पुणे की MP/MLA स्पेशल कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ वीर सावरकर के बारे में कथित टिप्पणी को लेकर चल रहे मानहानि केस की सुनवाई की। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि राहुल ऐसे किसी आदेश पर कमेंट नहीं कर सकते जिसे उन्होंने ऊपरी अदालत में चैलेंज नहीं किया है। स्पेशल जज अमोल एस शिंदे ने कहा कि यदि राहुल गांधी को समन आदेश पर आपत्ति है तो उन्हें इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देनी चाहिए। राहुल गांधी की ओर से वकील मिलिंद पवार ने समन जारी करने संबंधी पुराने आदेश पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में अर्जी दी। इसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर ने 2023 में जो समन का आदेश लिया था, वह पक्के सबूतों के बिना और दबाव बनाकर जल्दबाजी में हासिल किया गया था। सत्यकी सावरकर की तरफ से एडवोकेट संग्राम कोल्हटकर ने आरोपों पर आपत्ति लेते हुए कहा कि समन जारी करने का आदेश कोर्ट के पूर्व जज ने सभी सबूतों की जांच करने के बाद दिया था। उन्होंने कहा कि आरोपी पक्ष ने कोर्ट की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया है। लंदन में कहा था- सावरकर ने मुस्लिम को पीटा था राहुल पर आरोप है कि मार्च 2023 में राहुल गांधी ने लंदन में वीडी सावरकर की किताब का हवाला देते हुए एक भाषण में दावा किया था कि सावरकर ने और उनके पांच से छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उन्हें इससे खुशी हुई थी। इस भाषण का हवाला देते हुए सत्यकी सावरकर ने गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई और न ही सावरकर ने ऐसा कुछ लिखा। 13 अगस्त: पुणे कोर्ट में वकील बोले- राहुल की जान को खतरा राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार ने पुणे कोर्ट में कहा था कि राहुल की जान को खतरा है। सावरकर मानहानि केस की सुनवाई के दौरान राहुल के वकील मिलिंद पवार ने कोर्ट में लिखित सूचना देकर कहा कि “वोट चोरी” का मामला उजागर करने के बाद राहुल गांधी को खतरा बढ़ गया है। यह बयान मीडिया में आने के बाद कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने X पर लिखा था कि राहुल गांधी के वकील ने बिना उनसे बात किए या उनकी सहमति लिए कोर्ट में लिखित बयान दाखिल करके उनकी जान पर खतरे का हवाला दिया था। इस बात से राहुल की घोर असहमति है। पूरी खबर पढ़ें… पहले भी सावरकर पर विवादित बयान दिए थे महाराष्ट्र के अकोला जिले में 17 नवंबर, 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक रैली में सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने मीडिया के सामने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा था कि यह चिट्ठी सावरकर ने अंग्रेजों को लिखी थी। इसमें उन्होंने खुद को अंग्रेजों का नौकर बने रहने की बात कही थी। साथ ही डरकर माफी भी मांगी थी। गांधी-नेहरू ने ऐसा नहीं किया, इसलिए वे सालों तक जेल में रहे। राहुल ने कहा था, ‘गांधी, नेहरू और पटेल कई साल जेल में रहे और कोई चिट्ठी नहीं साइन की। सावरकर जी ने इस कागज पर साइन किया, उसका कारण डर था। अगर डरते नहीं तो कभी साइन नहीं करते। सावरकर ने जब साइन किया तो हिंदुस्तान के गांधी, पटेल को धोखा दिया था। उन लोगों से भी कहा कि गांधी और पटेल भी साइन कर दें।’ सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को फटकार लगाई थी सुप्रीम कोर्ट ने वीर सावरकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर 26 अप्रैल को राहुल गांधी को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि हम स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ किसी को अनाप-शनाप बोलने की इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने हमें आजादी दिलाई और हम उनके साथ क्या व्यवहार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, अगर आप आगे से ऐसा कोई बयान देंगे तो हम स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना बयान मत दीजिए। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सावरकर पर टिप्पणी के मामले में राहुल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 अप्रैल को समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। पूरी खबर पढ़ें.. 2023 में राहुल के खिलाफ एडवोकेट ने शिकायत दर्ज कराई 14 जून, 2023 को लखनऊ के रहने वाले एडवोकेट नृपेंद्र पांडे ने एडिशनल CJM की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में पांडे ने आरोप लगाया कि राहुल ने अकोला में वीर सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशनभोगी’ कहा था। उन्होंने दावा किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक न्यूज चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल पत्रकारों के बीच पहले से तैयार प्रेस नोट भी बांटे गए थे। पांडे ने राहुल गांधी पर समाज में नफरत और अशांति फैलाने के इरादे से यह बयान देने का आरोप लगाया था। ———————————- ये खबर भी पढ़ें… गांधी की हत्या के बाद जब सावरकर पर हमलावर थी भीड़, लाठी लेकर डटी रही थीं पत्नी यमुनाबाई वीर सावरकर जब अंडमान की सेलुलर जेल में थे, तब यमुनाबाई ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाली। यमुनाबाई का साहस तब देखने को मिला, जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद भीड़ ने सावरकर को मारने के लिए उनके घर को घेर लिया। यमुनाबाई खुद लाठी लेकर भीड़ के सामने खड़ी हो गईं। सावरकर गांधी की हत्या में आरोपी थे जिन्हें बाद में आरोप मुक्त कर दिया गया। पूरी खबर पढ़ें
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