रोजगार गारंटी स्कीम ‘मनरेगा’ से महात्मा गांधी का नाम हटाने के विरोध में भाकपा(सीपीआई) पूरे देश में प्रदर्शन करेगी। पटना एयरपोर्ट पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर चर्चा हो रही थी, तब मैं खुद वहां मौजूद था। महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं और उनका नाम हटाया जाना स्वीकार्य नहीं है। 22 दिसंबर को ‘विकसित भारत राम बिल’ के खिलाफ विरोध दर्ज कराया जाएगा। हिजाब विवाद पर डी. राजा ने कहा कि नीतीश कुमार बड़े नेता और बिहार के मुख्यमंत्री हैं। उनसे इस तरह की घटनाओं की अपेक्षा नहीं की जाती और ऐसी चीजें दोबारा नहीं होनी चाहिए। वहीं, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के वायरल वीडियो को लेकर कहा कि डी. राजा ने कहा कि इस तरह के बयान पर बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां जवाब देंगी। हम इस पर क्या बोल सकते हैं। इस मुद्दे पर भाकपा की ओर से कोई अतिरिक्त टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। मांझी ने दी सफाई वहीं दूसरी ओर, वायरल वीडियो पर सफाई देते हुए केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। हमनें न तो चुनावी मशीनरी पर सवाल उठाए और न ही किसी पदाधिकारी पर आरोप लगाया। मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि जहां हार-जीत का अंतर कम हो, वहां रिकाउंटिंग मांगनी चाहिए। यह पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया है। ये गलत वीडियो है। रिकाउंटिंग में एक प्रत्याशी 27 वोट से जीते हैं। मेरे कहने का मतलब रिकाउंटिंग मांगा जाता है। लेकिन वो छोड़कर भाग गया। इसलिए उसको हमने कहा। 2020 में रिकाउंटिंग में जीत गए। इस बार छोड़कर क्यों भाग गए। अभिषेक सिंह का नाम जहां तक आता है, वो उस समय वहीं थे। समक्ष पदाधिकारी थे। जस्टिस करने वाले थे। रिकाउंटिंग मांगा तो उन्होंने दे दिया। मैदान छोड़कर नहीं भागते। 1990 में मैं भी 127 वोट से हारा था। मशीनरी और पदाधिकारियों में कोई दोष नहीं है। कार्यकर्ताओं में दोष है। मैदान छोड़कर भाग गया। कैंडिडेट का मनोबल बढ़ाने के लिए कहा था मांझी ने आगे कहा कि मेरा उद्देश्य उम्मीदवारों को हतोत्साहित करना नहीं, बल्कि उनका मनोबल बढ़ाना था। ताकि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ें। मेरे बयान को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है।
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