बिहार राज्य सिविल कोर्ट कर्मचारी संघ ने अपनी लंबित मांगों के समाधान के लिए आंदोलन को और तेज करने का फैसला लिया है। इसके लिए आज शनिवार को बैठक हुई। संघ ने 16 और 17 जनवरी 2026 को न्यायिक कार्य करते हुए राज्यव्यापी मौन व्रत करने की घोषणा की है। इस दौरान कर्मचारी मौन रहेंगे और अपने मुंह पर पट्टी बांधकर रखेंगे, जिसमें उनकी प्रमुख मांगें लिखी होंगी। यह कार्यक्रम पिछले साल 16 जनवरी 2025 को हुई राज्यव्यापी हड़ताल की पहली बरसी पर किया जाएगा।यह निर्णय पटना में संघ की बैठक में लिया गया। बैठक में कर्मचारियों की सेवा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का गठन, वेतनमान संशोधन, समयबद्ध पदोन्नति और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की प्रमोशन जैसी मांगें प्रमुख थीं। वेतन पुनरीक्षण और पदोन्नति की लंबे समय से कर रहे मांग संघ ने पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को शीघ्र कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपने का भी फैसला किया है। संघ के अनुसार, वेतन पुनरीक्षण और पदोन्नति से जुड़ी मांगें करीब एक दशक से लंबित हैं, जिससे राज्यभर के सिविल कोर्ट कर्मचारियों में गहरा असंतोष है। संगठन ने चेतावनी भी दी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने बताया कि प्रमुख मांगों में संशोधित वेतनमान, समयबद्ध पदोन्नति, अनुकंपा आधार पर नियुक्ति और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की पदोन्नति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी 2025 की राज्यव्यापी हड़ताल के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, जबकि उस समय पटना हाईकोर्ट के चार जजों ने एक महीने में समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर मांगों का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारी आंदोलन करेंगे।
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