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सहरसा में हनी कॉम्ब से बनाई जैविक मोम:BSC एग्रीकल्चर फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स ने किया तैयार

सहरसा कृषि महाविद्यालय के बीएससी एग्रीकल्चर फाइनल ईयर के छात्रों ने मधुमक्खियों के छत्ते (हनी कॉम्ब) से पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक मोम तैयार किया है। यह नवाचार पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, बाजार में रासायनिक उत्पादों की बहुतायत है, जिनके दुष्प्रभाव लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में, छात्रों द्वारा विकसित यह प्राकृतिक मॉम किसानों, छोटे उद्यमियों और उपभोक्ताओं के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प प्रस्तुत करता है। गहन रिसर्च और कई चरणों के परीक्षण किए गए फाइनल ईयर के छात्र अमर कुमार ने बताया कि शहद निकालने के बाद हनी कॉम्ब को अक्सर अनुपयोगी मानकर फेंक दिया जाता था। उनकी टीम ने इस ‘अपशिष्ट’ को ‘मूल्यवान’ उत्पाद में बदलने का संकल्प लिया। इसके लिए गहन रिसर्च और कई चरणों के परीक्षण किए गए। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप एक ऐसा मॉम तैयार हुआ है जो पूरी तरह प्राकृतिक है। इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया गया है, जिससे यह पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है। पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगा टीम का मानना है कि यदि इस मॉम का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाए, तो यह पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगा। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगा। इस प्राकृतिक मॉम का उपयोग मोमबत्तियां, सजावटी लैम्प, हस्तशिल्प वस्तुएं, पारंपरिक उत्पाद और फूड-ग्रेड कोटिंग जैसे विभिन्न उत्पादों को बनाने में किया जा सकता है। छात्रों ने यह भी बताया कि वे उपभोक्ताओं को आकर्षक और नए विकल्प प्रदान करने के लिए विभिन्न डिजाइनों और उपयोगिताओं के अनुरूप मॉम तैयार कर रहे हैं। उनका दीर्घकालिक लक्ष्य इसे एक स्थायी मॉडल के रूप में विकसित करना है, जिससे किसानों और ग्रामीण युवाओं की आय में वृद्धि हो सके। परियोजना ‘जीरो वेस्ट’ और ‘ग्रीन टेक्नोलॉजी’ के सिद्धांतों पर आधारित विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना ‘जीरो वेस्ट’ और ‘ग्रीन टेक्नोलॉजी’ के सिद्धांतों पर आधारित है। हनी कॉम्ब का यह उपयोग न केवल मधुमक्खी पालन उद्योग की उपयोगिता बढ़ाता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर सकता है। सहरसा के इन छात्रों ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही सोच और दृढ़ संकल्प के साथ छोटे विचार भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। हनी कॉम्ब से तैयार यह जैविक मॉम भविष्य में भारतीय बाजारों के लिए एक स्वदेशी, सस्ता और टिकाऊ विकल्प बनने की क्षमता रखता है।


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