सिटी रिपोर्टर | जहानाबाद जिन सरकारी विद्यालयों में सौर ऊर्जा से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की गई है, उन विद्यालयों में लगे सोलर पैनल की जांच होगी। शिक्षा विभाग ने यह कदम सैकड़ों स्कूलों में लगे सोलर पैनल बंद होने की सूचना पर उठाया है। शिक्षा विभाग के मुताबिक सरकारी विद्यालयों की छतों पर इंस्टाल किए गए कितने सोलर पैनल काम कर रहे हैं, इसकी जांच हेतु जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। बता दें कि राज्य के विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2022-23 में ऊर्जा की खपत और बचत के लिए सोलर चैनल लगाए गए थे। शिक्षा विभाग के मुताबिक राज्य के सभी प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालयों में चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा। पहले चरण में सौर ऊर्जा लगाने की योजना पर ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे। दरअसल, बिजली की बढ़ रही खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा को बढावा दिया जा रहा है। सौर उर्जा से बिजली की खपत कम हो सके और सरकारी विद्यालयों में बिजली की खपत पर किए जा रहे भारी भरकम रकम से निजात पाया जा सके। यही नहीं सौर ऊर्जा के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है। सरकारी विद्यालयों में बिहार रिन्यूबेल एनर्जी डेवलपमेंट से सौर ऊर्जा से बिजली जलाने की योजना बनाई गई है। इसका क्रियान्वयन ब्रेडा के माध्यम से सोलर पैनल लगाकर किया जाना है। पांच किलोवाट के सौर ऊर्जा पर लगभग तीन लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसी आधार पर सरकारी विद्यालयों में सोलर पैनल लगाने की कार्य योजना बनी है। पांच किलोवाट की सौर प्रणाली प्रतिदिन सुबह नौ बजे से लेकर पांच बजे 25 यूनिट बिजली उत्पन्न करती है। इसका उपयोग विद्यालयों के संचालन में किया जा सकता है। इस प्रकार सोलर पैनल से सरकारी विद्यालयों में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी।
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