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सीवान में अतिक्रमण हटाओ अभियान पर उठे सवाल:नगर परिषद कर्मियों पर पक्षपात के आरोप, चुनिंदा दुकानों पर कार्रवाई

सीवान शहर में पिछले कई दिनों से लग रहे भीषण जाम से लोगों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने सोमवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत की। एसडीओ आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में जेसीबी मशीन, पुलिस बल, नगर परिषद कर्मियों और अधिकारियों की मौजूदगी में यह कार्रवाई जेपी चौक से बबुनिया मोड़ तक चली। दुकानों का अतिक्रमण ढहा, कई पर लगा जुर्माना अभियान के दौरान सड़क किनारे नालों पर बनाई गई कई दुकानों के अवैध हिस्सों को तोड़ा गया। प्रशासन ने कई जगहों पर जुर्माना भी लगाया। अधिकारियों का दावा है कि यह कार्रवाई पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार की जा रही है और आने वाले दिनों में शहर के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी। एक्शन के बीच अनियमितता का आरोप, दुकानदारों में आक्रोश लेकिन सोमवार की कार्रवाई के दौरान एक गंभीर अनियमितता सामने आई। स्थानीय दुकानदारों और प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि नगर परिषद के कुछ कर्मियों ने निजी रंजिश के कारण चुनिंदा दुकानों को निशाना बनाया। आरोप है कि जिन दुकानदारों से इन कर्मियों की व्यक्तिगत खुन्नस थी, केवल उन्हीं दुकानों का अतिक्रमण हटाया गया और भारी जुर्माना लगाया गया, जबकि आसपास की कई अन्य अतिक्रमणकारी दुकानें बिना छुए छोड़ दी गईं। एसडीओ भी दिखे कर्मियों के इशारे पर कार्रवाई करते प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि स्वयं एसडीओ आशुतोष गुप्ता भी नगर परिषद कर्मियों के इशारों पर उन्हीं दुकानों को हटवाते दिखाई दिए, जिससे अभियान की निष्पक्षता पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।जब एसडीओ से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, अभियान पूरी तरह पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार चलाया जा रहा है और इसे लगातार जारी रखा जाएगा।” निष्पक्षता नहीं तो अभियान बेकार स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर अभियान वाकई निष्पक्ष होता तो पूरे मार्ग पर सभी अतिक्रमणों को हटाया जाता।लोगों का स्पष्ट आरोप है कि कुछ जगहों पर जानबूझकर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे नगर परिषद कर्मियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जाम से मुक्ति के लिए जरूरी है पारदर्शी कार्रवाई लोगों का कहना है कि शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रशासन को बिना किसी भेदभाव और पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करनी होगी।अन्यथा ऐसे अभियान केवल “निजी द्वेष का साधन” बनकर रह जाएंगे और शहर की समस्या जस की तस बनी रहेगी।


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