सहरसा व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के देखरेख में आयोजित इस लोक अदालत का उद्घाटन प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजुला भारती, जिलाधिकारी दीपेश कुमार और पुलिस अधीक्षक हिमांशु ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। यह आयोजन न्यायालय परिसर की मुख्य इमारत के सामने हुआ, जहां बड़ी संख्या में वादकारी अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद में पहुंचे। इस अवसर पर प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजुला भारती ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य छोटे एवं सुलह योग्य मामलों का आपसी सहमति से त्वरित निपटारा करना है। उन्होंने जानकारी दी कि इस लोक अदालत में कुल 12 पीठों (बेंचों) का गठन किया गया है, जहां विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई की जा रही है। बिजली, टेलीफोन, ट्रैफिक चालान और अन्य छोटे मामले शामिल इन मामलों में बैंक ऋण विवाद, बिजली, टेलीफोन, ट्रैफिक चालान और अन्य छोटे दीवानी वाद शामिल हैं। प्रत्येक बेंच में न्यायिक पदाधिकारी, वकील और संबंधित विभागों के प्रतिनिधि मौजूद हैं, ताकि लोगों को एक ही स्थान पर समाधान मिल सके। साल का अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत जिलाधिकारी दीपेश कुमार ने इस पहल को सराहनीय बताया और कहा कि यह साल का अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोक अदालत के माध्यम से वर्षों से लंबित छोटे-छोटे विवादों का त्वरित और सरल समाधान किया जा रहा है, जिससे आम जनता को न्यायालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में लोक अदालत का लाभ उठाएं और अपने विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान करें। बड़ी संख्या में मामलों का निष्पादन हो रहा पुलिस अधीक्षक हिमांशु ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए बड़ी संख्या में मामलों का निष्पादन हो रहा है। इससे न केवल न्यायालयों पर भार कम होता है, बल्कि आपसी समझौते से विवादों का अंत भी होता है। उन्होंने जोर दिया कि यह सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है और लोगों के समय व धन दोनों की बचत करता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में उमड़ी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि आमजन के लिए यह व्यवस्था कितनी उपयोगी और प्रभावी साबित हो रही है।
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