सीवान में अतिक्रमण हटाओ अभियान के बीच सांसद पति रमेश कुशवाहा का बयान अब सियासी और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया है। सड़क किनारे ठेला-खोमचा लगाकर रोज़ी-रोटी कमाने वाले गरीबों को लेकर दिए गए उनके बयान को सत्ता का घमंड और गरीब विरोधी सोच बताया जा रहा है। दरअसल, मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर कि प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर सड़क किनारे ठेला लगाने वाले गरीबों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था हटवा रहा है, तो सांसद पति से उम्मीद थी कि वे मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पुनर्वास या वैकल्पिक स्थान की बात करेंगे। लेकिन इसके उलट उन्होंने जिला प्रशासन का खुला समर्थन करते हुए कहा कि ठेला लगाने वालों को कोई जगह देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि “वे लोग सड़क पर ठेले क्यों लगाएंगे? दुकान चलानी है तो निजी जमीन पर या किराये पर दुकान लेकर चलाएं।” लाखों रुपए की पगड़ी और भारी-भरकम किराया देना असंभव इस बयान ने उन हजारों गरीब परिवारों की पीड़ा को उजागर कर दिया है जो रोज कमाते हैं और उसी से घर का चूल्हा जलता है। ठेला न लगे तो कई घरों में उस दिन खाना नहीं बनता। ऐसे में लाखों रुपए की पगड़ी और भारी-भरकम किराया देना उनके लिए असंभव है। सवाल यह है कि जब कमाई ही रोज की रोटी तक सीमित हो, तो दुकान का सपना कैसे पूरा होगा? अतिक्रमण हटाने के लिए किसी अलग निर्देश की जरूरत नहीं सांसद पति यहीं नहीं रुके। उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए किसी अलग निर्देश की जरूरत नहीं है, क्योंकि ठेला लगाने वाले खुद जानते हैं कि वे अतिक्रमण कर रहे हैं। उनके अनुसार, “यह पूरी तरह गलत तर्क है कि प्रशासन गरीबों को उजाड़ रहा है।” उन्होंने साफ कहा कि प्रशासन ने जो कदम उठाया है, वह सही है और इसमें किसी गरीब दुकानदार के प्रति उदारता नहीं बरती जानी चाहिए। ‘विपक्ष आज सत्ता से बाहर’ इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए गरीबों के पक्ष में खड़े होने को गलत ठहराया और कहा कि यही वजह है कि विपक्ष आज सत्ता से बाहर है। लेकिन सवाल यह उठता है कि चुनाव के समय इन्हीं गरीबों के दरवाजे पर जाकर हर संभव मदद का वादा कौन करता है? सफाई और यातायात को गरीबों की रोजी-रोटी से ज्यादा जरूरी बता दिया सबसे चौंकाने वाला बयान तब आया जब उनसे पूछा गया कि जिनके पास दुकान लेने के पैसे नहीं हैं, उनके लिए क्या व्यवस्था होनी चाहिए। इस पर उनका जवाब था—“उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने सड़क की सफाई और यातायात को गरीबों की रोजी-रोटी से ज्यादा जरूरी बता दिया।
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