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सीवान में जाम-अधूरा अतिक्रमण अभियान बनी परेशानी:सीवान में नए डीएम के फैसलों पर उठने लगे सवाल, सक्रियता दिखी

सीवान के नवपदस्थापित जिला पदाधिकारी विवेक रंजन मैत्रेय के प्रभार ग्रहण करने के बाद प्रशासनिक स्तर पर लगातार नए-नए आदेश जारी किए जा रहे हैं। इन आदेशों का उद्देश्य प्रशासनिक सक्रियता दिखाना बताया जा रहा है। कुछ मामलों में इसका असर जमीन पर दिखना भी शुरू हुआ है, लेकिन कई फैसलों को लेकर अब आमजन के बीच नाराजगी और सवाल उठने लगे हैं। प्रभार लेने के अगले ही दिन जिला पदाधिकारी ने देर रात शहर का दौरा कर जाम की समस्या का जायजा लिया। इसके बाद शनिवार की देर रात शहर के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक जेपी चौक पर बैरियर लगाकर मार्ग को बंद कर दिया गया। जेपी चौक के आसपास समाहरणालय, न्यायालय, रजिस्ट्री ऑफिस सहित कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय स्थित हैं, जिसके कारण यहां दिनभर चारपहिया और दोपहिया वाहनों की भारी आवाजाही रहती है। बैरियर से बढ़ी परेशानी, यू-टर्न की व्यवस्था नहीं जेपी चौक पर बैरियर लगाए जाने के बाद चारपहिया वाहनों के लिए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक यू-टर्न व्यवस्था नहीं की गई। नतीजतन यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। रविवार को आमतौर पर शहर में भीड़ कम रहती है, इसके बावजूद जेपी चौक पर भीषण जाम की स्थिति बनी रही। कई वाहन चालकों को लंबा चक्कर लगाकर निकलना पड़ा, जिससे समय और ईंधन दोनों की बर्बादी हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना पूर्व सूचना और वैकल्पिक व्यवस्था के अचानक मार्ग बंद करना प्रशासन की जल्दबाजी को दर्शाता है। लोगों ने इसे “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा कि समस्या के समाधान के बजाय यह फैसला नई परेशानी बन गया। अतिक्रमण हटाओ अभियान भी रहा अधूरा इसी क्रम में जिला पदाधिकारी द्वारा जेपी चौक से महादेवा थाना तक अस्थायी अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया। इस अभियान की जिम्मेदारी डीसीएलआर नलिनी कुमारी को सौंपी गई थी। आदेश के अनुसार बुलडोजर के साथ अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ, लेकिन महादेवा थाना से लगभग 500 मीटर पहले ही अभियान को समाप्त कर दिया गया। अभियान के अधूरा रहने से स्थानीय लोगों के बीच कई सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का कहना है कि जब आदेश महादेवा थाना तक का था, तो कार्रवाई बीच में क्यों रोक दी गई। थाना के सामने अतिक्रमण पर नहीं चली कार्रवाई स्थानीय लोगों का आरोप है कि महादेवा थाना के सामने ही थाना प्रशासन द्वारा आधी सड़क पर अतिक्रमण किया गया है, लेकिन वहां तक बुलडोजर नहीं पहुंचा। जब इस विषय में डीसीएलआर नलिनी कुमारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि आदेश यहीं तक का था। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि या तो आदेश को पूरी तरह पढ़ा नहीं गया, या फिर जानबूझकर कार्रवाई अधूरी छोड़ी गई। आमजन में उठ रहे निष्पक्षता पर सवाल अब स्थानीय लोग यह कहने लगे हैं कि अतिक्रमण हटाओ अभियान आम जनता तक ही सीमित रह गया, जबकि सरकारी कार्यालयों और थाना से जुड़े अतिक्रमण पर कार्रवाई करने से प्रशासन ने परहेज किया। इससे प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन के इन त्वरित फैसलों ने जहां एक ओर सक्रियता का संदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर योजना, समन्वय और समान कार्रवाई को लेकर गंभीर प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं। लोगों की मांग है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए, ताकि आमजन को राहत मिले, न कि नई परेशानी।


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