सीवान शहर में बुधवार को नगर परिषद के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध मार्च निकाला। बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी संघ के आह्वान पर निकाले गए इस मार्च में बड़ी संख्या में सफाई कर्मी, दैनिक मजदूर और नगर परिषद से जुड़े अन्य कर्मचारी शामिल हुए। सभी कर्मचारियों ने 8 घंटे की जगह 12 घंटे की ड्यूटी लागू किए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ कड़ी नाराज़गी जताई। विरोध मार्च नगर परिषद परिसर से शुरू होकर शहर के कई मुख्य मार्गों से गुजरा। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए सरकार से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार की नई कार्य प्रणाली न सिर्फ अमानवीय है बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। ’12 घंटे काम कराना पूरी तरह से अनुचित’ कर्मचारियों ने कहा कि वे पहले से ही कम वेतन, संसाधनों की कमी और सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में 8 घंटे की जगह 12 घंटे काम कराना पूरी तरह से अनुचित है। उनका आरोप था कि सरकार न तो वेतन बढ़ा रही है, न ही उन्हें आवश्यक सुरक्षा उपकरण और अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसके बावजूद कार्य समय बढ़ाना मजदूरों का शोषण है। ’12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी तो बीमार पड़ना तय’ एक कर्मचारी ने कहा, “हम रोज 8 घंटे मेहनत करते हैं, उसमें ही पूरा शरीर टूट जाता है। अगर 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी तो बीमार पड़ना तय है। सरकार हमारे हालात समझे और इस निर्णय को वापस ले।” कर्मचारियों का कहना था कि लगातार बढ़ती महंगाई के बीच उनका वेतन जस का तस है, जिस कारण परिवार चलाना मुश्किल होता जा रहा है। आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज करने की दी चेतावनी विरोध मार्च में शामिल कर्मचारी नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 12 घंटे ड्यूटी का फैसला वापस नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वेतन वृद्धि, सुविधाओं में सुधार और बाजिब कार्य समय उनकी प्राथमिक मांगें हैं। मार्च शांतिपूर्ण रहा, लेकिन कर्मचारियों का गुस्सा साफ झलक रहा था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपने हक और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
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