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सरसों में लाही कीट का प्रभाव, फसल प्रभावित

भास्कर न्यूज| मुंगेर मौसम में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण क्षेत्र में लहलहा रही सरसों के फसल पर लाही किट का प्रभाव बढ़ गया है। लाही कीड़ा सरसों के पौधे में लगे फल और फूल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे सरसों के उपज में 20 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। जिसको लेकर किसान काफी चिंतित हैं। लाही कीड़ा से निजात पाने के लिए किसान कीटनाशक का प्रयोग तो कर रहे हैं परंतु लाही कीटों पर कोई खास असर नही हो रहा है। किसान सरजू मंडल, सुनील यादव, रमण राज, मोहन पंडित आदि का कहना है कि कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद भी लाही कीड़ा का प्रभाव कम नहीं हो रहा है। मौसम में आए बदलाव के कारण सरसों के फसल पर लाही कीड़ा का प्रभाव तेज हो गया है, जिससे फसल पर काफी असर पड़ रहा है। पौधों के बढ़ने के साथ ही चिपक जाते हैं लाही कीट सरसों के पौधे के बढ़ने वाले भाग कलियों, फूल तथा फलियों में स्थाई रूप से झुंडों में लाही कीड़े चिपके रहते हैं। यह कलियों व फूलों का रस चुसकर फसल को हानि पहुंचाते हैं। इससे सरसों का दाना पतला हो जाता है। अभी कुहासा का प्रभाव नहीं हुआ है। कुहासे के बाद लाही का प्रकोप बढ़ जाएगा जिससे सरसों के फसल को ज्यादा नुकसान की संभावना बढ़ जाएगी, जिससे सरसों का पैदावार प्रभावित होती है। किसानों के खेतों में खड़ी सरसों के फसल में लाही का प्रकोप अधिक है। दवाओं के छिड़काव करने के बाद भी कीड़े कम नही हो रहे हैं। इससे फसल को नुकसान हो रहा है। लाही कीट के प्रभाव को कम करने के ये हैं उपाय कृषि वैज्ञानिक मुकेश कुमार ने बताया कि लाही कीट के प्रभाव को कम करने के लिए किसान एमीडाक्लोप्रिड 70 % दवा का उपयोग करें। एक लीटर दवा का उपयोग 500 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव किया जा सकता है। यदि पौधों में 30 प्रतिशत पौधों पर यह कीड़ा हो तो हीं किसान दवा का उपयोग करें। यह दवा का छिड़काव दोपहर के समय करें। लाही कीट के कारण खराब हो रही फसल।


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