सीतामढ़ी में HIV-एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिले में अब तक टोटल 7948 HIV मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिनमें लगभग चार हजार पुरुष और इतनी ही महिला मरीज शामिल हैं। वर्तमान में 4954 एक्टिव मरीज नियमित रूप से दवा ले रहे हैं। साथ ही ART केंद्र से मासिक परामर्श प्राप्त कर रहे हैं। HIV-एड्स के कुल आंकड़े भले ही नियंत्रित बताए जा रहे हो, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि स्कूल-कॉलेज जाने की उम्र के बड़ी संख्या में बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिले में 18 साल से कम उम्र के टोटल 387 बच्चों में HIV के लक्षण पाए गए हैं, जिनमें 252 लड़के और 135 लड़कियां शामिल हैं। एक्सपर्ट इसे समाज और हेल्थ सिस्टम के लिए एक गंभीर चेतावनी मान रहे है। प्रतिदिन लगभग 300 मरीज पहुंच रहे अस्पताल सीतामढ़ी सदर अस्पताल में ART सेंटर की स्थापना साल 2012 में हुई थी। तब से अब तक मरीजों का लगातार निबंधन होता आया है। मेडिकल ऑफिसर डॉ. मो. हसीन अख्तर ने बताया कि ‘प्रतिदिन लगभग 300 मरीज अस्पताल पहुंचकर जीवन रक्षक दवाएं प्राप्त करते हैं।’ एड्स मरीजों के लिए राहत योजनाएं भी चला रही सरकार सरकार एड्स मरीजों के लिए राहत योजनाएं भी चला रही है। बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित कल्याण योजना के तहत 3899 वयस्क निबंधित मरीजों को प्रतिमाह 1500 रुपए DBT के माध्यम से दिए जा रहे हैं। वहीं, 18 वर्ष से कम आयु के लाभार्थियों को परवरिश योजना के तहत प्रतिमाह 1000 रुपए प्रदान किए जा रहे हैं। सीतामढ़ी के सभी 17 प्रखंडों में एड्स के मामले दर्ज जिले के सभी 17 प्रखंडों में एड्स के मामले दर्ज हैं, हालांकि इनकी संख्या में भारी अंतर है। डुमरा प्रखंड 1107 मरीजों के साथ सबसे आगे है, जबकि चोरौत में केवल 102 मरीज निबंधित हैं। अन्य प्रखंडों में रुन्नीसैदपुर में 708, परिहार में 700, सोनबरसा में 514, रीगा में 507, पुपरी में 346, नानपुर में 348, बैरगनिया में 229, बेला में 194, बोखड़ा में 156 और सुप्पी में 177 मरीज शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे बिना किसी झिझक के HIV की जांच कराएं, ताकि संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके और समय पर इलाज सुनिश्चित हो सके। ‘माइग्रेशन अत्यधिक होने के कारण संक्रमण फैलने की रफ्तार तेज’ सीतामढ़ी सदर अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ.हसीन अख्तर ने कहा, जिले में माइग्रेशन अत्यधिक होने के कारण संक्रमण फैलने की रफ्तार तेज है। जो दिल्ली, मुंबई या अन्य बड़े शहरों में काम करते हैं, वो यहां आते हैं, इसके कारण HIV केस ज्यादा है। बड़े शहरों में रहने के दौरान कई लोग संक्रमित हो जाते हैं और जब घर लौटते हैं तो अनजाने में वायरस आगे बढ़ जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि अधिकांश संक्रमितों का इतिहास बाहर राज्यों से लौटने या उनके संपर्क में आने का रहा है। कई मजदूर और कामगार बड़े शहरों में घनी आबादी वाले इलाकों में रहते हैं, जहां संक्रमण तेजी से फैलता है। स्थानीय स्तर पर सतर्कता बढ़ाने पर जोर डॉक्टरों ने बताया कि माइग्रेशन का सीधा असर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे में स्क्रीनिंग, टेस्टिंग और कंटेनमेंट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग ने भी गांवों में वापस आ रहे लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री और संपर्कों की मॉनिटरिंग तेज कर दी है। HIV नोडल अधिकारी ने बताया कि कई मरीज समय पर और नियमित दवा नहीं लेते, जिसके कारण उनकी इम्यूनिटी तेजी से गिरती है और किसी भी तरह के इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। दवा छोड़ेंगे तो इम्यूनिटी गिर जाएगी नोडल अधिकारी ने कहा, अगर मरीज सही तरीके से दवा न लें तो उनकी इम्यूनिटी पावर घटती चली जाती है। ऐसे में इंफेक्शन होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। मरीजों को नियमित ART दवा लेना जरूरी है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई मरीज दवा की खुराक मिस कर देते हैं, जिससे वायरस शरीर में फिर से एक्टिव हो जाता है।
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