इस बार एआईएमआईएम व जनसुराज दे रहे चुनौती
बिहार के सात जिलों- कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण में 53 विधानसभा सीटें हैं। यहां मुस्लिम आबादी 21 से 68% तक हैं। इनमें से सीमांचल के चार जिले कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज में 24 सीटें हैं। 2020 के चुनाव में इन 53 सीटों में से 24 पर जीत-हार का अंतर 10639 से कम था। इन 24 सीटों में से एनडीए ने 18, महागठबंधन ने 5 और एआईएमआईएम ने 1 सीट जीती थी। पिछली बार वीआईपी एनडीए के साथ थी, लेकिन इस बार महागठबंधन के साथ है। 2020 में एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीती थीं। इस बार सीमांचल की 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, पीके की जन सुराज ने भी 10 पर प्रत्याशी उतारे हैं। दोनों दल, एनडीए और महागठबंधन को चुनौती दे सकते हैं। इन 24 सीटों पर हार-जीत का अंतर 11 हजार से कम …
किस जिले में कितनी मुस्लिम आबादी और सीट सीटपार्टी जीतीवोट से जीत ओवैसी व पीके हो सकते हैं फैक्टर : एक्सपर्ट
मुस्लिम राजनीति पर नजर रखने वाले रेहान गनी का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने बड़ा खेल किया था। इसबार भी ओवैसी जीत-हार के कारण बन सकते हैं। यही नहीं, पीके जिस गठबंधन का वोट काटेंगे, उसके उम्मीदवार के हारने की संभावना अधिक रहेगी। आवैसी की पकड़ मुस्लिम इलाकों में है। पीके दोनों गठबंधनों के युवा वोटरों में कुछ इंपैक्ट दिखा रहा है। सबसे बड़ी जीत…
महबूब आलम, माले बलरामपुर, 53597
सबसे छोटी जीत…
मनोज कुमार यादव, राजद कल्याणपुर, 1193
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