल बंदियों में जागरूकता बढ़ाई, बल्कि मानवाधिकार संरक्षण के प्रति सकारात्मक संदेश भी दिया।
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